हैदराबाद में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच जीतकर कप्तान विराट का क़द और भी विराट हो गया है. विराट की कप्तानी में हर खिलाड़ी अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया और मैच को 208 रनों से जीत लिया. इस मैच में बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी का बेहतरीन कॉम्बो पैक देखने को मिला. पहले टीम के बैट्समैन ने अपना काम किया और बाद में बॉलर्स ने मेहमान टीम को आउट करके पवेलियन का रास्ता दिखाते हुए मैच को जीत लिया.
भारत की ओर से इस मैच में 2 सेंचुरी और एक डबल सेंचुरी लगी. गेंदबाज़ों में रविंद्र जड़ेजा और ईशांत शर्मा ने बेहतरीन बॉलिंग की. भारतीय गेंदबाज़ों ने पांचवें दिन पिच से मिल रही मदद का फायदा उठाते हुए बांग्लादेश की दूसरी पारी 250 रनों पर समेट दी. दूसरी पारी में ईशांत शर्मा और जड़ेजा के रूप में बेहतरीन गेंदबाज़ी देखने को मिली. लंच के बाद ज़्यादा देर तक भारतीय गेंदबाज़ों ने मेहमान टीम को टिकने नहीं दिया.
विराट हुए सफल कप्तानों में शामिल
बांग्लादेश के ख़िलाफ़ एकमात्र टेस्ट में जीत हासिल करते ही विराट कोहली कप्तान के रूप मे 15 वां टेस्ट जीत मो. अज़हरुद्दीन को पीछे छोड़ दिया. अज़हर की कप्तानी में भारत ने 14 टेस्ट मैच जीते थे. जिससे कप्तान के तौर पर सर्वाधिक जीत हासिल करने वालों की सूची में विराट तीसरे स्थान पर आ गए. उनसे ऊपर स़िर्फ महेंद्र सिंह धोनी (27 जीत) और सौरव गांगुली (21 जीत) रह गए हैं. इस मैच के मैन ऑफ द मैच भी विराट कोहली रहे. इस मैच के साथ ही विराट ने कई रिकॉर्ड बनाए.
मैच जीतने के बाद विराट कोहली ने ग्राउंड स्टाफ के साथ फोटो खिंचवाई.
वाह! जीत हो तो ऐसी. पहले ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी फिर कमरतोड़ गेंदबाज़ी. जब टीम में होंगे युवा, तो सर पर सेहरा तो बंधेगा ही. ये है एक ड्रीम टीम. हर खिलाड़ी है फिट तभी तो टीम है हिट. चेन्नई में चल रहे अंतिम टेस्ट मैच में कई रिकॉर्ड्स बनाते हुए टीम इंडिया ने अंग्रेज़ों की टीम को एक बड़े स्कोर के नीचे ऐसा दबाया कि उनका कोई भी प्लेयर खड़ा नहीं हो पाया. सीरीज़ का आख़िरी मैच शानदार तरी़के से जीतकर प्रशंसकों को क्रिसमस का बेहतरीन गिफ्ट दिया.
क्रिसमस मनाना हमसे सीखो
मैच जीतकर टीम ने इंग्लैंग को ये बता दिया कि त्योहार के पहले की जीत कितनी ख़ास और मिठासभरी होती है. क्रिसमस के इस मौ़के पर मैच जीतकर असल में मेहमान टीम को हार का ख़ास तोहफ़ा दिया है हमारे टाइगर्स ने. एम ए चिदंबरम स्टेडियम में पहले दिन से ही भारतीय टीम का दबदबा बना दिखा. पहले बैटिंग, तो खेल के आख़िरी दिन बॉलिंग ने अंग्रेज़ों की कमर तोड़ दी.
टॉस जीता पर मैच हारा
इस मैदान पर टॉस जीतकर पहले ब्लेबाज़ी करनेवाली टीम के जीतने का आंकड़ा ज़्यादा है. शायद इसीलिए इंग्लैंड ने टॉस जीतकर बैटिंग का ़फैसला किया, लेकिन भारतीय खिला़ड़ियों ने उन्हें मुंह की दी.
मैच के हीरो
नायर, राहुल की शानदार बैटिंग के बाद रविंद्र जडेजा ने बॉलिंग की कमान अपने हाथ में ली और 7 विकेट लेकर टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई.
रिकॉर्डों की लग गई झड़ी
* अपना टेस्ट डेब्यू करनेवाले करुण ने रन बनाते हुए ज़रा भी करुणा नहीं दिखाई और आख़िरी मैच में तीहरा शतक जड़ दिया.
* ऐसा करके वो वीरू पाजी के 300 क्लब में एंट्री मार गए.
* 24 साल के राहुल ने टेस्ट करियर का बेहतर स्कोर 199 इसी मैच में बनाया.
* एम ए चिदंबरम स्टेडियम पर बननेवाला ये अब तक का सबसे ज़्यादा स्कोर है.
टीम की जीत पर वीरेंदर सहवाग ने अपने अंदाज़ में दी बधाई.
Congratulations India on a great victory. This 4-0 is sweet . Great display by Jaddu.
दुनिया की नंबर 2 टीम का मुक़ाबला जब नंबर 7 की टीम से हो, तो पहले ही साफ़ हो जाता है कि नंबर 2 नंबर 7 को मात देने में अव्वल रहेगी. कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में चल रहे न्यूज़ीलैंड के साथ अपने पहले मैच में भारत ने कीवी टीम को बड़े स्कोर से हराया. इस सीरीज़ का यह पहला टेस्ट मैच था. 22 सितंबर को मैच शुरू हुआ. 5 दिन चले इस मैच में कीवियों को धूल चटाती हुई भारतीय टीम ने 197 रन के बड़े स्कोर से मैच जीता. आख़िरी दिन जीत के लिए मिले 434 रनों के टारगेट का पीछा करने उतरी न्यूज़ीलैंड की टीम 236 रन पर ऑल आउट हो गई. कीवियों के साथ खेले गए इस सीरीज़ के पहले टेस्ट मैच को जीतकर भारतीय रणबांकुरों ने जता दिया है कि कीवियों के लिए आगे का रास्ता बड़ा ही मुश्किल भरा रहेगा. मैच के पहले ही दिन से भारतीय टीम का दबदबा बरक़रार दिखा. वैसे भी होम ग्राउंड हो, तो टीम इंडिया को हराना किसी सपने से कम नहीं है. भारत के लिए यह मैच कई तरह से ख़ास था. (500 Test Match)
क्यों ख़ास था ये टेस्ट मैच?
– 1932 में अपना पहला टेस्ट मैच खेलने वाली भारतीय टीम का ये 500वां टेस्ट मैच था.
– 500 टेस्ट मैच में भारतीय टीम के ऑलराउंडर आर. अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम मैच में 200 विकेट लेने वाले दुनिया के दूसरे और भारत के पहले गेंदबाज़ बन गए.
– विराट कोहली 32वें कप्तान के रूप में टीम की अगुआई करने उतरे थे.
– इस मौ़के पर अब तक के सभी कप्तानों को ग्रीन पार्क में सम्मानित किया गया.
पहले पायदान पर जल्द होगी काबिज़
टीम इंडिया टेस्ट रैंकिंग में पाकिस्तान से एक पायदान पीछे नंबर 2 पर है. इस मैच के बाद टीम की रैंकिंग बढ़ने के आसार हैं. बस, ज़रूरत है, तो इस जीत की बढ़त को बनाए रखना. नंबर 1 पाकिस्तान से भारत पॉइंट्स में बहुत ज़्यादा पीछे नहीं है. यहां हम आपको बता दें कि सीरीज़ ख़त्म होने के बाद ही रैंकिंग का ऐलान होता है. भारत अगर अपनी जीत का सफ़र पूरी सीरीज़ में यूं ही जारी रखता है, तो नंबर 1 पाकिस्तान से उसका तमगा ज़रूर छीन लेगा.
अश्विन ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
कानपुर में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ अपना 500 टेस्ट मैच खेल रही टीम इंडिया के स्टार गेंदबाज़, आर. अश्विन ने टेस्ट करियर में सबसे तेज़ 200 विकेट लिया. ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन अपने 37वें टेस्ट मैच में 200वां विकेट लेकर सबसे कम मैचों में यह उपलब्धि हासिल करने वाले दुनिया के दूसरे नंबर के गेंदबाज़ बने. अश्विन ने न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध पहले टेस्ट क्रिकेट मैच के चौथे दिन कीवी कप्तान केन विलियमसन को आउट करके यह उपलब्धि हासिल की. टेस्ट मैच में सबसे तेज़ 200 विकेट लेने का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के नाम दर्ज है. आस्ट्रेलिया के क्लेरी ग्रिमेट ने 36 टेस्ट मैचों में 200 विकेट लिए थे. अश्विन विश्व के दूसरे नंबर के गेंदबाज़ बन गए हैं. अश्विन ने ये कारनामा 37 मैंचों में किया.
जीवन की जद्दोज़ेहद में अधिकतर पुरुष अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो जाते हैं, जिससे उन्हें अनेक बीमारियां घेर लेती हैं. आइए, जानते हैं कुछ ऐसे आवश्यक टेस्ट्स के बारे में जिन्हें कराने से कुछ बीमारियों का पता प्राथमिक अवस्था में ही चल जाता है.
जब उम्र 20 से 35 वर्ष हो
20 से 30 वर्ष के पुरुष हर वर्ष नॉर्मल फ़िज़िकल चेकअप करवाएं, जिसमें वज़न, हाइट व ब्लड प्रेशर आदि चेक कराएं. लेकिन जब तीस साल की उम्र को पार कर जाएं, तो सामान्य शारीरिक जांच के साथ-साथ डायबिटीज़, हार्ट, थायरॉइड, लीवर व एनीमिया के लिए भी ज़रूरी टेस्ट्स करवाएं.
कब कराएं?
हर तीसरे वर्ष. यदि टेस्ट में कोई चीज़ असामान्य आती है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.
क्यों कराएं?
इससे कई बातों का पता चलता है, जैसे- व्हाइट सेल्स, प्लेटलेट काउंट, किडनी व लीवर की स्थिति, कोलेस्ट्रॉल लेवल, थायरॉइड, एनीमिया, डायबिटीज़ या प्रीडायबेटिक अवस्था आदि. कोई भी असाधारण स्थिति हो, तो दवाइयों से इलाज संभव है.
2. ईसीजी- इसे इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम कहते हैं, इसमें छोटी-छोटी विद्युत तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो हार्ट की क्रियाशीलता को रिकॉर्ड करती हैं.
कब कराएं?
यदि सीने में दर्द, हांफना या तेज़ धड़कन की शिकायत न हो, तो हर तीसरे वर्ष कराएं. यदि परिवार में हार्ट प्रॉब्लम का इतिहास हो या कोई रिस्क फैक्टर्स हों, तो हर साल कराए.
क्यों कराएं?
यह हृदय संबंधी समस्याओं की पहचान का मुख्य टेस्ट है.
3. चेस्ट एक्स-रे
कब कराएं?
हर तीन साल बाद.
क्यों कराएं?
इससे फेफड़ों के संक्रमण, लंग कैंसर व टी.बी. के बारे में पता चलता है.
4. सोनोग्राफ़ी
कब कराएं?
हर तीन साल बाद.
क्यों कराएं?
इससे पेट की समस्याएं, जैसे- लीवर की वृद्धि होना, किडनी स्टोन तथा गाल ब्लैडर स्टोन के बारे में पता चलता है.
जब उम्र 35 से 50 वर्ष हो
1. ट्रेडमील टेस्ट
कब कराएं?
40 वर्ष की उम्र तक हर दो साल बाद एवं उसके बाद हर साल यह टेस्ट कराएं.
क्यों कराएं?
यह एंजाइना व हार्ट अटैक के लिए ज़िम्मेदार कोरोनरी हार्ट डिसीज़ का स्क्रीनिंग टेस्ट है. इसमें बीमारी का जल्दी पता लगने से आनेवाली दुर्घटना से बचा जा सकता है.
2. इको कार्डियोग्राफ़ी
कब कराएं?
40 वर्ष की उम्र तक हर दो साल बाद एवं उसके बाद हर साल यह टेस्ट कराएं.
क्यों कराएं?
यह टेस्ट हार्ट की आरामावस्था में उसकी रचना एवं बनावट संबंधी सारी विस्तृत जानकारी देता है. यदि ब्लॉकेज है, तो उसका पता लगाने में मदद करता है. इससे आगे का इलाज कराने में आसानी होती है.
3. लंग फंक्शन टेस्ट या पलमोनरी फंक्शन टेस्ट
कब कराएं?
40 वर्ष की उम्र तक हर 2 साल बाद एवं उसके बाद हर साल यह टेस्ट कराएं.
क्यों कराएं?
यह फेफड़ों के आकार एवं क्षमता को मापता है. इससे फेफड़ों से संबंधित अनेक समस्याओं व बीमारियों, जैसे- अस्थमा व क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस का पता चल जाता है, जिससे आसानी से इलाज किया जा सकता है.
40 की उम्र के बाद डायबिटीज़ टाइप 2 के लिए एचबी 1, एएलएसी टेस्ट करवाएं. यदि शुगर लेवल 120 से लेकर 200 के बीच में है, तो तीन महीने में टेस्ट करवाएं. साथ ही ग्लूकोज़ टॉलरेंट टेस्ट भी करवाएं.
जब उम्र 50 वर्ष व उससे अधिक हो
क्या कराएं?
हर साल टाइप 2 डायबिटीज़ व लिपिड डिसऑर्डर के लिए ब्लड टेस्ट ज़रूर करवाएं. इसके अलावा इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, आंख व कान के टेस्ट्स, प्रोस्टेट व कोलोन कैंसर के लिए स्क्रीनिंग और अगर परिवार में हार्ट डिसीज़ की हिस्ट्री है या फिर सिगरेट, शराब, मोटापा, ब्लड प्रेशर जैसे रिस्क ़फैक्टर्स हैं, तो उसकी भी जांच करवाएं. मोतियाबिंद का भी चेकअप करवाते रहें. साथ ही लिवर एंज़ाइम्स के स्तर की जांच के लिए लिवर की जांच और डिप्रेशन की जांच भी ज़रूरी है. अगर उम्र 60 के पार हो, तो अलज़ाइमर्स और डेमेंशिया की जांच भी करवानी चाहिए.
ऊपर बताए टेस्ट्स के अलावा ये जांच भी करवाएं
1. ब्लड टेस्ट- ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफ़ाइल, प्रोस्टेट स्पेसिफ़िक एंटीजन. प्रोस्टेट के लिए टेस्ट बेहद महत्वपूर्ण है और इसका स्तर यदि 20 ग्राम से अधिक हो, तो सतर्क रहें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
कब कराएं?
प्रतिवर्ष.
क्यों कराएं?
एनीमिया, कोलेस्ट्रॉल लेवल, टाइप 2 डायबिटीज़ व प्रोस्टेट कैंसर की जानकारी के लिए.
2. स्टूल टेस्ट/ कोलनोस्कोपी/ अपर गैस्ट्रोइंटस्टाइनल एंडोस्कोपी (स्टूल में ब्लड पाए जाने पर)
कब कराएं?
प्रतिवर्ष.
क्यों कराएं?
गैस्ट्रोइंटस्टाइनल कैंसर की जानकारी पाने के लिए.
3.आई चेकअप, ईएनटी चेकअप, ऑडियोमेट्री (कान का चेकअप)
कब कराएं?
प्रतिवर्ष.
क्यों कराएं?
आंखों व कानों की जांच के लिए, ख़ासकर मोतियाबिंद की.
4. ईसीजी, ट्रेडमील, इकोकार्डियोग्राफ़ी
कब कराएं?
प्रतिवर्ष.
क्यों कराएं?
कोरोनरी हार्ट डिसीज़ की जानकारी के लिए.
5. बोन मिनरल डेंसिटी स्कैन
कब कराएं?
हर 2 वर्ष में.
क्यों कराएं?
हड्डियों के कमज़ोर होने की स्थिति के बारे में जानने के लिए.
ज़रूरी टेस्ट्स
नियमित रूप से डेंटल चेकअप करवाएं. इससे डेंटल प्रॉब्लम का पता जल्दी चल जाता है.
टीथ क्लीनिंग साल में 1 बार कराएं.
ध्यान रहे, मसूड़ों की बीमारी हार्ट अटैक व दिल की बीमारी से जुड़ी हुई है.
कंप्लीट आई चेकअप करवाएं स्वस्थ व्यक्ति तीन साल में एक बार कराएं.
देखने में परेशानी हो रही हो, फैमिली हिस्ट्री हो, आंख में कोई घाव हो गया
हो, मोतियाबिंद हो, तो जल्दी चेकअप करवाएं.