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tv show mere sai
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कई पॉप्युलर टीवी शोज़ में काम कर चुकीं एक्ट्रेस अनाया सोनी (tv actress Anaya Soni) अचानक मेरे साईं (mere sai show) शो कि शूटिंग के दौरान सेट्स पर बेहोश होकर गिर पड़ीं जिसके बाद उनको अस्पताल (hospitalised) में भर्ती करवाया गया. पता चला है कि उनकी किडनी फेल (kidney failure) हो चुकी है और उनकी हालत काफ़ी गम्भीर (critical) है. एक्ट्रेस ने खुद इंस्टाग्राम (Instagram) पर एक नोट लिखकर अपनी हेल्थ के बारे में जानकारी दी है.
अनाया ने लिखा है- डॉक्टर्स कह रहे हैं कि मेरी किडनी फेल हो गई है और मुझे डायलिसिस पर जाना होगा. मेरा क्रिएटिनिन 15.67 पर आ गया है और हीमोग्लोबिन 6.7 पर है. हालत गंभीर है. मैं सोमवार को अंधेरी ईस्ट के होली स्पिरिट में एडमिट हो रही हूं. मेरे लिए दुआ करें. मेरे लिए जिंदगी आसान नहीं रही है लेकिन मैं आज में जीकर और हर पल को एंजॉय करके इसे आसान बनाने की कोशिश कर रही थी. लेकिन ये टाइम आनेवाला था पता था मुझे… लेकिन यह वक्त भी गुज़र जाएगा. मेरा किडनी ट्रांसप्लांट जल्द ही होगा. डायलिसिस के बाद किडनी के लिए अप्लाई करूंगी.
अनाया फ़िलहाल डायलसिस पर हैं और उनके पिता का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट करनी होगी जिसके लिए काफ़ी पैसों की ज़रूरत है लेकिन उनकी आर्थिक हालत इतनी अच्छी नहीं है.
ये कोई पहली बार नहीं है जब एक्ट्रेस बीमार पड़ी हैं, पिछले वर्ष भी वो बीमार हुई थीं और उन्होंने आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी. अनाया लगभग सात वर्षों से एक किडनी पर ही हैं क्योंकि उनकी दोनों किडनियां ख़राब हो चुकी थीं, जिसके बाद उनके पिता ने अपनी किडनी उनको दी थी. लेकिन अब ये किडनी भी ख़राब हो चुकी है, इसलिए अब फिर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत है.
एक्ट्रेस के फैंस कमेंट करके उनके जल्द ठीक होकर पर्दे पर वापसी की दुआ कर रहे हैं. अनाया इश्क़ में मर जावां, मेरे साईं, अदालत, क्राइम पट्रोल व अन्य फ़ेमस शोज़ में काम कर चुकी हैं.

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का पॉपुलर शो ‘मेरे साईं- श्रद्धा और सबुरी’ ने दर्शकों को अपनी प्रेरित करती और समाज को संदेश देती कहानियों से दर्शकों को मोहित कर रखा है। अपनी इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुए यह शो तीन कहानियों के जरिए दहेज, अनचाही बच्ची और पति द्वारा परित्याग की गई महिला जैसे उन मुद्दों को उजागर करेगा जिनका सामना समाज में लड़कियों और महिलाओं को करना पड़ता है।
कहानी में दिखाया जाएगा कि कैसे साईं बाबा उनके लिए आशा की किरण बनकर एक ‘उम्मीद का उजाला’ बन गए, जिससे उन्हें परिस्थितियों का सामना करने और समस्या को दूर करने में मदद मिली। वर्षों से प्रासंगिक बने हुए उनकी बुद्धि और शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए निर्माताओं ने वर्तमान दुनिया में बदलाव लाने की कोशिश की है जहां महिलाएं अभी भी समान अधिकारों के लिए लड़ रही हैं।
पहली कहानी में साईं बाबा की बहन चंद्रा बोरकर का पति परिवार को त्याग देता है, क्योंकि वह ज्ञान प्राप्त करना चाहता था और इसलिए वह अपने परिवार के प्रति कर्तव्यों को अपने तरीके से एक बाधा मानता है।
अन्य कहानी में एक ऐसी लड़की जिसके माता-पिता ने उसकी शादी के समय उसे भरपूर दहेज दिया था, इस उम्मीद में कि वह उसे ससुराल में खुश रखेगी। हालांकि, इसे एक संकेत के रूप में लेते हुए उसके ससुराल वाले लड़की के माता-पिता से नियमित रूप से किसी न किसी रूप में दहेज की मांग करते रहते हैं और जब तक लड़की के माता-पिता पूरी तरह गरीब नहीं हाेे जाते वह लड़की को अंधेरे में ही रखते हैं। इस कहानी के जरिए मेकर्स इस कहानी को सामने रखकर, निर्माताओं की कोशिश दहेज प्रथा के बुरे परिणामों का प्रदर्शन करना है, जिसकी वजह से महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते हैं।
तीसरी कहानी में, एक लड़की शिरडी से बाहर एक मंदिर की सीढ़ियों पर उस महिला को मिली थी जिसने उसे गोद लिया था। सच्चाई जानने के बाद, वह अपने माता-पिता के बारे में जानने के लिए शिरडी जाने का संकल्प लेती है। वहां उसे पता चलता है कि उसे उसके परिवार द्वारा छोड़ दिया गया था, क्योंकि उनकी पहले से दो बेटियां थीं और अपने तीसरे बच्चे के रूप में वो एक बेटा चाहते थे।
इन तीन वास्तविक जीवन से प्रेरित कहानियों को जोड़कर रखती है उनकी प्रासंगिकता और साईं बाबा का दैवीय हथतक्षेप, जो न केवल व्यावहारिक समाधान देता है, बल्कि नायक की कठिनाइयों को खत्म भी करता है और उन्हें उनका वह सम्मान दिलाने में मदद भी करता है, जिसके वे हकदार हैं। इन कहानियों का बड़ा उद्देश्य यह याद दिलाना है कि समाज में महिलाओं को महत्व देना चाहिए और उनका पोषण करना चाहिए।
देखिए, मेरे साईं हर सोम से शुक्र शाम 7 बजे सिर्फ सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का पॉपुलर शो ‘मेरे साईं- श्रद्धा और सबुरी’ ने दर्शकों को अपनी प्रेरित करती और समाज को संदेश देती कहानियों से दर्शकों को मोहित कर रखा है। अपनी इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुए यह शो तीन कहानियों के जरिए दहेज, अनचाही बच्ची और पति द्वारा परित्याग की गई महिला जैसे उन मुद्दों को उजागर करेगा जिनका सामना समाज में लड़कियों और महिलाओं को करना पड़ता है।
कहानी में दिखाया जाएगा कि कैसे साईं बाबा उनके लिए आशा की किरण बनकर एक ‘उम्मीद का उजाला’ बन गए, जिससे उन्हें परिस्थितियों का सामना करने और समस्या को दूर करने में मदद मिली। वर्षों से प्रासंगिक बने हुए उनकी बुद्धि और शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए निर्माताओं ने वर्तमान दुनिया में बदलाव लाने की कोशिश की है जहां महिलाएं अभी भी समान अधिकारों के लिए लड़ रही हैं।
पहली कहानी में साईं बाबा की बहन चंद्रा बोरकर का पति परिवार को त्याग देता है, क्योंकि वह ज्ञान प्राप्त करना चाहता था और इसलिए वह अपने परिवार के प्रति कर्तव्यों को अपने तरीके से एक बाधा मानता है।
अन्य कहानी में एक ऐसी लड़की जिसके माता-पिता ने उसकी शादी के समय उसे भरपूर दहेज दिया था, इस उम्मीद में कि वह उसे ससुराल में खुश रखेगी। हालांकि, इसे एक संकेत के रूप में लेते हुए उसके ससुराल वाले लड़की के माता-पिता से नियमित रूप से किसी न किसी रूप में दहेज की मांग करते रहते हैं और जब तक लड़की के माता-पिता पूरी तरह गरीब नहीं हाेे जाते वह लड़की को अंधेरे में ही रखते हैं। इस कहानी के जरिए मेकर्स इस कहानी को सामने रखकर, निर्माताओं की कोशिश दहेज प्रथा के बुरे परिणामों का प्रदर्शन करना है, जिसकी वजह से महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते हैं।
तीसरी कहानी में, एक लड़की शिरडी से बाहर एक मंदिर की सीढ़ियों पर उस महिला को मिली थी जिसने उसे गोद लिया था। सच्चाई जानने के बाद, वह अपने माता-पिता के बारे में जानने के लिए शिरडी जाने का संकल्प लेती है। वहां उसे पता चलता है कि उसे उसके परिवार द्वारा छोड़ दिया गया था, क्योंकि उनकी पहले से दो बेटियां थीं और अपने तीसरे बच्चे के रूप में वो एक बेटा चाहते थे।
इन तीन वास्तविक जीवन से प्रेरित कहानियों को जोड़कर रखती है उनकी प्रासंगिकता और साईं बाबा का दैवीय हथतक्षेप, जो न केवल व्यावहारिक समाधान देता है, बल्कि नायक की कठिनाइयों को खत्म भी करता है और उन्हें उनका वह सम्मान दिलाने में मदद भी करता है, जिसके वे हकदार हैं। इन कहानियों का बड़ा उद्देश्य यह याद दिलाना है कि समाज में महिलाओं को महत्व देना चाहिए और उनका पोषण करना चाहिए।
देखिए, मेरे साईं हर सोम से शुक्र शाम 7 बजे सिर्फ सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर

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कहानी में दिखाया जाएगा कि कैसे साईं बाबा उनके लिए आशा की किरण बनकर एक ‘उम्मीद का उजाला’ बन गए, जिससे उन्हें परिस्थितियों का सामना करने और समस्या को दूर करने में मदद मिली। वर्षों से प्रासंगिक बने हुए उनकी बुद्धि और शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए निर्माताओं ने वर्तमान दुनिया में बदलाव लाने की कोशिश की है जहां महिलाएं अभी भी समान अधिकारों के लिए लड़ रही हैं।
पहली कहानी में साईं बाबा की बहन चंद्रा बोरकर का पति परिवार को त्याग देता है, क्योंकि वह ज्ञान प्राप्त करना चाहता था और इसलिए वह अपने परिवार के प्रति कर्तव्यों को अपने तरीके से एक बाधा मानता है।
अन्य कहानी में एक ऐसी लड़की जिसके माता-पिता ने उसकी शादी के समय उसे भरपूर दहेज दिया था, इस उम्मीद में कि वह उसे ससुराल में खुश रखेगी। हालांकि, इसे एक संकेत के रूप में लेते हुए उसके ससुराल वाले लड़की के माता-पिता से नियमित रूप से किसी न किसी रूप में दहेज की मांग करते रहते हैं और जब तक लड़की के माता-पिता पूरी तरह गरीब नहीं हाेे जाते वह लड़की को अंधेरे में ही रखते हैं। इस कहानी के जरिए मेकर्स इस कहानी को सामने रखकर, निर्माताओं की कोशिश दहेज प्रथा के बुरे परिणामों का प्रदर्शन करना है, जिसकी वजह से महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते हैं।
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