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बॉलिवुड के ऐक्टर्स केवल फिल्मों में ही नहीं बल्कि रीयल लाइफ में भी हीरो वाला काम करते हैं और आजकल सुनील शेट्टी के बारे में भी एक खबर चर्चा का विषय बनी हुई है और जिसे जानने के बाद सच में लगता है कि सुनील शेट्टी रियल हीरो हैं.
एक्शन हीरो सुनील शेट्टी को फिल्मों में तो आपने बहुत से लोगों की जान बचाते हुए और कई अच्छे काम करते देखा होगा, लेकिन हाल ही में पता चला है कि फिल्मों का ये हीरो 128 सेक्स वर्कर्स के असल जीवन में भी हीरो बनकर आया और उन्हें उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने की न सिर्फ ज़िम्मेदारी ली, बल्कि उन्हें सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया भी. और सबसे बड़ी बात कि सुनील शेट्टी ने न कभी अपने इस नेक काम की चर्चा की और न ही खुद को हीरो साबित करना चाहा. और चूंकि तब सोशल मीडिया का दौर नहीं था, तो ये बात बाहर आई ही नहीं.
अब जाकर हुआ खुलासा
सुनील शेट्टी ने तो अब तक इस मामले में चुप्पी साधे रखी थी और 24 साल पहले की इस घटना पर तब तक एक रहस्य बना रहा जब तक कि ऑपरेशन में बचाई गई महिलाओं में से एक चारिमाया तमांग ने हाल ही में इस बचाव कार्य में शेट्टी के महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में दुनिया को नहीं बताया.
क्या है पूरा मामला
1996 को मुम्बई के रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा में पुलिस ने रेड डाल दी. वजह थी एड्स से बचाव अभियान, लड़कियों को उस नरक से छुटकारा दिलाना और यौन तस्करी को रोकना. इस रेड में कुल 456 सेक्स वर्कर्स को वहां से निकाला गया, जिनमें से 128 महिलाएं नेपाल की थीं.
इस रेड के बाद भारत के अलग-अलग गांवों-शहरों से आईं महिलाओं को विभिन्न संस्थाओं की मदद से उनके शहर वापस भेज दिया गया. नेपाली महिलाओं को कुछ दिन प्रोटेक्टिव कस्टडी में रखकर उनकी एड्स की जांच वगैरह की गई. रिपोर्ट के अनुसार इनमें से दो सेक्स वर्कर्स की एड्स की वजह से मौत भी हो गई.
इनमें से अधिकांश महिलाओं के पास नागरिकता का प्रमाण नहीं था, इसलिए नेपाल सरकार उन्हें वापस लेने से डर रही थी और भारत सरकार इन्हें वेश्यावृत्ति के दलदल में जाने से रोकना चाहती थी. सरकारी दांव-पेच में वो मामला अटका हुआ था. ऐसे समय में जब हर कोई महिलाओं को सुरक्षित रूप से काठमांडू भेजने का रास्ता खोज रहा था, उसी दौरान सुनील शेट्टी ने इस खबर के बारे में सुना.
सुनील शेट्टी बने मसीहा
इन दिनों सोशल मीडिया पर पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. ये वीडियो एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म का हिस्सा है ‘द फॉरगॉटन वन्स: ह्यूमन ट्रैफिकिंग इन नेपाल’, जिसमें 1996 में कमाठीपुरा से रेस्क्यू की गईं एक नेपाली महिला चारिमाया तमांग ने खुलासा किया है, “जब सरकार इस बात को लेकर उलझन में थी कि क्या फैसला लिया जाए, उस वक्त सुनील शेट्टी ने हमारी मदद की.“ उस महिला ने बातचीत के दौरान बताया कि जब नेपाली सरकार ने उन लोगों को वापस बुलाने से इन्कार कर दिया, तब सुनील शेट्टी ने इन महिलाओं को नेपाल पहुंचाया. उनमें से सुनील शेट्टी ने 128 महिलाओं को फ्लाइट से नेपाल पहुंचवाया और इसका पूरा खर्च भी उन्होंने खुद वहन किया.
मीडिया में ज़िक्र तक नहीं किया
लेकिन इतने बड़े नेक काम का श्रेय सुनील शेट्टी ने खुद नहीं लिया, बल्कि पूरा श्रेय मुम्बई पुलिस और एनजीओ ‘सेव द चिल्ड्रन’ को दिया और उनसे ये रिक्वेस्ट भी की कि इस मामले को मीडिया से दूर रखा जाए. उनका कहना था, ‘ये ह्यूमन ट्रैफिकिंग का मामला था, जिसमें माफिया जुड़े थे. हम उन लड़कियों की जान जोखिम में नहीं डाल सकते थे, इसलिए मैंने इस घटना को मीडिया से दूर रखा.’
सुनील शेट्टी को इस बात की खुशी है कि वे 128 लड़कियां उस दलदल से निकल पाईं. जब उन्हें हाल ही में पता चला कि उन 128 लड़कियों में से एक महिला चारिमाया तमांग ने यौन तस्करी से रेस्क्यू की गई लड़कियों के लिए एक एनजीओ शुरू किया है, जिसे वर्ल्ड लेवल पर पहचान मिली है, तो वो उनके लिए बेहद खास पल था. ये वही महिला हैं, जिनकी वजह से आज सुनील शेट्टी की सच्चाई लोगों को पता चल पाई है.
खैर इस घटना के चर्चा में आने के बाद सुनील शेट्टी की लोग जी खोलकर तारीफ कर रहे हैं और उन्हें बधाइयां और दुआएं दे रहे हैं.

आज दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) की बहुचर्चित फिल्म ‘छपाक’ का ट्रेलर (Chhapaak Trailer) लॉन्च होने के साथ ही हर तरफ़ सनसनी फैला गया. छपाक में कई संवेदनशील संवाद और रोंगटे खड़े कर देनेवाले दृश्य हैं, जिसे देख हर किसी के मन में कई सवाल ज़रूर उठेंगे.
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जैसा कि दीपिका ने कल ही कुछ अलग अंदाज़ में छपाक के ट्रेलर को लेकर लोगों के मन में उत्सुकता पैदा की थी. आज ट्रेलर देखने पर लोगों की नहीं दीपिका की भी आंखें नम हो गईं.
फिल्म का ट्रेलर देखकर दीपिका पादुकोण की बेहतरीन अदाकारी को सलाम करने का दिल करता है. उस पर मेघना गुलज़ार की लाजवाब निर्देशन फिल्म को एक अलग ही ऊंचाई देती है. एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल पर बनी छपाक दर्शकों को बहुत को सोचने पर मजबूर करती है. इस तरह से पीड़ित महिला का जीवन कितना कष्टकर होता है, यह उससे बेहतर कोई नहीं समझ सकता.
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