अनुष्का शर्मा ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर किया है. अनुष्का शर्मा ने कहा कि वो अपना नाम भारतीय क्रिकेट से जुड़े किसी भी विवाद में फंसने नहीं देंगी. अनुष्का शर्मा ने ये पोस्ट इसलिए लिखी, क्योंकि अनुष्का शर्मा के लिए पूर्व क्रिकेटर फारुख इंजीनियर ने कहा कि वर्ल्ड कप के दौरान चयनकर्ताओं ने अनुष्का शर्मा को चाय परोसी थी. खुद पर लगाए गए इस आरोप का जवाब देते हुए अनुष्का शर्मा ने अपनी चुप्पी तोड़ी और एक लंबी-चौड़ी पोस्ट लिखकर उन पर लगाए गए आरोप का करारा जवाब दिया. फारुख इंजीनियर के इस दावे पर नाराजगी जताते हुए अनुष्का शर्मा ने कहा कि उनकी चुप्पी को उनकी कमजोरी न समझा जाए.
अनुष्का शर्मा ने अपनी पोस्ट में लिखा है:
मनगढ़ंत और फर्जी खबरों से कैसे निपटा जाए, इस बारे में मेरी यही राय है कि चुप रहें और आलोचकों को बोलने दें. मैंने इसी तरह अपने 11 साल के करियर में चीजें संभाली हैं. मैंने हमेशा अपनी चुप्पी की परछाईं में अपने आत्मसम्मान और सच्चाई को पूरी मज़बूती के साथ खड़े पाया.
वो इतनी बार झूठ बोलते हैं कि झूठ भी आखिर में सच लगने लगता है और मुझे इस बात का डर है कि मेरे साथ आखिर क्या हो रहा है. मेरी चुप्पी के कारण ही मेरे खिलाफ बोले गए झूठ सच लगने लगे हैं, लेकिन आज इसका अंत होगा.
मैं हमेशा से चुप रहती आई हूं. मैं उस समय भी चुप रही जब मेरे पति विराट कोहली के प्रदर्शन के लिए भी मुझे ही जिम्मेदार ठहराया गया. क्रिकेट से जुड़ी कई चीजों के लिए मेरा नाम शामिल किया गया. मेरा नाम ऐसे मामलों में भी उछाला गया कि मैं बंद कमरों में होने वाली क्रिकेट टीम की बैठकों में शामिल होती हूं और टीम का सिलेक्शन मेरे वजह से प्रभावित होता है. मेरे लिए यह भी कहा गया कि मैं अपने पति के साथ विदेशी दौरे पर ज्यादा समय गुजारती हूं. मैंने हमेशा सारे प्रोटोकॉल फॉलो किये हैं, फिर भी हमेशा चुप रही.
अनुष्का शर्मा अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रोल होती रहती हैं, कभी अनुष्का शर्मा को विराट कोहली के खराब परफॉर्मेंस के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, तो कभी टीम इंडिया की हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ दिया जाता है. इसी तर्ज पर बीते दिनों पूर्व क्रिकेटर फारुख इजीनियर ने कहा था कि वर्ल्ड कप के दौरान चयनकर्ताओं ने अनुष्का को चाय परोसी थी.
खुद पर लगाए जा रहे आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अनुष्का शर्मा ने एक लंबी-चौड़ी पोस्ट लिखकर इन तमाम आरोपों का करारा जवाब दिया.
अनुष्का शर्मा ने खुद पर लगाए अरोप के जवाब में कहा कि मैंने आज बोलने का फैसला किया, क्योंकि किसी की चुप्पी को कभी उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए.
आईसीसी विमन्स वर्ल्ड कप २०१७ (ICC Women’s World Cup) में भारत की टीम ने आख़िर सबकी उम्मीदों के मुताबिक़ अपने आख़री लीग मैच में उम्दा प्रदर्शन करते हुए न्यूज़ीलैंड (New Zealand) को आसानी से हरा दिया और सेमीफ़ाइनल में अपनी जगह पक्की की.
भारतीय टीम (Team India) ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए २६५ रन बनाए, कैप्टन मिताली राज ने १०९, कृष्णामूर्ति ने ७० और कौर ने ६० रनों की उम्दा पारी खेली.
न्यूज़ीलैंड की टीम जल्दी ही ७९ रनों पर ही सिमट गई और भारतीय टीम ने उसे १८६ रनों से उसे हराया.
भारत की स्पिन गेंदबाज़ी के सामने विरोधी टीम टिक नहीं पाई. रजेश्वरी गायकवाड़ ने ५ विकेट लिए और टीम को जीत की दिशा में आगे बढ़ाया.
अपनी किलर रेड्स और सुपर हॉट अंदाज़ के लिए फेमस इंडिया के स्टार कबड्डी प्लेयर अजय ठाकुर सबके फेवरेट हैं. क्या कहते हैं अजय इस कबड्डी वर्ल्ड कप और अपनी परफॉर्मेंस पर, उन्हीं से जानते हैं-
अजय के अजेय आंकड़े
अजय आंकड़ों के लिहाज़ से अब तक के सबसे सफल भारतीय खिलाड़ी हैं. अजय के नाम 41 रेड अंक हैं और वह सबसे अधिक रेड अंक जुटानेवाले खिलाड़ियों की सूची में चौथे स्थान पर हैं. इसी तरह अजय ने अब तक कुल 34 सफल रेड लगाई हैं और इस सूची में भी वह चौथे स्थान पर हैं.
18 साल की उम्र में देश के लिए पहली बार खेले
अजय 18 साल की उम्र में पहली बार भारत के लिए खेले थे और आज की तारीख़ में वह भारत के सबसे अच्छे रेडरों में से एक हैं. इसका सबूत अजय ने अपने खेल के माध्यम से दिया. अजय कहते हैं कि कबड्डी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है और अब वह उसे लौटाने की कोशिश में जुटे हैं.
स़िर्फ जीत मायने रखती है
अजय ने कहा, मेरे लिए यह मायने नहीं रखता कि मेरे सामने कौन-सी टीम है. सेमिफाइनल हो फाइनल या फिर पहला मैच हो, मैं यह बिल्कुल नहीं सोचता कि मेरे सामने कौन-सी टीम है. मैं बस जीत के बारे में सोचता हूं और उसी दिशा में अपनी तैयारियां करता हू्ं.
कोरिया से हारना सबक बना
तो क्या कबड्डी विश्व कप के पहले ग्रुप मैच में कोरिया से हारने के बाद भी अजय को कोई फर्क नहीं पड़ा था? इसके जवाब में अजय कहते हैं, बिल्कुल फर्क पड़ा था. यह खेल है. यहां कुछ भी हो सकता है. कबड्डी ऐसा खेल है, जहां कुछ भी हो सकता है. सब खेलों से हट के है यह कबड्डी. आप इसमें आश्वस्त नहीं हो सकते कि आप जीतोगे ही.
ज़रूरी नहीं की स्ट्रैटजी के अनुसार खेलें
हिमाचल प्रदेश के निवासी अजय ने कहा कि कबड्डी में हर टीम के लिए एक खास रणनीति बनाई जाती है, लेकिन उस रणनीति पर पूरी तरह अमल हो, इसकी कोई गारंटी नहीं होती है. अजय ने कहा, देखिए, हम हर टीम के साथ रणनीति बनाकर चलते हैं लेकिन उस पर अमल होगा, यह कोई ज़रूरी नहीं. कई मौक़ों पर हमें मैट पर जाने से पहले या मैट पर पहुंचने के बाद अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ता है. यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि विपक्षी टीम किन सात खिलाड़ियों के साथ उतरी है और उसकी रक्षापंक्ति की संरचना क्या है.
मैट पर दिमाग़ दौड़ाते रहते हैं कप्तान अनूप
अजय ने कहा, कई बार विपक्षी टीम हमारे कप्तान अनूप कुमार को लेकर रणनीति बनाती है, लेकिन वह उसमें फेल हो जाती है, क्योंकि कप्तान होने के नाते अनूप मैट पर स़िर्फ दिमाग़ दौड़ाने का काम करते हैं और रेड के लिए नहीं जाते. ऐसे में मुझे, प्रदीप नरवाल और राहुल चौधरी को रेड करनी होती हैं. हमारे कप्तान की यह ख़ासियत है कि वह मैट पर पहुंचने के बाद दिमाग़ी तौर पर बेहद सक्रिय हो जाते हैं और लगातार हमारी ग़लतियों पर कमेंट करते हैं. वह हमें लगातार बताते रहते हैं कि बेशक पिछली रेड में तू अंक लेकर आया, लेकिन तूने कुछ ग़लतियां की थीं और पकड़ा जा सकता था. इसी तरह से वह एक कप्तान की भूमिका अदा करते हैं.
भारत और ईरान खेलेगा फाइनल!
विश्व कप का फाइनल किन दो टीमों के बीच होना चाहिए, इस सम्बंध में अजय का भी मानना है कि उनकी चाह यही है कि फाइनल तो भारत और ईरान के बीच ही होना चाहिए, क्योंकि यही दो टीमें सबसे शक्तिशाली हैं. बकौल अजय, फाइनल में मज़ा भी आना चाहिए और ईरान तो बहुत अच्छी टीम है. हमने अपने अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट के फाइनल ईरान के साथ ही खेले हैं. 2014 एशियाई खेलों का फाइनल भी हमारे और ईरान के बीच हुआ था, इसलिए कम से कम मैं तो यही चाहूंगा कि फाइनल में हमारा सामना ईरान से हो तो यह खेल के लिए बेहतर होगा.
उल्लेखनीय है कि कबड्डी विश्व कप के सेमीफाइनल मुकाबले शुक्रवार को ही खेले जाने हैं. पहले सेमिफाइनल में ईरान का सामना दक्षिण कोरिया से होगा, जबकि दूसरे सेमीफाइनल में भारत का सामना थाईलैंड से होगा.
अक्सर देखा गया है कि क्रिकेट से दूर होने पर खिलाड़ी लाइम लाइट में नहीं रहते, लेकिन वीरू पाजी के लिए मैदान चाहे क्रिकेट का हो या ट्वीट का, हर जगह बस चलती है, तो उन्हीं की. अपने ट्विटर पर शानदार, ज़ोरदार और ज़बर्दस्त कमेंट से सहवाग ने ट्वीट वर्ल्ड में लोगों को अपना दीवाना बना लिया है. स़िर्फ क्रिकेट ही नहीं, बल्कि वीरू हर खेल के दीवाने हैं और शायद इसीलिए वो अपना व्यू ट्वीट के ज़रिए अपने फैन्स तक पहुंचाते रहते हैं.
नजफगढ़ के नवाब ने हाल ही में कबड्डी विश्व कप से बाहर हुई इंग्लैंड टीम पर चुटकी लेते हुए कुछ इस तरह से कमेंट किया, इंग्लैंड एक बार फिर वर्ल्ड कप से बाहर हो गया, बस इस बार उसका खेल बदल गया. इस बार वह कबड्डी में हारा है. भारत ने 69-18 से मैच उन्हें हराया. सेमिफाइनल के लिए शुभकामनाएं.
अगर आप सोच रहे होंगे कि वीरू ने बस यूं ही ट्वीट कर दिया, तो आप ग़लत हैं. असल में वीरू की ट्वीटर लड़ाई थोड़ी पुरानी है. असल में देखा जाए, तो अपने इस ट्वीट के ज़रिए इंग्लैंड के जर्नलिस्ट पियर्स मॉर्गन पर निशाना साधा है. चलिए अब हम आपको वो वाकया भी बता देते हैं, जब वीरू और मॉर्गन की ट्वीट लड़ाई शुरू हुई थी. रियो ओलिंपिक के दौरान भारत के लिए पीवी सिंधु और साक्षी मलिक के मेडल जीतने पर हो रहे जश्न पर मॉर्गन ने ट्वीट किया था कि सवा सौ अरब की जनसंख्या वाला देश स़िर्फ 2 मेडल्स जीतकर ख़ुशी मना रहा है. यह कितना शर्मनाक है? मॉर्गन के इस ट्वीट का जवाब देने में हमारे वीरू पाजी ने ज़रा भी देर नहीं लगाई थी. उन्होंने तुरंत मॉर्गन के इस ट्वीट का जवाब दिया और लिखा, हम हर छोटी ख़ुशी का भी मज़ा लेते हैं. जिस देश ने क्रिकेट की शुरुआत की यानी इंग्लैंड वह आज तक वर्ल्ड कप नहीं जीत सका और फिर भी वर्ल्ड कप खेलता है. क्या यह शर्मनाक नहीं है?
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि आख़िर क्यों वीरू ने कबड्डी विश्वकप से बाहर हुई इंग्लैंड की टीम पर इस तरह का ट्वीट किया. अब ट्वीट पर मॉर्गन के जवाब का वेट किया जा रहा है. देखते हैं मॉर्गन इस पर किस तरह से प्रतिक्रिया करते हैं. इतना तो तय है कि मॉर्गन के ट्वीट से ट्विटर फैन्स को आनंद तो बहुत आएगा.
सपने तो सभी देखते हैं, लेकिन उन सपनों को पूरा करने का जज़्बा हर किसी में नहीं होता, क्योंकि हर सपने की क़ीमत होती है, हर सपने को पूरा करने के लिए हिम्मत की ज़रूरत होती है. कठिन से कठिन रास्तों को पार करना इतना आसान भी नहीं होता, लेकिन अगर इंसान में हिम्मत, लगन और हौसला है, तो उसकी मेहनत ज़रूर रंग लाती है. आज की तारीख़ में इन तमाम शब्दों का पर्याय बन चुका है कबड्डी का यह सितारा, जिसका नाम दीपक निवास हुड्डा है. अपने नाम ही की तरह वो देश का नाम रौशन करने की दिशा में क़दम बढ़ा रहे हैं. वर्ल्ड कप में खेलने के अपने अनुभवों को दीपक ने हमारे साथ शेयर किया.
देश को वर्ल्ड कप में रिप्रेज़ेंट करने की फीलिंग शेयर करना चाहेंगे?
हर प्लेयर का यह सपना होता है कि वो अपने देश के लिए खेले और वर्ल्ड कप खेलना तो वाकई मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात है. यह प्राउड मोमेंट है, जिसका एहसास शायद शब्दों में भी बयां नहीं किया जा सकता.
जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं, उससे लग रहा है कि यदि हम फाइनल में पहुंचते हैं, तो…
यदि नहीं… हम फाइनल खेल रहे हैं. पक्के तौर पर हम फाइनल में पहुंचेंगे.
अच्छी बात है कि आप सभी बहुत कॉन्फिडेंट हैं, मगर फाइनल में हमें रिपब्लिक ऑफ कोरिया का ही फिर सामना करना पड़ेगा, ऐसे में पहली हार का कोई मनोवैज्ञानिक दबाव तो नहीं होगा टीम इंडिया पर?
मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि फाइनल मैच पूरी तरह से वन साइडेड होेनेवाला है और हम गोल्ड मेडल लेकर ही घर लौटेंगे, उससे कम कुछ भी नहीं.
इसका मतलब पहले मैच में हार का असर टीम पर बिल्कुल भी नहीं है अब?
पहले मैच में हमारी स्ट्रैटिजी में थोड़ी कमी रह गई थी, इसीलिए हमारी हार हुई, लेकिन अब हम पूरी तरह से तैयार हैं और वो ग़लती अब नहीं दोहराई जाएगी.
कबड्डी को एक गेम की तरह इंडिया में किस तरह से देखते हैं आप?
कबड्डी का फ्यूचर बहुत ब्राइट है, न स़िर्फ इंडिया में, बल्कि अब तो सारी दुनिया कबड्डी की दीवानी हो गई है. बहुत जल्द हम इसे ओलिंपिक्स में भी देखेंगे.
टीम इंडिया बेहद स्ट्रॉन्ग है, लेकिन कोई तो ऐसी टीम होगी, जिससे टीम को चुनौती मिल सकती है?
जी हां, खेल में हम किसी को भी कम नहीं आंक सकते, सभी टीम जीत के इरादे से ही मैट पर उतरी हैं, मेरे हिसाब से ईरान बेहद स्ट्रॉन्ग टीम है.
किस टीम की परफॉर्मेंस ने आपको सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है?
केन्या और जापान बहुत ही अच्छा खेल रही हैं.
प्लेयर के लिए बेहद ज़रूरी है फिटनेस बनाए रखना, आप क्या करते हैं?
मैं सुबह और शाम 3-3 घंटे प्रैक्टिस करता हूं, एक्सरसाइज़, डायट सभी का ख़्याल रखता हूं, ऑयली और फैटी चीज़ें अवॉइड करता हूं, क्योंकि फिटनेस से कोई समझौता नहीं हो सकता.
आपने कबड्डी को करियर के तौर पर कैसे चुना?
मेरी मम्मी बचपन में ही गुज़र गई थीं, मैं जब 12वीं में था, तो घर की फाइनेंशियल कंडिशन बहुत ज़्यादा अच्छी नहीं थी, यही वजह थी कि मैंने तब कबड्डी को चुना, क्योंकि उसमें जॉब्स के चांसेस बढ़ जाते हैं और आज मैं बेहद ख़ुश हूं अपने उस निर्णय से.
एक रेडर के तौर पर किस डिफेंडर से सबसे ज़्यादा ख़तरा लगता है आपको?
डिफेंडर सभी ख़तरनाक ही होते हैं. कहा नहीं जा सकता कि कौन कब कैच कर ले, तो सभी से अलर्ट रहना पड़ता हैै.
आप एक ऑल राउंडर हैं, तो रेडिंग करना ज़्यादा चैलेंजिंग लगता है या डिफेंड?
दोनों ही चैलेंजिंग है. मुझे रेडिंग ज़्यादा चैलेंजिंग लगती है, क्योंकि आपको सामनेवाली टीम के इतने खिलाड़ियों के बीच से पॉइंट निकालना होता है. लेकिन डिफेंस भी अपने आप में पूरे दमखम वाली भूमिका होती है, जहां आपको रेडर को अपने दम और टेक्नीक के ज़रिए रोकना होता है.
लीग के लिए खेलना और टीम इंडिया के लिए खेलना- क्या फ़र्क होता है दोनों में?
लीग में हमारे पास ऑप्शन्स होते हैं, अपनी ग़लतियों को ठीक करने का ज़्यादा समय भी होता है, लेकिन यहां किसी भी ग़लती की कोई माफ़ी नहीं. हमें हर मैच को पूरी सतर्कता व परिपक्वता के साथ खेलना होता है, क्योंकि हम अपने देश के लिए खेल रहे होते हैं, ऐसे में ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है.
अन्य स्पोर्ट्स से कबड्डी को आप किस तरह से कंपेयर करते हैं?
अन्य स्पोर्ट्स काफ़ी लंबे अरसे से चले आ रहे हैं, तो उनके साथ कंपैरिज़न करना सही नहीं, लेकिन दूसरी तरफ़ यह भी सच है कि कबड्डी ने बहुत ही कम समय में लोगों के दिलों में ज़्यादा जगह बनाई है. आज लोग अन्य स्पोर्ट्स के मुक़ाबले कबड्डी देखना अधिक पसंद करते हैं.
कोई ऐसा प्लेयर जो आपको सबसे ज़्यादा इंस्पायर करता हो?
जी अजय ठाकुर. वो मेरा दोस्त भी है और बहुत मेहनती प्लेयर है. उससे मुझे काफ़ी प्रेरणा व हौसला मिलता है.
एक अच्छा प्लेयर बनने के लिए कौन-सी स्किल्स सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं?
पेशेंस और फिटनेस.
आपका फेवरेट एक्टर कौन है?
रणबीर कपूर.
फेवरेट एक्ट्रेस?
दीपिका पादुकोण.
फेवरेट फूड?
गुलाब जामुन.
मीठा तो फैटी होता है?
जी, इसीलिए जब मैचेस नज़दीक होते हैं, तो कंट्रोल करता हूं, पर मुझे गुलाब जामुन बेहद पसंद है.
फैन्स के लिए कोई मैसेज?
सभी देशवासियों को यही कहना चाहूंगा कि हम आपको निराश नहीं करेंगे. वर्ल्ड कप हमारा है. गोल्ड से कम कुछ नहीं है हमारे लिए और सभी की दुआएं हैं हमारे साथ, तो हम बेहतरीन परफॉर्मेंस से सबको ख़ुश करेंगे.
रोहित कुमार… खिलाड़ी कुमार… या फिर अक्की… कबड्डी के फैन्स समझ ही जाते हैं कि इन नामों के ज़रिए हम बात एक ही शख़्स की कर रहे हैं, वो हैं यंग, डायनैमिक और बेहतरीन रेडर रोहित छिल्लर. फैन्स को उम्मीद थी कि अपने इस फेवरेट प्लेयर को वो कबड्डी वर्ल्ड कप में मैट पर अपना जौहर दिखाते हुए देख पाएंगे, पर ऐसा नहीं हो पाया… लेकिन रोहित के चाहनेवाले ही नहीं बल्कि कबड्डी के सभी फैन्स उन्हें कबड्डी वर्ल्ड कप में एक्सपर्ट के तौर पर अपना स्पेशल ओपिनियन देते देखकर ख़ासे प्रभावित भी हैं और बेहद ख़ुश भी. अपने इस नए रोल, इससे जुड़े चैलेंजेस, कबड्डी वर्ल्ड कप पर एक्सपर्ट ओपिनियन व खेल की तमाम बारीक़ियों के बारे में रोहित का क्या कहना है, बेहतर होगा हम उन्हीं से पूछ लें.
वर्ल्ड कप में भले ही आप टीम में नहीं हैं, लेकिन फिर भी एक नए रोल में और नए अंदाज़ में अपने फैन्स के साथ जुड़े हैं, उसके लिए बधाई!
शुक्रिया, थैंक यू सो मच.
एक एक्सपर्ट के तौर पर आप मैच व गेम्स का विश्लेषण कर रहे हैं, कितना चुनौतीपूर्ण लग रहा है यह काम?
सच कहूं तो मज़ा आ रहा है. यह सच है कि बहुत चैलेंजिंग रोल है यह और ख़ासतौर से एक कबड्डी प्लेयर के लिए तो और भी ज़्यादा चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि आपने भी देखा होगा कि हम काफ़ी कम बोलते हैं और थोड़े शाय (शर्मीले) नेचर के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे झिझक दूर हो रही है, प्रैक्टिस हो रही है, बहुत कुछ नया सीखने को मिल रहा है.
एक विश्लेषक के तौर पर आपकी यह नई पारी है, तो क्या महसूस कर रहे हैं- रेडिंग ज़्यादा आसान है या एक्सपर्ट ओपिनियन देना?
मैं एक प्लेयर हूं और पिछले 13-14 सालों से कबड्डी खेल रहा हूं, तो ज़ाहिर है मेरे लिए रेडिंग ही आसान है. पोस्ट मैच ओपिनियन मेरे लिए न्यू फील्ड है, तो ये थोड़ा-सा मुश्किल है, लेकिन काफ़ी मज़ा भी आ रहा है, तो मैं एंजॉय कर रहा हूं.
टीम इंडिया के कितने चांसेज़ लग रहे हैं वर्ल्ड चैंपियन बनने के?
जी 99%.
100% क्यों नहीं?
क्योंकि यह एक गेम है और कबड्डी में तो आप पूरी तरह से आश्वस्त हो ही नहीं सकते, क्योंकि यह गेम ही ऐसा है. अंतिम क्षणों में बाज़ी पलट जाती है, किसी की जीत हार में और किसी की हार जीत में बस कुछ सेकंड्स में बदल जाती है. इंडियन टीम बेहद स्ट्रॉन्ग है, लेकिन बाकी की टीम्स भी पूरी तैयारी के साथ आई हैं, तो हम उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते.
पहले मैच में भारतीय टीम रिपब्लिक ऑफ कोरिया से लास्ट मिनट में जीता हुआ मैच हार गई, क्या यह टीम इंडिया के ओवर कॉन्फिडेंस का नतीजा था?
थोड़ा-सा यह कारण भी था, क्योंकि हमारी टीम के सभी प्लेयर्स इतने स्ट्रॉन्ग हैं कि सभी में मैच जिताने की पूरी क्षमता है. इसी के चलते सभी कुछ न कुछ ग़लतियां भी करते गए कि अगर मैं पॉइंट नहीं ला पाया, तो वो ले आएगा… अगर मैं आउट हो गया, तो दूसरा प्लेयर संभाल लेगा, तो शायद ये थोड़ा-सा ओवरकॉन्फिडेंस ही था, जिससे रिज़ल्ट थोड़ा शॉकिंग आया, लेकिन यह आगे नहीं होगा.
टीम इंडिया को सबसे ज़्यादा चुनौती किस टीम से है?
ईरान से, क्योंकि वो भी काफ़ी अच्छी टीम है.
जांग कुन ली जिस तरह की फॉर्म में हैं और आख़िर के 5-7 मिनटों में जो कमाल कर रहे हैं, उस पर क्या कहना है?
वो एक बेहतरीन खिलाड़ी है और उसकी सबसे बड़ी ख़ूबी ही यह है कि वो डरकर नहीं खेलता. उसकी सोच यही होती है कि पॉइंट्स लाने हैं, तो लाने ही हैं और एक अच्छे रेडर की निशानी यही होती है कि भले ही वो पूरे मैच में अच्छा न कर पाया हो, लेकिन जिस व़क्त उसकी टीम को सबसे ज़्यादा पॉइंट्स की ज़रूरत होती है, उस व़क्त वो पॉइंट्स लाए. ऐसे में ली एक गेम चेंजर की भूमिका निभाता है, जो परिस्थितियों के अनुसार खेलता है.
क्या टीम इंडिया जांग कुन ली व इसी तरह के अन्य रेडर्स को आगे के गेम्स में रोकने में कामयाब हो पाएगी?
टीम इंडिया व अन्य टीम्स भी एक-दूसरे के गेम्स को फॉलो करती ही हैं और हमारे पास मंजीत छिल्लर जैसे वर्ल्ड के टॉप डिफेंडर भी हैं. रेडर्स चाहे जितने भी ख़तरनाक हों, उन्हें मंजीत भाई देख लेंगे और मंजीत के अलावा भी सुरेंद्र नाडा व मोहित छिल्लर भी हैं, जिनसे रेडर्स ख़ुद डरते हैं. तो हमारी टीम टॉप लेवल की है, जिसमें सभी प्लेयर्स बहुत ही परिपक्व व इंटेलिजेंट हैं.
वर्ल्ड कप टीम में आपका सिलेक्शन नहीं हो पाया, क्या इसे लेकर कुछ डिसअपॉइंटमेंट है? आपके फैन्स काफ़ी शॉक्ड हैं इसे लेकर, क्योंकि आपकी परफॉर्मेंस के हिसाब से तो टीम में आपकी भी जगह बनती थी.
जी मैं भी शॉक्ड हूं. डिसअपॉइंटमेंट तो बिल्कुल है, लेकिन चूंकि मेरी तबीयत उन दिनों ठीक नहीं थी, तो शायद यही वजह है कि मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाया. अगर कोच साहब थोड़ा-सा कॉन्फिडेंस दिखाते, तो मैं भी सिलेक्ट हो सकता था.
लेकिन अब आप एक्सपर्ट के तौर पर न्यू चैलेंजिंग रोल निभाते हुए कबड्डी वर्ल्ड कप से जुड़ गए हैं और आपके फैन्स आपको इस रोल में बेहद पसंद भी कर रहे हैं, तो क्या डिसअपॉइंटमेंट कुछ कम हुआ?
जी बिल्कुल, सच कहूं तो फैन्स के प्यार ने मुझे सब कुछ भुला दिया. सिलेेक्ट न हो पाने का सारा दर्द अब चला गया. फैन्स के मैसेजेस पढ़कर सुकून मिलता है. वो मुझसे बेहद प्यार करते हैं, मैं हमेशा उनकी उम्मीदों पर खरा उतरूं और उन्हें अपनी परफॉर्मेंस से हमेशा ख़ुश करता रहूं यही कोशिश रहेगी. उन्हें थैंक्यू कहना चाहूंगा, मेरी तकलीफ़ को कम करने में जो मदद उनके प्यार भरे मैसेजेस करते हैं उसके लिए उनका शुक्रगुज़ार हूं.
किस टीम ने आपको अब तक अपने गेम से सबसे ज़्यादा प्रभावित किया या चौंका दिया?
केन्या की परफॉर्मेंस आउटस्टैंडिंग रही, जिसने ईरान जैसी टीम के आगे आसानी से घुटने नहीं टेके और अपने उम्दा खेल से उसे टक्कर दी. बाकी जापान व थाईलैंड भी अच्छा कर रही हैं.
ऐसा लगता है कि कबड्डी को अभी भी वो पहचान नहीं मिली, जो अन्य खेलों व खिलाड़ियों को मिली है?
देखिए, ये तो ज़ाहिर-सी बात है कि जितने पॉप्युलर क्रिकेट या अन्य गेम्स हैं, कबड्डी अब तक उस मुक़ाम तक तो नहीं पहुंची, लेकिन यह भी ध्यान देना होगा कि ये तमाम स्पोर्ट्स लंबे अरसे से चल रहे हैं, जबकि कबड्डी को कुछ ही साल हुए मेन स्ट्रीम में आए हुए. उस हिसाब से कबड्डी कम समय में काफ़ी पॉप्युलर हुई है और अगले चंद ही सालों में ये और भी आगे जाएगी.
ओलिंपिक्स में अब तक कबड्डी शामिल नहीं हो पाई है?
अगले कुछ ही सालों में ऐसा हो जाएगा, क्योंकि वर्ल्ड कप में कई बड़े देश पहली बार हिस्सा ले रहे हैं, यह काफ़ी बड़े पैमाने पर हो रहा है, तो वो दिन भी अब दूर नहीं, जब कबड्डी को ओलिंपिक्स में देखने का हम सबका यह सपना पूरा होगा.
यूं तो सभी प्लेयर्स अपनी फिटनेस पर ध्यान देते हैं, पर आप अपनी फिटनेस पर काफ़ी ध्यान देते हैं, तो क्या ख़ास करते हैं?
सुबह 2 घंटे वॉकिंग-रनिंग करता हूं, शाम को जमकर प्रैक्टिस करता हूं. नाश्ते में 10 अंडे, शाम को भी 10 अंडे, लंच में प्रोटीन और रात को सलाद व फ्रूट्स लेता हूं. हेल्दी डायट और एक्सरसाइज़ बहुत ज़रूरी है.
आपका फेवरेट ऐक्टर कौन है, यह आपको जाननेवालों को पूछने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि हम सभी जानते हैं कि आप अक्षय कुमार के सबसे बड़े फैन हैं, लेकिन फेवरेट एक्ट्रेस कौन है?
मेरी कोई भी फेवरेट एक्ट्रेस नहीं है. मुझे बस अक्षय कुमार की मूवीज़ देखना ही पसंद है. एक्ट्रेस सभी अच्छी हैं, लेकिन कोई ख़ास मेरी फेवरेट हो, ऐसा नहीं.
आपकी हॉबीज़ क्या हैं?
फ्री टाइम में मैं मूवीज़ देखता हूं या फ्रेंड्स के साथ टाइम स्पेंड करता हूं, बातें करता हूं. कुल मिलाकर एंजॉय करता हूं.
द एरेना बाय ट्रांसस्टेडिया में चल रहे कबड्डी विश्व कप-2016 के पहले मैच में मेजबान भारत को मात देने वाली दक्षिण कोरिया ने अपनी जीत का क्रम जारी रखते हुए गुरुवार को अपने तीसरे मैच में बांग्लादेश को मात देते हुए जीत की हैट्रिक पूरी कर ली. कोरिया ने ज़बरदस्त खेल का प्रदर्शन करते हुए बांग्लादेश को रोचक मुकाबले में 35-32 से हराया.
इसके साथ ही उसने सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली. इस जीत के बाद वह अंकतालिका में भारत को पछाड़ते हुए फिर से शीर्ष पर पहुंच गया है. कोरिया की जीत में जांग कुन ली ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने 15 अंक हासिल किए जिसमें 12 रेड अंक शामिल हैं. बांग्लादेश ने मैच की शानदार शुरुआत की और लगातार 10 अंक हासिल किए. इसके बाद डोंग जिओन ली ने सफल रेड करते हुए कोरियाई टीम का खाता खोला. बांग्लादेश ने एक समय 12-2 से बढ़त ले ली थी, लेकिन कोरिया ने दमदार वापसी की और पहले हाफ की समाप्ति तक स्कोर 15-15 से बराबर कर लिया.
कोरिया को बराबरी दिलाने में अहम योगदान जिओन ली और ताए बिओम किम का रहा. दोनों ने पहले हाफ तक क्रमश: चार और तीन अंक हासिल किए. दूसरा हाफ कुन ली के नाम रहा. पहले हाफ की तरह ही बांग्लादेश ने दूसरे हाफ की भी दमदार शुरुआत की और लगातार तीन अंक जोड़े. कोरिया ने वापसी की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई तब तक बांग्लादेश ने स्कोर 26-19 कर लिया था. दूसरे हाफ के 35वें मिनट में बांग्लादेश के सबुज मियां को ग्रीन कार्ड भी मिला.
मुकाबला रोचक हो रहा था और बांग्लादेश 30-26 से आगे थी, लेकिन जांग कुन ली ने तीन अंक हासिल करते हुए स्कोर 29-30 कर दिया और फिर एक और अंक हासिल करते हुए स्कोर 30-30 से बारबर कर दिया. कोरिया ने इसके बाद बांग्लादेश को ऑल आउट किया, जो उसकी जीत में अहम साबित हुआ. बांग्लादेश के लिए कप्तान अरुदुजमान मुंशी ने सर्वाधिक आठ अंक जोड़े. जियाऊर रहमान ने सात अंक लेने में सफलता हासिल की. कोरिया ने रेड से 22 अंक हासिल किए और टैकल से छह अंक अपने खाते में डाले. उसे चार ऑल आउट अंक और तीन अतिरिक्त अंक मिले.बांग्लादेश ने रेड से 12 अंक अर्जित किए. उसके हिस्से 11 टैकल अंक आए. उसने चार ऑल आउट अंक अपने खाते में डाले. बांग्लादेश ने पांच अतिरिक्त अंक भी जोड़े. वैसे अगर देखा जाए, तो इस साल कबड्डी विश्व कप में रोचक मैच देखने को मिल रहे हैं. दर्शकों का उत्साह मैच दर मैच बढ़ता जा रहा है. हर टीम अपना बेस्ट लगाने में एड़ी चोटी का दम लगा रही है.
7 अक्टूबर 2016 से कबड्डी वर्ल्ड कप शुरू हो रहा है, ऐसे में टीम इंडिया की कमान है हमारे कैप्टन कूल अनूप कुमार (Anup Kumar) के हाथ में, जो अपने शांत मिज़ाज और विपरीत परिस्थितियों में भी सही निर्णय लेने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. क्या कहना है उनका टीम के बारे में, कबड्डी के बारे में और अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में, आइए उन्हीं से जानते हैं-
भारत में कबड्डी का फ्यूचर किस तरह से देखते हैं आप? कबड्डी का फ्यूचर बहुत ही ब्राइट है इंडिया में. हमारी मिट्टी से जुड़ा खेल है और भविष्य में यह और भी ऊंचाइयों को छुएगा.
टीम इंडिया की वर्ल्ड कप की तैयारी कैसी है? वर्ल्ड कप की तैयारी बहुत ही बढ़िया है. हम सभी कैंप्स में बहुत मेहनत कर रहे हैं. आख़िर मेहनत से ही तो बेहतर परिणाम मिलते हैं.
सबसे टफ अपोनेंट कौन लग रहा है? सभी टीमें बहुत अच्छी हैं, हम किसी को भी कम नहीं आंक सकते. वो भी उतनी ही मेहनत करते हैं और जीत के जज़्बे के साथ ही मैट पर उतरते हैं.
बतौर कप्तान देश को वर्ल्ड कप में प्रेज़ेंट करना कितना ज़िम्मेदारी का काम है? लीग और देश के लिए कप्तानी करने का अनुभव किस तरह से अलग होता है? जब हम लीग में खेलते हैं, तो वहां खेल और उससे जुड़ी ज़िम्मेदारियां कुछ अलग हो जाती हैं और जब हम देश के लिए खेलते हैं, तो ज़ाहिर है ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं. एक कप्तान के तौर पर भी ज़िम्मेदारी काफ़ी हद तक बढ़ जाती है. एक-एक हार और जीत मायने रखती है. लीग में अगर आप एक मैच हार भी गए, तो लगता है कोई बात नहीं, अगला मैच जीत जाएंगे, लेकिन जहां देश की बात होती है, तो हारना हम अफोर्ड ही नहीं कर सकते, क्योंकि उसका असर पूरी टीम के मोराल पर पड़ता है.
आपको कैप्टन कूल कहा जाता है? क्या कभी ग़ुस्सा नहीं आता? किस तरह से आप विपरीत परिस्थितियों में भी ख़ुद को शांत बनाए रखते हैं? मेरा यह मानना है कि ग़ुस्सा हमेशा नुक़सान ही पहुंचाता है और ग़ुस्से के दुष्परिणाम भी हमें ही भुगतने पड़ते हैं. मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं शांत रहूं, ग़ुस्सा न करूं, क्योंकि ग़ुस्से का असर मेरी और मेरी टीम की सोचने-समझने की क्षमता पर नकारात्मक रूप में पड़ सकता है. बेहतर यही है कि शांत दिमाग़ से परिस्थितियों का आंकलन किया जाए. ऐसे में यदि आप गेम में पीछे भी होते हैं, तो भी आपके जीतने की पूरी संभावना बनी रहती है. आप अपनी ग़लतियों से सीखते हैं और सही निर्णय लेकर परिस्थितियों को अपने पक्ष में कर सकते हैं.
यंग जनरेशन को क्या कहना चाहेंगे? यंगस्टर्स को मैं यही कहूंगा कि आज की तारीख़ में कबड्डी में काफ़ी संभावनाएं हैं. भविष्य अच्छा है, इसलिए मेहनत करें. जमकर प्रैक्टिस करें.
अपनी फिटनेस का ख़्याल किस तरह से रखते हैं? जहां तक डायट का सवाल है, तो ऑयली और फैटी फूड अवॉइड करता हूं, क्योंकि डायट से ही हमारी फिटनेस बनी रहती है. साथ ही जमकर प्रैक्टिस करता हूं. 5-6 घंटे की प्रैक्टिस से स्टेमिना भी बेहतर होता है और बॉडी भी फिट रहती है.
भविष्य का अनूप कुमार बनने की क्षमता किस प्लेयर में देखते हैं आप? भविष्य का अनूप कुमार मेरे हिसाब से तो सभी में संभावनाएं हैं. किसी एक का नाम लेना तो ठीक नहीं, क्योंकि सभी अनूप कुमार ही क्यों, मुझसे बेहतर भी बन सकते हैं.
ओलिंपिक्स में कबड्डी को लेकर क्या सपना है? ओलिंपिक्स में कबड्डी को ज़रूर जाना चाहिए. यह सपना हम सभी का है, ताकि एक और मेडल देश को मिल सके. भविष्य में ज़रूर ऐसा होगा.
क्या कभी ऐसा महसूस होता है कि कबड्डी को उतनी सुविधाएं और पहचान नहीं मिली, जितनी अन्य खेलों को? जी नहीं, बिल्कुल भी नहीं. फेसिलिटीज़ बहुत अच्छी मिलती हैं. किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं. हमारे ट्रैवलिंग से लेकर, रहने और खाने-पीने तक के सारे इंतज़ाम काफ़ी अच्छे हैं. एक समय था, जब लोग हमें उतना नहीं पहचानते थे, लेकिन लीग के आने के बाद मीडिया भी कबड्डी को लेकर काफ़ी संजीदा हुआ है और अच्छा कवरेज मिलता है. लोग हमें बेहद प्यार करते हैं. यह देखकर भला क्यों किसी से शिकायत होगी?
आप लोग कई विदेशी खिलाड़ियों के साथ व उनके विरुद्ध भी खेलते आए हैं, उनकी फिटनेस व टेक्नीक को लेकर क्या महसूस करते हैं? क्या वो हमसे बेहतर हैं या हम उनसे बेहतर हैं? विदेशी खिलाड़ियों के मुकाबले हमारी टेकनीक बेहतर है, लेकिन जहां तक फिटनेस का सवाल है, तो इसमें हम थोड़े पीछे इसलिए रह जाते हैं कि हमारा खान-पान थोड़ा अलग है. वो नॉन वेज खाते हैं, जबकि आज भी हमारे बहुत-से प्लेयर्स नॉन वेज नहीं खाते. तो यही वजह है, अगर हम भी अपने डायट प्लान में कुछ तब्दीली लाएं, तो फिटनेस में भी हम पीछे नहीं रहेंगे.
कबड्डी के भविष्य व कबड्डी प्लेयर बनने का सपना देखनेवालों को कुछ कहना चाहेंगे? कुछ ख़ास टिप्स? भविष्य के लिए यह ज़रूर चाहूंगा कि हर राज्य में हर शहर में विंग्स खोलनी चाहिए, जहां बच्चों को कबड्डी के लिए ट्रेनिंग दी जा सके. वहां उनकी ट्रेनिंग, डायट, फिटनेस और टेक्नीक पर बचपन से ही काम किया जा सकेगा, जिससे 20-22 की उम्र तक वो काफ़ी बेहतरीन खिलाड़ी बनकर देश का प्रतिनिधित्व कर सकेंगे. आख़िर कबड्डी का भविष्य तो यही बच्चे हैं, तो उन पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए.
फ्री टाइम में क्या करना पसंद करते हैं? फ्री टाइम में मैं अपनी फैमिली के साथ रहना पसंद करता हूं. फैमिली ही मेरा मॉरल सपोर्ट है, तो जब भी व़क्त मिलता है, उनके साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करता हूं.
वर्ल्ड कप के लिए आपको और टीम इंडिया को ऑल द बेस्ट! थैंक्यू सो मच!
स्पोर्ट्स लवर्स और कबड्डी फैन्स का इंतज़ार अब ख़त्म होने को है. जैसाकि हम सभी जानते हैं कि 7 अक्टूबर 2016 से कबड्डी वर्ल्ड कप शुरू होने जा रहा है और 20 सितंबर 2016 को नेशनल टीम का एलान भी हो चुका है.
मुंबई में अपनी नई नीली जर्सी के साथ टीम इंडिया भी अनवेल हुई और इस मौ़के पर कपिल देव के साथ-साथ, जनार्दन सिंह गहलोत (अध्यक्ष, इंटरनेशनल कबड्डी फेडरेशन) व डॉ. मृदुल भदौरिया व अन्य गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं.
टीम इंडिया के कप्तान रहेंगे कबड्डी के कैप्टन कूल अनूप कुमार और वाइस कैप्टन होंगे अपने एग्रेशन के लिए जाने जानेवाले मंजीत छिल्लर.
टीम के कोचेस हैं- बलवान सिंह और भासकरन सर. तो अब देर किस बात की टीम इंडिया पूरी तरह से तैयार है अन्य 11 देशों की टीम्स के साथ कबड्डी के मैट पर अपना जौहर दिखाने के लिए.
इस बार वर्ल्ड कप भारत के गुजरात के अहमदाबाद शहर में आयोजित किया जा रहा है और इसमें भाग लेनेवाली अन्य टीम्स हैं- ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, साउथ कोरिया, इंग्लैंड, ईरान, जापान, केन्या, पोलैंड, थाईलैंड, अर्जेंटीना और अमेरिका.