Close

नवरात्रि- भक्तों को सिद्धियां प्रदान करनेवाली देवी सिद्धिदात्री (Navratri- Devi Siddhidatri)

Devi Siddhidatri

शास्त्रों के अनुसार, अणिमा, महिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, गरिमा व वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं.
मां अपने भक्तों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं, इसलिए इन्हें सिद्धिदात्री देवी के रूप में पूजा जाता है.

नवरात्रि के नौंवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना का विधान है.
चार भुजाओंवाली देवी सिद्धिदात्री सिंह पर सवार श्‍वेत वस्त्र धारण कर कमल पुष्प पर विराजमान है.

Devi Siddhidatri

नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखनेवालों को नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजना चाहिए.
साथ ही इन सभी को भोग, दान-दक्षिणा आदि देने से दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं.
पूजा के बाद आरती व क्षमा प्रार्थना करें.
हवन में चढ़ाया गया प्रसाद सभी को श्रद्धापूर्वक बांटें.
हवन की अग्नि ठंडी हो जाने पर जल में विसर्जित कर दें.
यदि चाहें, तो भक्तों में भी बांट सकते हैं.
मान्यता अनुसार, इस भस्म से बीमारी, चिंता-परेशानी, ग्रह दोष आदि दूर होते हैं.


यह भी पढ़ें: नवरात्रि स्पेशल: 10 सरल उपाय नवरात्र में पूरी करते हैं मनचाही मुराद (Navratri Special: 10 Special Tips For Navratri Puja)

बीज मंत्र

ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:

Devi Siddhidatri

ध्यान

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥

पटाम्बर, परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

यह भी देखें: नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों का करें दर्शन इस वीडियो के ज़रिए! (Navratri Special: 9 Forms Of Maa Durga)

स्तोत्र

कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥

परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भव सागर तारिणी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥


यह भी पढ़ें: COVID-19 Updates: 18 साल से अधिक आयुवाले लोगों को लगेगी 1 मई से कोरोना वैक्सीन (Everyone Above 18 Years Of Age To Get Corona Vaccine From 1st May)

कवच

ओंकारपातु शीर्षो मां ऐं बीजं मां हृदयो।
हीं बीजं सदापातु नभो, गुहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजपातु क्लीं बीजं मां नेत्र घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै मां सर्व वदनो॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:


यह भी पढ़ें: नवरात्रि पर विशेष: आरती- मां अम्बे की… (Navratri 2021: Maa Ambe Ki Aarti)

Devi Siddhidatri

Share this article

नवरात्रि- मनोरथ पूर्ण करनेवाली महागौरी (Navratri- Devi Mahagauri)

या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

Devi Mahagauri

मां की श्रद्धापूर्वक पूजा, ध्यान-आराधना करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं.

जिस तरह सप्तमी में मां की पूजा की थी, उसी तरह अष्टमी में भी मां की पूजा करें.


यह भी पढ़ें: नवरात्रि- यंत्र-तंत्र-मंत्र की देवी कालरात्रि (Navratri 2021- Devi Kalratri)

अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए मां को चुनरी भेंट करती हैं.

ध्यान

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥


यह भी देखें: वीडियो: नवरात्रि में करें मां दुर्गा के दर्शन, बस एक क्लिक में… (Navratri 2021-Video: Rare Images Of Maa Durga)

स्तोत्र

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

Devi Mahagauri

कवच

ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥

ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

Devi Mahagauri


यह भी पढ़ें: नवरात्रि पर विशेष: आरती- मां अम्बे की… (Navratri 2021: Maa Ambe Ki Aarti)

Share this article

नवरात्रि- यंत्र-तंत्र-मंत्र की देवी कालरात्रि (Navratri 2021- Devi Kalratri)

Devi Kalratr

दुर्गा पूजा के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा-आराधना का विधान है.
यूं तो मां कालरात्रि का विकराल रूप है, पर सदा शुभ फल देनेवाली होने के कारण इन्हें शुभंकारी कहा जाता है.
मां कालरात्रि को व्यापक रूप से देवी- महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, चामुंडा, चंडी, दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है.
इनके द्वारा राक्षस, भूत-पिशाच व नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है.

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि

मां का वर्ण काला और बाल बिखरे हुए हैं.
गले में विद्युत की तरह चमकनेवाली माला है.
इनके तीन नेत्र हैं.
चार भुजाओंवाली मां के हाथों में लोहे का
कांटा व खड्ग है और दो हाथ वरमुद्रा व अभयमुद्रा के रूप में हैं.
इनके श्‍वास से अग्नि निकलती है और वाहन गर्दभ (गधा) है.
मां के हाथों में कटा हुआ सिर है, जिससे रक्त टपकता रहता है.
मां का यह रूप रिद्धि-सिद्धि प्रदान करनेवाला है.
शास्त्रों के अनुसार, दैत्यों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए मां दुर्गा ने अपने तेज से देवी कालरात्रि को उत्पन्न किया था.
इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है, साथ ही दुश्मनों का भी विनाश होता है.
मां कालरात्रि की पूजा करने से समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती रहती है.
देवी को गुड़ प्रिय है, इसलिए इन्हें भोग में गुड़ अर्पित करें और बाद में ब्राह्मण को दान कर दें.
इस दिन तरह-तरह के मिष्ठान देवी को अर्पित किए जाते हैं.
नवरात्र का यह दिन तंत्र-मंत्र के लिए उपयुक्त माना जाता है.
इस दिन तांत्रिकों द्वारा देवी को मदिरा का भोग भी लगाया जाता है.
सप्तमी की रात्रि को सिद्धियों की रात भी कहा जाता है.
देवी कालरात्रि को यंत्र-तंत्र-मंत्र की देवी भी कहा जाता है.
इनकी उपासना करने से मनुष्य भयमुक्त हो जाता है.
देवी की पूजा के बाद शिव व ब्रह्माजी की पूजा भी ज़रूर करनी चाहिए.
साथ ही नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करें.

Devi Kalratr

ध्यान

करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥

दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥

महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

स्तोत्र

हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥

क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

कवच

ऊँ क्लीं मे हृदयं पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततं पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥

रसनां पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशंकरभामिनी॥

वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:


यह भी पढ़ें: शुभ कार्य के लिए घर से दही-चीनी खाकर क्यों निकलते हैं? (What Are The Main Reason To Eat Curd And Sugar Before Starting Anything Important)

Share this article

नवरात्रि- महिषासुरमर्दिनी देवी कात्यायनी (Navratri 2021- Devi Katyayani)

Devi Katyayani

नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है.
मां कात्यायनी फलदायिनी मानी गई हैं.
हाथ में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर उपरोक्त मंत्रोच्चार करना चाहिए.
यदि देवी कात्यायनी की पूरी निष्ठा और भक्ति भाव से पूजा करते हैं, तो अर्थ व मोक्ष की प्राप्ति होती है.
चार भुजाधारी मां कात्यायनी सिंह पर सवार हैं.
इनके एक हाथ में तलवार और दूसरे में कमल है.
अन्य दोनों हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं.

शास्त्रों के अनुसार, कात्यायन ऋषि के घर देवी ने पुत्री के रूप में जन्म लिया, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा.
इसी रूप में देवी ने महिषासुर दानव का वध किया था, इसलिए मां कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है.
मां कात्यायनी ने महिषासुर से युद्ध के समय अपनी थकान को दूर करने के लिए शहदयुक्त पान का सेवन किया था, इसलिए मां कात्यायनी के पूजन में शहदयुक्त पान ज़रूर चढ़ाना चाहिए.
इस दिन लाल रंग विशेष रूप से शुभ माना जाता है, इसलिए लाल रंग का वस्त्र धारण करें.
मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से जीवन की सारी परेशानियां व बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाती हैं.
यदि किसी कन्या के शादी में अड़चनें व परेशानियां आ रही हो, तो उसे मां कात्यायनी का व्रत व पूजन करना चाहिए.
विद्यार्थियों को मां कात्यायनी की विशेष रूप से पूजा-उपासना करनी चाहिए. इससे शिक्षा के क्षेत्र में सफलता अवश्य प्राप्त होती है.

ध्यान

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पञ्वाधरां कांतकपोला तुंग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम॥

स्तोत्र

कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां।
सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति,कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥

Devi Katyayani

कवच

कात्यायनी मुखं पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयं पातु जया भगमालिनी॥

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः


यह भी पढ़ें: ग़लती से भी व्रत में न खाएं ये 8 चीज़ें (Do Not Eat These 8 Food During Fast)

Share this article

नवरात्रि- वात्सल्य रूप में प्रसिद्ध स्कन्दमाता का स्वरुप (Navratri- Devi Skandmata)

Devi Skandmata

सिंहासनगता नित्यं पद्याश्रितकरद्वया
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी

नवरात्रि के पांचवें दिन अंबे मां के पांचवें स्वरूप स्कन्दमाता की पूजा-आराधना की जाती है.
मां अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं.
मां को माहेश्‍वरी व गौरी के नाम से भी जाना जाता है.
महादेव शिव की वामिनी यानी पत्नी होने के कारण माहेश्‍वरी भी कहलाती हैं.
अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के रूप में पूजी जाती है.
मां को अपने पुत्र स्कन्द (कार्तिकेय) से अत्यधिक प्रेम होने के कारण पुत्र के नाम से कहलाना पसंद करती हैं, इसलिए इन्हें स्कन्दमाता कहा जाता है.
अपने भक्तों के प्रति इनका वात्सल्य रूप प्रसिद्ध है.
कमल के आसन पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्यासना भी कहते हैं.
स्कन्दमाता अपने इस स्वरूप में स्कन्द के बालरूप को अपनी गोद में लेकर विराजमान रहती हैं.
इनकी चार भुजाएं हैं. दाईं ओर कमल का फूल व बाईं तरफ़ वरदमुद्रा है.

संतान की कामना करनेवाले भक्तगण इनकी विशेष रूप से पूजा करते हैं.
वे इस दिन लाल वस्त्र में लाल फूल, सुहाग की वस्तुएं- सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, लाल बिंदी, फल, चावल आदि बांधकर मां की गोद भरनी करते हैं.


यह भी पढ़ें: नवरात्रि पर विशेष: आरती- मां अम्बे की… (Navratri 2021: Maa Ambe Ki Aarti)

Devi Skandmata

ध्यान
वंदे वांछित कामार्थे चंद्रार्धकृतशेखराम्
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कंदमाता यशस्वनीम्
धवलवर्णा विशुद्ध चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्
प्रफु्रल्ल वंदना पल्लवांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्

कवच
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा। हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा। सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥
वाणंवपणमृते हुं फ्ट बीज समन्विता। उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी। सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

यदि आप कफ़, वात, पित्त जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं, तो आपको स्कंदमाता की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए.
मां को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिए.
केले का भोग लगाना चाहिए, क्योंकि केला मां को प्रिय है.

Devi Skandmata

ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:


यह भी पढ़ें: कोरोना अलर्ट: क्या आपका हेल्थ इंश्योरेंस कोविड 19 को कवर करता है? जानें कोविड स्पेसिफिक हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम्स के बारे में (Is Coronavirus Covered by Your Existing Health Insurance Policy? Know About Some Covid Specific Health Insurance Schemes)

Share this article

पूजा करते समय दीया बुझ जाने को अशुभ क्यों माना जाता है? जानें दीया बुझ जाने के शुभ-अशुभ संकेत (Why The Lamp Extinguished While Worshiping Is Inauspicious)

हम सब के साथ कभी न कभी ऐसा अवश्य हुआ है कि हम पूजा करने के लिए ज्योत जगाते हैं और किसी कारणवश दीया बुझ जाता है. ऐसा होते ही हम या हमारे आसपास खड़े लोगों के मन में शंका व वहम घर कर जाता है कि न जाने अब क्या अशुभ होगा. क्या सही में ज्योत का बुझ जाना अशुभ संकेत है? शुभ-अशुभ मान्यताओं की सच्चाई बता रही हैं एस्ट्रो-टैरो-न्यूमरोलॉजी-वास्तु व फेंगशुई एक्सपर्ट मनीषा कौशिक.

Lamp

पूजा करते समय दीया बुझ जाने को अशुभ क्यों माना जाता है?
किसी पूजा-अनुष्ठान में या घर में पूजा करते हुए यदि दीया बुझ जाता है, तो सभी लोग परेशान हो जाते हैं. दीया बुझने को ज़्यादातर लोग अशुभ संकेत मानते हैं. कई लोग ये भी मानते हैं कि भगवान ने पूजा स्वीकार नहीं की. हमारे घर के बड़े दीया बुझने को अशुभ मानते हैं इसलिए हम भी दीया बुझ जाने से घबरा जाते हैं.

यह भी पढ़ें: बच्चों को काला टीका क्यों लगाते हैं, अमृता सिंह ने बेटी सारा अली खान को बुरी नज़र से बचाने के लिए क्यों लगाया काला टीका? (Why Do Indians Put Kaala Teeka On Babies, Why Did Amrita Singh Apply Kaala Teeka To Protect Daughter Sara Ali Khan From Evil Eyes?)

Diwali Lamp

पूजा करते समय दीया बुझ जाए, तो करें ये…
अगर हम ज्योत जलाने की प्रक्रिया को शुरू से देखें, तो वो इस प्रकार होगी- सबसे पहले हम मंदिर में ज्योत के दीये को धोकर साफ़ करते हैं, फिर रूई या कलावा की बत्ती बनाते हैं. कुछ लोग इस बत्ती को बनाने के लिए दो बूंद पानी का इस्तेमाल भी करते हैं. उसके बाद दीये के बीच उस ज्योत को स्टैंड में लगा उसमें घी या तेल डालते हैं. इस प्रक्रिया में दीये को धोते समय ठीक से सुखाया न जाए या दीये के स्टैंड को ठीक से दाफ़ न किया जाए या फिर बत्ती बनाते समय उसमें ज़्यादा पानी लग जाए, तो ज्योत ठीक से नहीं जलेगी. ऐसी स्थिति में दीया बुझ भी सकता है. दीया बुझ जाने को अशुभ मानने की कोई ज़रूरत नहीं है. ईश्‍वर से क्षमा मांगकर आप फिर से दीया जला लें.

Share this article

नवरात्रि स्पेशल- महागौरी की उपासना और सिद्धियां प्रदान करनेवाली मां सिद्धिदात्री.. (Navratri Special- Worship Devi Mahagauri And Devi Siddhidatri)

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की श्रद्धापूर्वक पूजा, ध्यान-आराधना करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं.

जिस तरह सप्तमी में मां की पूजा की थी, उसी तरह अष्टमी में भी मां की पूजा करें.
अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए मां को चुनरी भेंट करती हैं.

ध्यान

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

स्तोत्र

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

कवच

ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥

ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥


यह भी पढ़े: नवरात्रि स्पेशल: 10 सरल उपाय नवरात्र में पूरी करते हैं मनचाही मुराद (Navratri Special: 10 Special Tips For Navratri Puja)

यह भी देखें: नवरात्रि में करें मां दुर्गा के दर्शन, बस एक क्लिक में… (Happy Navratri Video: Rare Images Of Maa Durga)

सिद्धियां प्रदान करनेवाली मां सिद्धिदात्री...

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

नवरात्रि के नौंवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना का विधान है.
चार भुजाओंवाली देवी सिद्धिदात्री सिंह पर सवार श्‍वेत वस्त्र धारण कर कमल पुष्प पर विराजमान है.
शास्त्रों के अनुसार, अणिमा, महिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, गरिमा व वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं.
मां अपने भक्तों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं, इसलिए इन्हें सिद्धिदात्री देवी के रूप में पूजा जाता है.
नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखनेवालों को नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजना चाहिए.
साथ ही इन सभी को भोग, दान-दक्षिणा आदि देने से दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं.
पूजा के बाद आरती व क्षमा प्रार्थना करें.
हवन में चढ़ाया गया प्रसाद सभी को श्रद्धापूर्वक बांटें.
हवन की अग्नि ठंडी हो जाने पर जल में विसर्जित कर दें.
यदि चाहें, तो भक्तों में भी बांट सकते हैं.
मान्यता अनुसार, इस भस्म से बीमारी, चिंता-परेशानी, ग्रह दोष आदि दूर होते हैं.

बीज मंत्र

ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:

ध्यान 

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥

पटाम्बर, परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र

कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥

परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भव सागर तारिणी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

कवच

ओंकारपातु शीर्षो मां ऐं बीजं मां हृदयो।
हीं बीजं सदापातु नभो, गुहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजपातु क्लीं बीजं मां नेत्र घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै मां सर्व वदनो॥

यह भी पढ़े: नवरात्रि पर विशेष: आरती… मां अम्बे की


यह भी पढ़े: नवरात्रि स्पेशल: नवरात्रि में किस राशि वाले किस देवी की पूजा करें (Navratri Special: Durga Puja According To Zodiac Sign)
https://www.merisaheli.com/navratri-special-9-bhog-for-nav-durga/
)

यह भी देखें: नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों का करें दर्शन इस वीडियो के ज़रिए! (Navratri Special: 9 Forms Of Maa Durga)

Share this article

नवरात्रि स्पेशल- समस्त इच्छाओं को पूर्ण करनेवाली स्कन्दमाता (Navratri Special- Worship Devi Skandmata)

ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

नवरात्रि के पांचवें दिन अंबे मां के पांचवें स्वरूप स्कन्दमाता की पूजा-आराधना की जाती है.
मां अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं.
मां को माहेश्‍वरी व गौरी के नाम से भी जाना जाता है.
महादेव शिव की वामिनी यानी पत्नी होने के कारण माहेश्‍वरी भी कहलाती हैं.
अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के रूप में पूजी जाती है.
मां को अपने पुत्र स्कन्द (कार्तिकेय) से अत्यधिक प्रेम होने के कारण पुत्र के नाम से कहलाना पसंद करती हैं, इसलिए इन्हें स्कन्दमाता कहा जाता है.
अपने भक्तों के प्रति इनका वात्सल्य रूप प्रसिद्ध है.
कमल के आसन पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्यासना भी कहते हैं.
स्कन्दमाता अपने इस स्वरूप में स्कन्द के बालरूप को अपनी गोद में लेकर विराजमान रहती हैं.
इनकी चार भुजाएं हैं. दाईं ओर कमल का फूल व बाईं तरफ़ वरदमुद्रा है.
इनका वाहन सिंह है.

यह भी पढ़े: नवरात्रि स्पेशल- तपस्या व त्याग की देवी मां ब्रह्मचारिणी (Navratri Special- Worship Devi Brahmcharini)


यह भी पढ़े: कल्याणकारी व शांति की प्रतीक देवी चंद्रघंटा (Navratri Special- Worship Devi Chandraghanta)

यह भी पढ़े: नवरात्रि स्पेशल- आदिदेवी कूष्मांडा

सिंहासनगता नित्यं पद्याश्रितकरद्वया
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी

संतान की कामना करनेवाले भक्तगण इनकी विशेष रूप से पूजा करते हैं.
वे इस दिन लाल वस्त्र में लाल फूल, सुहाग की वस्तुएं- सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, लाल बिंदी, फल, चावल आदि बांधकर मां की गोद भरनी करते हैं.

ध्यान
वंदे वांछित कामार्थे चंद्रार्धकृतशेखराम्
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कंदमाता यशस्वनीम्
धवलवर्णा विशुद्ध चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्
प्रफु्रल्ल वंदना पल्लवांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्

कवच
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा। हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा। सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥
वाणंवपणमृते हुं फ्ट बीज समन्विता। उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी। सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

यदि आप कफ़, वात, पित्त जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं, तो आपको स्कंदमाता की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए.
मां को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिए.
केले का भोग लगाना चाहिए, क्योंकि केला मां को प्रिय है.


यह भी पढ़े: नवरात्रि स्पेशल: 10 सरल उपाय नवरात्र में पूरी करते हैं मनचाही मुराद (Navratri Special: 10 Special Tips For Navratri Puja)


यह भी पढ़े: नवरात्रि स्पेशल: नवरात्रि में किस राशि वाले किस देवी की पूजा करें (Navratri Special: Durga Puja According To Zodiac Sign)
https://www.merisaheli.com/navratri-special-9-bhog-for-nav-durga/

Share this article

नवरात्रि स्पेशल- आदिदेवी कूष्मांडा (Navratri Special- Devi Kushmanda)