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जब नसीरुद्दीन शाह पर उनके ही दोस्त ने कर दिया था चाकू से जानलेवा हमला, ओम पुरी ने जान पर खेलकर बचाई थी जान (When Naseeruddin Shah was stabbed by his friend, Om Puri saved his life)

बॉलीवुड स्टार्स की ज़िंदगी से जुड़े भी ऐसे कई किस्से होते हैं जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगते. बॉलीवुड के दिग्गज और फाइनेस्ट एक्टर नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) की ज़िंदगी से जुड़ा भी एक ऐसा ही किस्सा है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि नसीरुद्दीन शाह पर एक बार उनके ही एक क्लोज फ्रेंड ने चाकू से जानलेवा (Naseeruddin was stabbed by his friend) हमला कर दिया था. अगर उस वक़्त ये एक्टर वहां मौजूद न होते और उनकी जान न बचाते, तो शायद देश नसीरुद्दीन को हम बहुत पहले ही खो चुके होते. क्या था पूरा किस्सा, आइए जानते हैं.

ये किस्सा साल 1977 का है, जिसका जिक्र नसीरुद्दीन शाह ने अपनी आत्मकथा ‘एंड देन वन डेः अ मेमोयर’ (And Then One Day) में किया है. बॉलीवुड में नसीर और ओम पुरी की दोस्ती (Naseeruddin Shah-Om Puri friendship) की मिसाल दी जाती है. आज भले ही ओम पुरी इस दुनिया में ना हों, लेकिन नसीर अक्सर अपने दोस्त को याद करते रहते हैं. अपनी बायोग्राफी में भी नसीर ने ओमपुरी के साथ अपनी दोस्ती के कई किस्से लिखे हैं. उन्होंने ये भी बताया है कि अगर आज वो जिंदा हैं तो सिर्फ और सिर्फ ओमपुरी की वजह से हैं.

अपनी किताब में नसीर ने बताया कि ये तब की बात है जब श्याम बेनेगल की फ़िल्म ‘भूमिका’ (Bhoomika) की शूटिंग चल रही थी. फ़िल्म के सेट के पास एक ढाबे पर बैठ कर नसीरुद्दीन अपने एक दोस्त के साथ खाना खा रहे थे. तभी उनका दोस्त जसपाल आकर पीछे की तरफ़ बैठ गया. नसीर ने बताया कि जसपाल को वो अपना अच्छा दोस्त समझते थे, लेकिन शायद वो उनकी सफ़लता से जलने लगा था. वो खाना खा रहे थे, तभी जसपाल ने अचानक उन पर चाकू से हमला कर दिया. नसीर वहीं पर गिर गए. वो उठने की कोशिश कर ही रहे थे कि जसपाल ने दोबारा हमला करने की कोशिश की. लेकिन इस बार जो दोस्त नसीरुद्दीन के साथ बैठा था, वो जसपाल पर झपट पड़ा. 

वो दोस्त कोई और नहीं, बल्कि ओम पुरी (Om Puri) थे. ओम पुरी ने जसपाल को रोकने की कोशिश की. दोनों में काफ़ी झगड़ा हुआ. लेकिन नसीर की जान बचाने के लिए उन्होंने अपने जान की परवाह नहीं की. नसीर दर्द से तड़प रहे थे. वहीं, ओम पुरी एक तरफ़ जसपाल से जूझ रहे थे, लेकिन ढाबे वालों ने कहा, जब तक पुलिस नहीं आ जाती, नसीर को हॉस्पिटल नहीं ले जा सकते. ओम पुरी एक तरफ जसपाल को कंट्रोल कर रहे थे तो दूसरी ओर ढाबे वाले से शाह को अस्पताल ले जाने के लिए बहस कर रहे थे. 

नसीरुद्दीन शाह ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखा है कि उनकी पीठ से खून बहता ही जा रहा था. ख़ून से उनकी पूरी शर्ट लथपथ थी. कुछ देर में वहां पुलिस आ गई. मगर वो भी सवाल-जवाब में बिज़ी हो गई. ओम पुरी से उनका दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ. ऐसे में उन्होंने बिना किसी की इजाजत लिए पुलिस की गाड़ी में उन्हें अस्पताल पहुंचाया था.

आज ओमपुरी इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी कमी नसीर को हर दिन महसूस होती है. वो अक्सर कहते हैं कि उस दिन ओम ना होता तो वो शायद इस दुनिया में ना होते.

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