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मूवी रिव्यूः थप्पड़ (Film Review Of Thappad)

फिल्मः थप्पड़ कलाकारः तापसी पन्नू, पवेल गुलाटी, दिया मिर्जा, तन्वी, रत्ना शाह पाठक निर्देशकः अनुभव सिन्हा स्टार. 3.5 फिल्म की कहानी एक ऐसी सोच पर आधारित है, जिसका मानना है कि मियां-बीवी के रिश्ते में थप्पड़ जैसी छोटी सी बात को ज़्यादा तरजीह नहीं देनी चाहिए . फिल्म में पति की सोच दिखाई गई है कि  बस एक थप्पड़ ही तो था. क्या करूं? हो  गया. लेकिन ऐसा क्यों हुआ? जब इसी सवाल का जबाव तलाशती है यह फिल्म. घरेलू हिंसा जैसे गंभीर लेकिन उपेक्षित मुद्दे को सिनेमायी परदे पर दिखाने वाली इस फिल्म में मुख्य किरदार के साथ होने वाली हिंसा के नाम पर सिर्फ 'एक थप्पड़' ही है. सारा जोर इस बात पर है कि कोई औरत सामाजिक मान्यताओं को कायम रखने भर के लिए पति का एक थप्पड़ भी क्यों बर्दाश्त करे.  बिना हिंसक हुए और बिना भाषणबाजी दिखाए, डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने कहानी का अंत एक ऐसे खूबसूरत मोड़ पर किया है, जिसे सोच पाने की क्षमता अभी तक हमारे भारतीय पुरषसत्तात्मक समाज में तो बिल्कुल न के बराबर है. फिल्म में एक जगह कहा भी गया है कि अगर एक थप्पड़ पर अलग होने की बात हो जाए तो 50 परसेंट से ज्यादा औरतें मायके में हों. Thappad कहानीः अमृता (तापसी पन्नू) और विक्रम (पावेल गुलाटी) एक शादीशुदा कपल है और परिवार के साथ अपनी अपर मिडिल क्लास जिंदगी जी रहे हैं. जहां विक्रम करियर में आगे बढ़ने के सपने देख रहा है और काम में व्यस्त है, वहीं अमृता एक परफेक्ट पत्नी, बहू, बेटी और बहन है. वह एक बेहतरीन क्लासिकल डांसर है, लेकिन पति के लिए उसने अपने सारे सपनों को त्याग दिया और खुद को पूरी तरह परिवार को समर्पित कर दिया. विक्रम का सपना अमृता का सपना बन गया है. तभी एक ऐसी घटना घटती है, जिससे अमृता का पूरा वजूद हिल जाता है. एक पार्टी में उसका पति सबके सामने उसे थप्पड़ मारता है. वहीं से अमृता के दिलो-दिमाग का सुकून छिन जाता है. सास (तन्वी आजमी) से लेकर उसकी अपनी मां (रत्ना पाठक शाह) तक उसे यही समझाते हैं कि ऐसी बातें होती रहती हैं और उसे समझौता कर लेना चाहिए. इस बीच विक्रम उसे वापस घर बुलाने के लिए एक कानूनी नोटिस भेजता है. अमृता नामी वकील नेत्रा (माया सराओ) के पास जाती है. नेत्रा भी उसे अपने पति के पास वापस लौट जाने की सलाह देती है. अब अमृता हर तरफ से आ रही इन सलाहों को अपनाएगी या अपने दिल की सुनेगी, यही है फिल्म की कहानी. https://www.youtube.com/watch?v=jBw_Eta0HDM कहानी सिर्फ अमृता की नहीं है, बल्कि अमृता के साथ पांच और औरतें भी हैं. तलाकशुदा पड़ोसी (दिया मिर्जा), सास (तन्वी आजमी), मां (रत्ना पाठक), वकील नेत्रा ( माया सराओ और अमृता की कामवाली बाई. ये किरदार कहानी के साथ-साथ चलते रहते हैं, एक अंतविर्रोध के साथ. सभी समाज की पुरुषवादी से घिरी हुई हैं, लेकिन अमृता की लड़ाई इन्हें भी इस सोच से उबरने का मौका और हिम्मत देती है. तापसी पूरी तरह अमृता के किरदार में रच-बस गई हैं. पवेल गुलाटी भी पत्नी को पंचिंग बैग समझने वाले पति के किरदार में जमे हैं. इन दोनों के अलावा सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं मिश्रा जो तापसी के पिता बने हैं. फिल्म बेहद खामोशी से अपनी बात कहती है. तापसी ने भी खामोशी के जरिये अपने दिल का समंदर उड़ेला है. कहीं तेज बैकग्राउंड म्यूजिक का इस्तेमाल नहीं है. कुछ बात कहने के अपने सलीके की वजह से तो कुछ दो घंटे बाइस मिनट की अपनी लंबाई के चलते, फिल्म की गति कुछ धीमी मालूम होती है. ये भी पढ़ेंः भाई की शादी में दिखा श्वेता तिवारी और उनकी बेटी पलक का ग्लैमरस अंदाज़, देखें पिक्स… (TV Actress Shweta Tiwari In Her Younger Brother Wedding)

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