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कहानी- सभीता से निर्भया तक 3 (Story Series- Sabhita Se Nirbhaya Tak 3)

  'अपने बच्चे की अभिरुचि और प्रतिभा को दीजिए पंख' मुख्य द्वार के ठीक ऊपर कलात्मक ढंग से लिखी पंक्तियां उस विद्यालय की निष्ठा को चरितार्थ करती थीं. उस बोर्ड पर बनीं पंख लगाकर उड़ती बच्ची को देखकर चहक उठी थी मैं. "पापा अभी तक मैं आपकी परी थी. अब सारी दुनिया की परी बन जाऊंगी." "मेरे स्कूल में नृत्य-नाटिका दिखाने आई थीं. वो इसी अकादमी में डांस सिखाती हैं. वो सामाजिक समस्याओं पर आधारित नृत्य नाटिका करती हैं. बहुत बड़े-बड़े चैरिटी शो होते हैं. उनसे जो रुपए मिलते हैं, वो ग़रीब लड़कियों को पढ़ाने के काम आते हैं. पापा मुझे भी डांसर बनना है. मैं भी लोगों की सहायता करना चाहती हूं." "ये तो बहुत अच्छी बात है बेटा कि तुम किसी की सहायता करना चाहती हो. चलो तुम्हारा एडमिशन करा देते है, पर पढ़ाई पर असर नहीं पड़ना चाहिए. बड़े होकर तुम समाज सेविका, डाॅक्टर या प्रशासनिक अधिकारी बनकर लोगों की सेवा बेहतर ढ़ंग से कर पाओगी." मगर फार्म जमा करने जाने पर पता चला था कि यह कोई छोटा-मोटा हॉबी क्लासेस सेंटर नहीं था. 'अपने बच्चे की अभिरुचि और प्रतिभा को दीजिए पंख' मुख्य द्वार के ठीक ऊपर कलात्मक ढंग से लिखी पंक्तियां उस विद्यालय की निष्ठा को चरितार्थ करती थीं. उस बोर्ड पर बनीं पंख लगाकर उड़ती बच्ची को देखकर चहक उठी थी मैं. "पापा अभी तक मैं आपकी परी थी. अब सारी दुनिया की परी बन जाऊंगी." जहां भाई किताबी कीड़ा के नाम से प्रसिद्ध था, वहीं मुझे किताबों के साथ बैठाना सबके लिए एक चुनौती रहा था. ऐसे में मम्मी ने सोचा कि ये जुनून सच में मुझे वो पंख या पहचान दिला सकता था, जिसकी तलाश हर इंसान को होती है. यही नहीं, ये मुझे पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने का माध्यम भी बन सकता है. मगर समस्या आई कि अकादमी कौन लेने-छोड़ने जाए, जो घर से आठ किलोमीटर दूर थी और छोटे से शहर में ये दूरी मायने भी बहुत रखती थी. हल ढूंढ़ा भैया ने. वो मुझे लेकर जाएगा, वहीं रिसेप्शन में बैठकर अपनी प्रतियोगिता की पढाई करेगा, फिर मुझे लेकर ही आएगा. तो मेरा एडमीशन करा दिया गया. स्कूल और सोसायटी में होनेवाले कार्यक्रमों में मेरे डांस का वीडियो बनाने के लिए ही पापा ने मंहगा वीडियो कैमरा ख़रीद डाला था. अकादमी में एडमीशन के केवल छह महीने बाद पहली बार अकादमी की ओर से होनेवाले शो में मुझे बड़ी-सी भूमिका मिल गई थी. ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी. मम्मी ने मेरा कत्थक में पहना जानेवाला अनारकली सूट और गहने बनवाने के लिए ज़मीन-आसमान एक कर दिया था. जब वे मुझे तैयार करके लाई, तो भैया ने तो ख़ुशी के मारे पापा से कैमरा छीन लिया, पर पापा अनमने होकर अंदर चले गए. मम्मी की प्रश्नवचक दृष्टि पढ़कर दादी ने बताया कि तुम्हें तो पता ही है कि हमारे समय में इस लिबास में तैयार होकर डांस करने को ख़राब माना जाता था. बच्चों को बुरी संगत से बचाने के लिए बचपन से ही दिमाग़ में कूट-कूट कर डांस के प्रति विरक्ति भरी गई है. दादी की बात सुनकर मैं दौड़कर पापा के गले में झूल गई, "पापा, आप डांस को गंदा मानते हो?" मेरे स्वर में असमंजस और उदासी थी. पर दुराग्रह की चट्टान की क्या हिम्मत, जो ममता की सरिता के प्रवाह में चंद मिनट भी खड़ी रह पाती. पापा तुरंत चेहरे को प्रसन्न और सहज करके बोले, "अरे नहीं बेटा, दादी जाने कौन से युग की बात कर रही हैं." फिर तो सचमुच मेरी प्रतिभा पंख लगाकर उड़ने लगी. दो साल के अंदर मेरे कई कार्यक्रम हो चुके थे. मेरी जीती ट्राफियों ने ड्राॅइंगरूम का कॉर्निश भर दिया था. तभी भैया ने इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. भैया हॉस्टल चला गया और मुझे अकादमी ले जाने की समस्या फिर खड़ी हो गई. मेरा जूनून कब पीछे हटनेवाला था. "मुझे रास्ता याद है, अब मैं अकेले जाऊंगी. ग्यारहवीं में आ गई हूं, बड़ी हो गई हूं मैं." और मेरे अपना बड़प्पन दिखाने के लिए तन कर खड़े होने के अंदाज़ पर सबको हंसी आ गई थी. मेरी ज़िद के आगे मम्मी-पापा को झुकना पड़ा और शुरू हो गया कशमकश का वो अध्याय, जो आज तक ख़त्म नहीं हुआ. यह भी पढ़ें: जानें कोविड वैक्सीन से जुड़े सभी सवालों और शंकाओं के जवाब यहाँ(Find Answers To All your Key Questions About Covid vaccine Here) 'इव-टीजिंग' की समस्या समाचारों के दिल दहला देने वाले क़िस्सों के सामने बहुत छोटी लगती है, पर जिसने झेली है, वो ही इसका दर्द जानता है. मम्मी ने उपेक्षा की हिदायत दी, मामला नहीं सुलझा, तो पापा कई बार छुट्टी लेकर साथ गए. पर नतीजा वही ढाक के तीन पात. तभी समाचारों की सुर्ख़ियां बननेवाली एक दर्दनाक घटना घट गई. पूरी ख़बर में ये भी निकला कि उसकी शुरुआत इव-टीजिंग पर लड़की के पलटकर थप्पड़ मारने से हुई थी. रातोंरात समस्या पर शोध हुए जिनके नतीजे कुछ इस तरह सामने आए कि जहां तक हो सके अपनी बेटियों को अकेले बाहर न भेजा जाए. अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... भावना प्रकाश अधिक कहानी/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां पर क्लिक करें – SHORT STORIES

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