मनीषा कोइराला से लेकर सोनाली बेंद्रे तक, बॉलीवुड की कई ऐसी हसीनाएं हैं, जिन्होंने कैंसर के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और पॉजिटिविटी से न स़िर्फ इसका बहादुरी से सामना किया, बल्कि कैंसर से जंग जीतकर औरों के लिए मिसाल भी बन गईं.

सोनाली बेंद्रे
इलाज के साथ मानसिक मज़बूती भी ज़रूरी, हिम्मत हो तो हर जंग जीती जा सकती है...
सोनाली बेंद्रे को कैंसर का पता उस समय चला, जब उनके बचने की संभावना केवल 30 प्रतिशत थी. उन्होंने जुलाई, 2018 में खुलासा किया कि उन्हें हाई ग्रेड मेटास्टेटिक कैंसर है. उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में कीमो थेरेपी और सर्जरी कराई. सफल इलाज के बाद सोनाली भारत लौट आईं और तब से कैंसर के प्रति जागरूकता और सकारात्मकता लाने की दिशा में काम कर रही हैं. 2021 में वह कैंसर मुक्त हो गईं. ठीक होने के बाद उन्होंने कैंसर से बचे लोगों के लिए काम करना ज़ारी रखा. वे कैंसर पीड़ितों को सहयोग देने और इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं. सोनाली बेंद्रे ने अपनी इस जंग को खुलकर साझा किया, जिससे उन्हें न स़िर्फ मानसिक मज़बूती मिली, बल्कि वह दूसरों के लिए भी उम्मीद की मिसाल बन गईं. कैंसर से लड़ाई आसान नहीं होती, लेकिन सोनाली बेंद्रे ने साबित किया कि अगर हिम्मत हो तो हर जंग जीती जा सकती है. उन्होंने कीमो थेरेपी के कारण अपने बाल खो दिए थे, लेकिन उनकी बिना बाल वाली तस्वीर यानी उनके बॉल्ड लुक में बाल भले ही न हो, लेकिन मुस्कान और जज़्बे में कोई कमी नहीं थी. अपनी हेल्थ जर्नी से उन्होंने हमें सीख दी कि इलाज के साथ मानसिक मज़बूती भी ज़रूरी है. अपनों का साथ सबसे बड़ा इलाज है. उनका मानना है कि लुक्स या बाल नहीं, बल्कि आपकी ताक़त असली ख़ूबसूरती होती है. इस तरह सोनाली आज भी लाखों लोगों के लिए उम्मीद की मिसाल हैं.

मनीषा कोइराला
कैंसर होना मौत की घोषणा नहीं है, हार नहीं मानना, क्योंकि हार के बाद ही जीत है...
साल 2012 में मनीषा कोइराला को पता चला कि उन्हें फोर्थ स्टेज का ओवेरियन कैंसर है. उन्हें इलाज के लिए अमेरिका ले जाया गया. उन्होंने न्यूयॉर्क के अस्पताल में कीमो थेरेपी करवाया. उन्हें लगा था कि वे नहीं बच पाएंगी. लेकिन इस दौरान उन्होंने साहस के साथ काम लिया और कैंसर से डट कर लड़ती रहीं. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, “अपने कैंसर से मैंने बहुत कुछ सीखा. मुझे भरोसा था कि मेरे कई सच्चे दोस्त हैं. मैंने सोचा किसी के साथ पार्टी करूंगी, किसी के साथ घूमने जाऊंगी, किसी के साथ मस्ती करूंगी. वो लोग मेरे दर्द में मेरे साथ होंगे. लेकिन ऐसा नहीं था. मैंने ख़ुद को अकेला पाया और मुझे एहसास हुआ कि मुश्किल वक़्त में मेरे पास अब परिवार ही है और परिवार ही काम आता है.” कैंसर के साथ अपनी लड़ाई और जीत पर मनीषा ने एक किताब लिखी है, जिसका नाम है ’हील्ड’. इस किताब के ज़रिए उन्होंने बीमारी और उपचार के दौरान के अपने अनुभव लोगों के साथ साझा किए. मनीषा ने कहा, “इस बीमारी ने मुझे यह बात बेहतर ढंग से समझा दी कि इस धरती पर हम बहुत कम समय के लिए आए हैं और इस समय में हम अपने और दूसरों के लिए जो भी अच्छा कर सकते हैं, वह ज़रूर करना चाहिए. न्यूयॉर्क में एक डॉक्टर दंपति हर रविवार मेरे पास आता था. मैंने एक दिन उनसे पूछा कि आप इतने व्यस्त रहते हैं, लेकिन फिर भी आप मेरे पास आकर समय बिताते है, ऐसा आप क्यों करते हैं, तो उनका कहना था कि हम स़िर्फ इस उम्मीद में आते हैं कि आप भी किसी ज़रूरतमंद के साथ ऐसा ही कुछ करेंगी. उसी समय मैंने तय कर लिया था कि यदि मुझे दूसरी ज़िंदगी मिली, तो लोगों के लिए जो बेहतर हो सकेगा, वह करने की कोशिश करूंगी. इसके साथ ही यह भी तय किया था कि अच्छी हो गई तो अपनी कहानी लोगों तक ज़रूर पहुंचाऊंगी, ताकि लोग समझ सकें कि कैंसर होना मौत की घोषणा नहीं है. ’हीरामंडी’ वेब सीरीज़ मेरे करियर में मील का पत्थर साबित हुई. जब मैं शूटिंग फिर से शुरू करने वाली थी, तब मैं उस जानलेवा कैंसर से उबर ही रही थी. अक्सर सोचती थी कि क्या मेरा शरीर इतना मज़बूत होगा कि मैं पहले की तरह बिज़ी शूटिंग शेडयूल, भारी कॉस्टयूम और गहनों को हैंडल कर सकूंगी. क्या मैं इस लायक हूं कि पहले की तरह सशक्त भूमिकाएं निभा सकूंगी? लेकिन मैंने कर दिखाया. एक बार मुझे 12 घंटे से भी ज़्यादा समय तक पानी के फव्वारे में डूबे रहना पड़ा था. इस सीन ने मेरी लिमिट्स को बख़ूबी टेस्ट किया. मेरे शरीर ने तनाव सह लिया और अपनी हद में बना रहा. मुझे पता था कि मैंने एक मुश्किल टेस्ट पास कर लिया है. मनीषा ने अपने फैंस को ज़रूरी मैसेज देते हुए लिखा- आप लोग, जो सोचते हैं कि आपका वक़्त आकर चला गया है, वो चाहे उम्र की वजह से हो, बीमारी की वजह से हो या किसी और मुश्किल की वजह से हो, कभी हार नहीं मानना... क्योंकि हार के बाद ही जीत है.
ताहिरा कश्यप
हार मानकर बैठने की जगह अपने चोट पर मरहम लगाएं और वापस खड़े होकर लड़ें...

आयुष्मान खुराना की पत्नी ताहिरा कश्यप को 2018 में ब्रेस्ट कैंसर हुआ था. ताहिरा को स्टेज 1 का कैंसर था. ताहिरा की कीमो थेरेपी के साथ एक सर्जरी भी हुई है. ताहिरा ने भी कीमों में अपने बाल गंवाने के बाद अपना बॉल्ड लुक शेयर किया था. इतना ही नहीं ताहिरा ने सर्जरी के बाद, लंबे सर्जरी के निशान के साथ फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी. उन्होंने लोगों को बताया कि बीमारी कोई भी हो, उसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है. कैंसर से पीड़ित लोग एक जंग लड़ रहे होते हैं, उसमें कहीं न कहीं चोटें लगती हैं, पर हार मानकर बैठने की जगह अपने चोट पर मरहम लगाएं और वापस खड़े होकर लड़ें. उनका कहना है कि कैंसर को हराने के लिए साहस और इच्छाशक्ति दोनों ज़रूरी है. ताहिरा अक्सर महिलाओं को सलाह देती नज़र आती हैं कि शरीर में किसी तरह का बदलाव या अन्य समस्याजनक लक्षण नज़र आए, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें. इस प्रकार परेशानी को शुरुआती दौर में पकड़ा जा सकता है, जिससे रिकवरी आसान हो जाती है. लेकिन अगर देर हो भी जाती है तो भी हिम्मत से जंग जीती जा सकती है.

हिना खान
आत्मविश्वास की मज़बूती हार को भी जीत में बदल देती है...
एक्ट्रेस हिना खान भी कैंसर से जंग लड़ रही हैं. हिना को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है. वो रिकवरी फेज में हैं. उन्होंने न केवल अपने बालों को शेव किया, बल्कि वो कीमो थेरेपी के मुश्किल दौर से भी गुज़री हैं. इस सच से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि हिना खान जहां पहले कैंसर से हार मानती नज़र आ रही थीं, वहीं अब उन्होंने ऐसा कुछ कर दिखाया है, जिससे लोग उनकी तारीफ़ कर रहे हैं. हिना खान ने हिम्मत करते हुए लिखा, भले ही हम ज़ख़्मी हों, लेकिन हम कभी डरेंगे नहीं. हममें साहस है, तो कुछ भी मुश्किल नहीं. अपनी मज़बूत इच्छाशक्ति और सकारात्मकता के लिए मशहूर हिना खान कैंसर की इस जंग से न स़िर्फ पूरी हिम्मत से लड़ रही हैं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी पूरी तरह से एक्टिव हैं और अपनी ट्रीटमेंट जर्नी को फैंस के साथ शेयर कर रही हैं. वाकई हिना खान हिम्मत से भरीं एक ख़ुश मिज़ाज लड़की हैं, इसलिए हर मुश्किल से मुस्कुराकर लड़ती हैं. यही कारण है कि वह आज कैंसर की बीमारी में भी मुस्कुरा रही हैं. हिना खान के फैंस को उनका सकारात्मक एटीट्यूड सबसे ज़्यादा अट्रैक्ट करता है. हिना खान की चेहरे की हंसी बताती है कि वह हमेशा आगे बढ़ने की सोच रखती हैं और लाइफ में नेगेटिव चीज़ों को इग्नोर कर हमेशा पॉज़िटिव रहती हैं. हिना खान कहती हैं कि आत्मविश्वास ही उन्हें मज़बूत बनाता है. इसलिए कभी भी ख़ुद को कमज़ोर न समझें और बस अपने टारगेट पर फोकस रखें. ऐसा करने से हार भी जीत में बदल जाती है.

महिमा चौधरी
सही समय पर सही फ़ैसले से जीत मिलती ही है...
एक्ट्रेस महिमा चौधरी अपनी एक्टिंग और ख़ूबसूरती के लिए हमेशा से फेमस रही हैं, लेकिन बीते सालों में वो ब्रेस्ट कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की लड़ाई लड़ने वालों के लिए प्रेरणा बन गई हैं. दरअसल, एक्ट्रेस महिमा को ब्रेस्ट कैंसर था, लेकिन उन्होंने एक सफल इलाज के बाद इस बीमारी पर जीत हासिल कर ली. लेकिन उनका कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर की लड़ाई तभी आसान है जब लोगों में इसे लेकर पूरी जानकारी और जागरूकता हो. हालांकि महिमा की रिपोर्ट में कैंसर नहीं आया था, लेकिन बायोप्सी में कुछ सेल्स में कैंसर होने की बात पता चली. उन्हें निकलवाने के लिए डॉक्टरों ने महिमा की राय ली. महिमा ने यहां एक सही ़़फैसला लेते हुए उन्हें निकलवाने को कह दिया. इसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह हुआ कि उनकी कैंसर सेल्स को निकाल दिया गया है और भविष्य में उन्हें शायद ही दोबारा इसका ख़तरा हो. महिमा ने बताया कि वो हर साल स्क्रीनिंग कराती रहती हैं और इसकी वजह से समस्या की जल्दी पहचान हो सकी और सही इलाज संभव हो पाया. उन्होंने सबसे अपील की है कि अगर किसी को ब्रेस्ट में किसी तरह के संकेत महसूस होते हैं तो उन्हें डॉक्टर के पास जाना चाहिए. इसके अलाव समय-समय जांच कराते रहें. हर महिला को ख़ुद का ध्यान अवश्य रखना चाहिए.
- शिखा जैन
