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कैंसर ट्रीटमेंट के बीच दीपिका कक्कड़ पति शोएब और बेटे के साथ पहुंचीं गांव वाले ससुराल, बेटे को घुमाया गांव, इमोशनल हुए शोएब, बोले-  ये मेरी जड़ है. यही मेरा घर है (Amid cancer treatment, Dipika Kakar visits Shoeb’s village, Actor gets emotional, says, ‘This is my roots. This is my home’)

शोएब इब्राहिम (Shoeb Ibrahim) और दीपिका कक्कड़ (Dipika Kakar) टीवी के फेमस कपल हैं. दोनों ने भले ही इंटरफेथ मैरेज की हो, लेकिन दोनों न सिर्फ आपस में शानदार बॉन्डिंग शेयर करते हैं, जिसकी झलक वो अपने व्लॉग और सोशल मीडिया पर भी शेयर करते हैं. अब कैंसर ट्रीटमेंट के बीच दीपिका और शोएब बेटे के साथ गांव (Shoeb Ibrahim-Dipika Kakar visit village) मौदहा पहुंचे हैं, जहां से उन्होंने कई यादें शेयर की हैं. 

Dipika Kakar and Shoeb

मौदहा यूपी का गांव है, जहाँ शोएब का पूरा बचपन बीता है. इसी गांव में दोनों ने निकाह भी किया था. कपल चाहता था कि उनका बेटा रुहान (Ruhaan) भी मौदहा को देखे, जाने, इसलिए वो उसे लेकर गांव पहुंचे. यहां पहुंचकर वो गांव की सैर पर निकले, वहां उन्होंने बेटे को खेत दिखाया. रुहान खेत में खेला भी और खूब एन्जॉय किया, जिसे देखकर शोएब काफी इमोशनल (Shoeb Ibrahim gets emotional) हो गए.

Dipika Kakar and Shoeb

गांव के खेतों में दीपिका ने अपने लेबल डीकेआई के लिए फोटोशूट भी कराया और सोशल मीडिया पर इसकी झलक भी शेयर की. शोएब ने अपने व्लोग में मौदहा ट्रिप के बारे में बातें की. उन्होंने अपने बचपन के दिन को याद किया और कई बातें कहीं. अपने व्लॉग में शोएब ने कहा, "आज इतने सालों बाद अपने गांव आना. वापस उस जमीन पर कदम रखना जिसमें बचपन की खुशबू बसी हो, एक अजीब सा सुकून देता है. यहां की गलियां, यहां के खेत, यहां की मिट्टी... यहीं बीता था मेरा बचपन. और जब मैं रुहान को लेकर इसी जमीन पर चल रहा हूं तो लगता है जैसे वक्त गोल चक्कर काटकर वापस मेरे पैरों तक आ गया है. गांव की मिट्टी में एक अजीब सी कसक होती है. ये इंसान को वापस अपनी असलियत में ले आती है. यहां की शहर की भागदौड़, कॉम्पीटीशन और टेंशन सब एक पल के लिए रुक जाते हैं. और सिर्फ एक एहसास रह जाता है- ये मेरी जड़ है. यही मेरा घर है." 

Dipika Kakar and Shoeb

एक्टर ने आगे कहा, "आज मैं अपने बच्चे को उसकी छोटी-सी उंगली पकड़कर सिर्फ अपना गांव नहीं दिखा रहा. मैं उसे अपना इतिहास दिखा रहा हूं. मैं उसे वो कहानी दिखा रहा हूं जहां से हमारे पूरे इतिहास की कहानी लिखी गई. सच कहूं तो, जितनी जरूरी शहर की सक्सेस है उतनी ही जरूरी गांव की सुकून भी है. जितना जरूरी नाम बनाना है, उतना ही जरूरी उन लोगों में वापस जाना है जिनके बीच तुम्हारा नाम नहीं तुम्हारा होना मायने रखता है. गांव कभी पुराना नहीं आता, हम पुराने हो जाते हैं."

shoaib ibrahim

दीपिका-शोएब ने अपनी शादी के दिनों को भी याद किया और बताया कि कैसे उनके निकाह से सभी खुश थे तो वो सब सुबह-सुबह ही उनके कमरे में आ जाते थे. पता ही नहीं चलता था कि वक्त कब बीत गया. 

shoaib ibrahim

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