इन दिनों अक्षय कुमार अपनी फिल्म 'सरफिरा' को लेकर सुर्ख़ियों में हैं, जो सच्ची घटना पर आधारित तमिल ‘सूररै पोट्रू’ की रीमेक है. आइए, इससे और उनके व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी कुछ कही-अनकही बातों को जानते हैं.
- आज मुझसे कोई पूछता है कि आप फिल्में रीमेक क्यों कर रहे हैं? मैं कहता हूं कि इसमें क्या परेशानी है. अगर मुझे कोई फिल्म अच्छी लगी, तो मैं उसकी हिंदी रीमेक कर रहा हूं, इसमें क्या दिक़्क़त है? 'सरफिरा' भी लोग को पसंद कर रहे हैं.
- 'सरफिरा' में राधिका मदान के साथ काम करके बहुत मज़ा आया. वे काफ़ी टैलेंटेड हैं. फिल्म में हमारी अलग ही टयूनिंग है, जो बेहद दिलचस्प है.
- सच्ची घटनाओं और रियल लाइफ हीरो पर आधारित फिल्मों में काम करने का अपना एक अलग ही मज़ा है. मैंने मिशन रानीगंज, एयरलिफ्ट, टॉयलेट एक प्रेम कथा, मिशन मंगल, रुस्तम, स्पेशल 26 जैसी सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्मों में काम किया और अपने क़िरदार के लिए काफ़ी मेहनत की. ऐसी घटनाओं और रियल लाइफ के नायकों से प्रेरणा मिलती है.
- मैं किसी महान हस्ती या किसी सच्ची घटना पर बनी फिल्मों में काम करना पसंद करता हूं, लेकिन मैं कभी अपने ऊपर कोई बायोपिक नहीं बनाना चाहता और न ही कभी अपने ऊपर कोई किताब लिखना पसंद करूंगा. मैं रील हीरो पर नहीं, बल्कि रियल लाइफ हीरो पर बायोपिक बनाना चाहता हूं.
- अनुशासन मेरी लाइफ का सबसे अहम हिस्सा है. बिज़ी शेड्यूल के बावजूद मैं अपनी लाइफ में अनुशासन का पालन करना नहीं भूलता हूं. मैं साल में कितनी ही फिल्में क्यों न कर लूं, लेकिन अपने डेली रूटीन से समझौता नहीं कर सकता. कसरत करना, रात में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना ये मेरी अनुशासित ज़िंदगी का अहम हिस्सा है.
- मुझे डिप्लोमेटिक रहना पसंद है, क्योंकि मैं दूसरों के इमोशन्स को हर्ट नहीं कर सकता. अगर मैं कोई फिल्म देखने जाता हूं और निर्माता पूछते हैं कि फिल्म कैसी लगी, तो कई खामियों के बाद भी मैं उसे अच्छा ही कहूंगा, क्योंकि मुझे पता है फिल्म मेकिंग बहुत टफ काम है, इसलिए किसी का भी हौसला बढ़ाना बहुत ज़रूरी है.
- मैं हिंदी बोलना अधिक पसंद करता हूं, क्योंकि हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसके बिना संवाद नहीं हो सकता है. मैं अपनी ज़्यादातर फिल्मों के संवाद देवनागरी लिपि में लेता हूं. हालांकि कुछ लोग रोमन में भी देते हैं, लेकिन मैं हिंदी को प्राथमिकता देता हूं और ज़्यादातर इवेंट्स में हिंदी बोलना ही पसंद करता हूं.
- मैं साल में 4 फिल्में करता हूं, लेकिन ध्यान रखता हूं कि मेरा रोल सब में अलग हो और मैं ख़ुद को ख़ुशनसीब मानता हूं कि मुझे ऐसे क़िरदार मिल रहे हैं.
- मेरे लिए असफलता, सफलता की तरफ जाने की सीढ़ी है, इसलिए मैं असफलता से नहीं घबराता. हालांकि कई लोग असफल होने पर काम करना बंद कर देते हैं, लेकिन मैं असफलता को आगे बढ़ने का अहम हिस्सा मानता हूं. असफलता न हो तो इंसान ख़ुद को तीस मार खां समझने लगता है.
- मेरे जीवन में उतार-चढ़ाव के दौर आए. एक इंसान के तौर पर मुझे अच्छा, अच्छा लगता है और बुरा, बुरा लगता है. लेकिन मुझे इस बात पर भी गर्व है कि मैं बहुत तेज़ी से आगे बढ़ सकता हूं. मुझे काम करना बहुत पसंद है और कोई भी इसे मुझसे नहीं छीन सकता.
- अनीता राम
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