एक गांव में युधिष्ठिर नाम का कुम्हार रहता था. एक दिन वह शराब के नशे में घर आया तो अपने…
इंसान तो सिर्फ़ मुंह से बोलता है, पर पैसा चारों तरफ़ से बोलता है. पैसा चाहे कार की ड्राइविंग सीट…
वस्त्रहरण दौपदी का, हुआ था युगों पहले धृतराष्ट्र के द्यूत क्रीड़ागृह में युगों के प्रवाह में नष्ट नहीं हुआ वो…
"मैं तो बस एक बात समझती हूं कि बहू भी किसी की बेटी होती हैं. बहू को बेटी बनाने के…
"क्या लिखते हो?" "व्यंग्य" "कितना लिखा है?" "कभी गिनकर नहीं देखा." ''गिनने को कौन कह रहा. कभी तौल कर नहीं…
प्रकृति प्रेम… अभी तलाश रही हूं कुछ पीले शब्द कि एक कविता लिखूं पीली सी ठीक उस पीली सोच वाली…
देर रात हो गई, मगर लिस्ट पूरी न हुई. जितने लोग, उतनी ख़्वाहिशें निकलकर आ रही थीं. पेपर भर चुका…
"मैं जीवनभर एक हमउम्र साथी के लिए तरसता रहा आज तुम्हें पाकर मेरी साध पूरी हुई. हम भले ही एक…
आजकल सब्ज़ीवाले से धनिया-मिर्ची नहीं मांगनी चाहिए. वैसे ही पडोसी से प्यार और नेता से उपहार न मांगने में ही…
क्या हुआ जो उसे नित्येंद्र सर पसंद आने लगे हैं, क्या हुआ जो उनको देखना, उनको सुनना, उनके निकट रहना…