वह बेसब्री से विनय के आने के दिन गिनने लगी थी. सोच रही थी कि विनय आए और बीमार होने…
पूर्णता की चाहत लिए प्रतीक्षारत कविताएं.. कुछ अधमिटे शब्दों की प्रस्तावित व्याख्याएं.. कब से, पल-पल संजोई हुई आशान्वित कल्पनाएं.. संभावनाओं…
रोज़ की तरह बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थी, सभी अपनी-अपनी समस्याएं लेकर आ रहे थे, जिनका…
“सर, खाना चाहे जहां मिले, बस मां के हाथों का हो. वो मां चाहे जिसकी हो, स्वाद होता ही है."…
मुझे तन्हाई से अक्सर मिला हैख़्यालों में वहीं दिलबर मिला है यूं मिलने के ठिकाने और भी थे कभी छज्जे…
"सोच लो। फिर ऐसा ना हो की ग़ुलाम अपनी रानी साहिबा को छोड़ दे." अनीता ने अमन से मुस्कुराते हुए…
सारे रसों के लिए महाबली निंदा रस कोरोना साबित हुआ है. ये एक ऐसा रस है, जिसका ज्ञान जेनेटिक होता…
कितनी अच्छी चीज़ हैं- शांति, सेवा और न्याय, पर लोग लेना ही नहीं चाहते. थाने जाते हुए पैर कांपते हैं,…
कभी-कभी मैं कुछ नहीं भी कहती हूं तुम तब भी सुन लेते हो.. कैसे! कभी-कभी मैं कुछ कहती हूं तुम…
एक-दूसरे से मिलने की कल्पनाएं समुद्री लहरों की तरह आकाश को छूने की कोशिश करने लगीं. दोनों के जीवन में…