“कई बार अनजाने में ही सीढ़ी बनने का प्रयास करते-करते हम बैसाखी बन जाते हैं. बच्चों को यह एहसास कराने…
आने दो आज अच्छे से उसकी ख़बर लूंगी… मैं मन ही मन उसे कोसे जा रही थी. मेरे अंदर का…
“बच्चे हमारी ज़िंदगी का सबसे अहम् हिस्सा हैं. सोसायटी से कटकर ज़िंदगी जी जा सकती है, पर ज़िंदगी का अहम्…
सबके बहुत कहने पर शांतनु गाना गाने के लिए तैयार हुए. मेरी तो हालत ही ख़राब थी… आज तो नाक…
उसने तत्काल निर्णय लिया कि अपने परिवार की डूबती नैया को वह ख़ुद पार लगाएगी. अपने पापा का स्थान लेगी.…
एक दिन निखिल के बहुत देर से घर लौटने पर मुझे बहुत क्रोध आया और मैं निखिल को बहुत जली-कटी…
“तुम्हें याद है हमारी पहली मुलाक़ात भी इसी तरह हुई थी. लाइब्रेरी में दोनों के हाथ इसी तरह एक ही…
सोती हुई काव्या को देख उसे तरस आया. बेचारी कैसे माहौल में आ गई है. कैसे रहेगी तीन दिन… देर…
वह सब एक-दूसरे से मिलकर ख़ुश थे. घंटों हंसी-मज़ाक चलता रहा, स्कूल के क़िस्से याद किए जाते रहे. हर थोड़ी…
यह युद्ध की ललकार तो नहीं थी फिर क्यों? तुम्हारे अदृश्य चक्रव्यूह की दुरूह रचना में मैं स्वयं ही चली…