हूं बूंद या बदली या चाहे पतंग आसमान तुम बनो हूं ग़ज़ल या कविता या कोई छंद अल्फ़ाज़ तुम बनो…
उस दिन देर रात जब मैं शादी से लौट रही थी, मुझे यही लग रहा था कि जीवन में लिया…
आते ही सुखदा का माथा छूकर देखा. कैसा था उनका अपनत्व भरा स्पर्श. मन की गहराई तक उतरकर तन की…
परंतु जब मैंने सावित्री बाई के मुंह से रमैया के 15 दिन काम पर ना आने का वास्तविक कारण सुना,…
डॉक्टर ने पहले तो समझाने की कोशिश की, परन्तु वह अपनी बात पर अड़ा रहा कि उसकी पत्नी सुधर ही…
"नही मांजी. मुझे अभी भूख नहीं है." दरअसल प्रभा अभी खाना बनाने के हिसाब-किताब में ख़ुद को थोड़ा कच्चा समझती…
काफ़ी समय पहले की बात है, एक जंगल में एक खरगोश अपने परिवार के साथ रहता था. खरगोश अपने परिवार…
उसके हाथ में गिफ्ट पैक देखकर मन मचल पड़ा. हाय राम बात यहां तक पहुंच गई? गिफ्ट पैक में क्या…
वह सोच रही थी, ‘वरदान ने आज से पहले तो कभी इतनी लंबी चुप्पी नहीं साधी.’ उसके मन में उसकी…
कश्मकश में थी कि कहूं कैसे मैं मन के जज़्बात को पढ़ा तुमको जब, कि मन मेरा भी बेनकाब हो…