राजीव के ऑफिस जाने के बाद नीता मोबाइल लेकर बैठ गई. यही तो समय होता है उसका अपना. फिर आज…
एक जंगल में महाचतुरक नामक सियार रहता था. वो बहुत तेज़ बुद्धि का था और बेहद चतुर था. एक दिन…
कोयलिया तू हर दिन किसे बुलाती है? भोर होते ही सुनती हूं तेरी आवाज़ विरह का आर्तनाद प्रणयी की पुकार…
अगली सुबह मिनी जब ससुरजी के लिए चाय लेकर आई, तो थोड़ा चिढी हुई सी थी… मगर पिता के दिए…
दिवाली की झालरें… ..टिम-टिम करती रंग-बिरंगी झिलमिलाती हुईं झालरें बतियाती रही रातभर दो सहेलियों की तरह कभी हंसतीं-खिलखिलाती.. कभी चुप-चुप…
खांसी से पीड़ित लोग अमूमन उतना नहीं घबराते, जितना सुननेवाला घबराता है. क्या पता टीबी ना हो. खांसी की वैरायटी…
वह बेसब्री से विनय के आने के दिन गिनने लगी थी. सोच रही थी कि विनय आए और बीमार होने…
पूर्णता की चाहत लिए प्रतीक्षारत कविताएं.. कुछ अधमिटे शब्दों की प्रस्तावित व्याख्याएं.. कब से, पल-पल संजोई हुई आशान्वित कल्पनाएं.. संभावनाओं…
रोज़ की तरह बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थी, सभी अपनी-अपनी समस्याएं लेकर आ रहे थे, जिनका…
“सर, खाना चाहे जहां मिले, बस मां के हाथों का हो. वो मां चाहे जिसकी हो, स्वाद होता ही है."…