बालिका वधू, डोली अरमानों की जैसे धारावाहिकों में अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों के दिलों में ख़ास जगह बनाने वाली नेहा मार्दा अब अपनी मैरिड लाइफ एंजॉय कर रही हैं. मुंबई की एक्ट्रेस पटना के लड़के से शादी करके कैसा महसूस कर रही हैं, शादी के बाद ज़िंदगी में क्या बदलाव आए? ऐसे ही दिलचस्प सवालों के जवाब जानने के लिए हमने नेहा मार्दा से बात की.
1) नेहा, अब आप डेली सोप में काम क्यों नहीं करतीं?
शादी के बाद मैं अब अधिकतर समय पटना में रहती हूं इसलिए डेली सोप कर पाना मेरे लिए मुश्किल हो जाता है. शादी के बाद जब मैं डोली अरमानों की सीरियल में काम कर रही थी, तो आयुष्मान मुझसे मिलने मुंबई आ जाते थे, लेकिन मैं देर रात घर लौटती थी और सुबह जल्दी चली जाती थी. मैं उनके लिए बिल्कुल भी व़क्त नहीं निकाल पा रही थी. दो साल तक काम करने के बाद मैंने तय कर लिया कि मैं इस तरह काम नहीं कर सकती और मैंने डोली अरमानों की सीरियल छोड़ दिया. जब मैं डोली अरमानों की कर रही थी, तो मुझे झलक दिख ला जा का ऑफर मिला, लेकिन ज़ी टीवी के साथ कमिटमेंट था इसलिए मैं वो शो भी नहीं कर पाई. फिर 'डोली अरमानों की' छोड़ने के बाद जब मेरी झलक दिखला जा में वाइल्ड कार्ड एंट्री हुई, तो उसमें भी एलिमिनेट होना पड़ा, क्योंकि परिवार में किसी की मौत हो गई थी. अब मैं ऐसा काम करना चाहती हूं जिसमें मैं 15-20 दिन में अपना काम ख़त्म करके अपने घर आ सकूं. डेली सोप में काम करने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है, क्योंकि इसमें बहुत समय देना पड़ता है जो मैं दे नहीं सकती. जब मैं मुंबई में काम करती हूं, तो आयुष्मान 10 दिन के लिए मुंबई आ जाते हैं और मैं भी 10 दिन के लिए पटना चली जाती हूं. इस तरह हम एक-दूसरे के साथ व़क्त गुज़ार लेते हैं. दूर रहते हैं इसलिए मिलने की चाहत बढ़ती जाती है और हम एक-दूसरे का साथ बहुत एंजॉय करते हैं.
2) क्या आपकी अरेंज मैरिज है?
हां, हमारी अरेंज मैरिज है. मेरी परवरिश बिज़नेस फैमिली में हुई है इसलिए मैं ससुराल भी ऐसा ही चाहती थी. मैंने ये कभी नहीं चाहा कि मैं ग्लैमर इंडस्ट्री के किसी लड़के से शादी करूं. अलग-अलग फील्ड के लोगों के पास शेयर करने के लिए बहुत कुछ होता है. अपनी ही फील्ड के लड़के से शादी करती तो हम एक ही टॉपिक पर लड़ते रहते. आयुष्मान से पहले मैं दो-तीन लड़कों से मिली थी, लेकिन उन्हें देखकर मुझे वो फीलिंग नहीं आई कि उनसे मैं शादी कर लूं. आयुष्मान से मिलते ही मुझे ये महसूस हो गया था कि यही मेरा जीवनसाथी है. मैं ऐसे लड़के से शादी करना चाहती थी जो चश्मा पहनता हो, इंटेलेक्चुअल दिखता हो, उसके पास बड़ी डिग्री हो. आयुष्मान में मुझे वो सारी क्वालिटीज़ दिखीं इसलिए मैंने हां कर दी. आयुष्मान के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है जो मुझे बहुत अच्छी लगती है.
3) आप पटना में शादी करने के लिए कैसे राजी हो गईं?
जब मेरे लिए शादी का रिश्ता आया तो मैंने मना कर दिया था. मैंने मां से कहा कि मैं पटना में नहीं रह सकती. तब मां ने कहा था कि शहर मायने नहीं रखता, जीवनसाथी मायने रखता है. आयुष्मान ने भी शादी के लिए मना कर दिया था. उनका मानना था कि एक एक्ट्रेस पटना में नहीं रह सकेगी. हम दोनों के पैरेंट्स ने कहा, एक बार मिल लो, पसंद न आए तो ना कह देना. फिर आयुष्मान मुझसे मिलने मुंबई आए. जब हम मिले तो हमने अपना फैसला बदल दिया और शादी के लिए हां कर दी. फिर आयुष्मान ने मुझसे कहा कि तुम एक बार पटना आकर देख लो, उसके बाद ही कोई फैसला करना. मैं अपनी फैमिली (मम्मी-पापा, भैया-भाभी) के साथ जब पटना जा रही थी और हमारे फ्लाइट के टिकट बुक हुए, तो मैं ये जानकर बहुत ख़ुश हुई कि पटना में एयरपोर्ट भी है. मुझे लगा था वहां एयरपोर्ट नहीं होगा. फिर जब मैं पटना पहुंची तो वहां का इंफ्रास्टक्चर देखरक हैरान रह गई. मैंने सोचा था कि वहां पर मुझे गाय, बकरी, भैंस देखने को मिलेगी, लेकिन वहां तो सबकुछ अलग ही था. हां, पटना में मुंबई जैसी फ्रीडम नहीं है, लेकिन जितना मैंने बिहार के बारे में सुना था, उससे कहीं ज़्यादा पाया.
4) आपको शादी के बाद क्या कुछ एडजस्ट करना पड़ा?
लड़कियों से अक्सर ये सवाल किया जाता है कि शादी के बाद ससुराल में उन्होंने कैसे एडजस्ट किया, लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ लड़कियां ही एडजस्ट करती हैं, लड़के के घरवालों को भी एडजस्ट करना पड़ता है, क्योंकि उनके घर में नया सदस्य आ रहा होता है. सच कहूं तो शादी के बाद मेरी सास ने मेरी मां की जगह ले ली, उन्होंने मुझे कभी किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी. वो मुझे अपनी बेटी की तरह प्यार करती हैं. मेरी ननद (अदिति) की तरह ही वो मेरा ख़्याल रखती हैं.
5) शादी के बाद एक्टिंग को लेकर आपके ससुराल वालों का क्या रिएक्शन था?
मेरी शादी पटना के लड़के से हो रही थी इसलिए शादी के बाद ग्लैमर इंडस्ट्री में काम करना मुमकिन नहीं था इसलिए बालिका बधू छोड़ने के बाद मैंने अपने आप को मेंटली तैयार कर लिया था कि शादी के बाद मुझे काम नहीं करना है. मैं ज्वेलरी डिज़ाइनर हूं, तो मैंने सोच लिया था कि मैं अपने इसी प्रोफेशन को आगे बढ़ाउंगी. मैंने अपना काम भी शुरू कर दिया था, लेकिन मेरे पति और सास शायद मेरे मन की बात समझ रहे थे. एक दिन मेरी सास ने मुझसे कहा कि तुम यहां ख़ुश तो होे, लेकिन पूरी तरह से ख़ुश नहीं हो. उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम फिर से एक्टिंग करना चाहती हो, तो मैंने कहा यही एक ऐसा काम है जिसे मैं दिल से करती हूं. तब उन्होंने मुझसे कहा कि शादी का मतलब अपना करियर ख़त्म कर देना या अपनी ख़ुशियों का बलिदान कर देना नहीं होता, तुम चाहो तो अपना काम फिर शुरू कर सकती हो. सच कहूं तो ये मेरी ज़िंदगी का टर्निंग प्वाइंट था. उसके बाद मैंने डोली अरमानों की सीरियल किया. एक औरत को इससे ज़्यादा और क्या चाहिए कि उसका लाइफ पार्टनर और घरवाले उसे समझें, उसे आगे बढ़ने का मौक़ा दें.
6) आप बेबी कब प्लान कर रही हैं?
हर फैमिली की तरह मेरा परिवार भी चाहता है कि अब हम बच्चे के बारे में सोचें, लेकिन इसके लिए उन्होंने हम पर कभी दबाव नहीं डाला. हां, अब हम इसके लिए प्लानिंग कर रहे हैं. जब भी ईश्वर ये स्टोरी लिखना चाहते हैं या लिखना शुरू करेंगे, सबको इसके बारे में पता चल जाएगा.
7) 'बालिका वधू' और 'डोली अरमानों की' इन दोनों शोज़ में से आपको अपना कौन सा किरदार ज्यादा पसंद है?
मेरे दोनों किरदार समाज का आईना हैं. 'बालिका वधू' में मैंने बाल विवाह प्रथा को उजागर करता किरदार निभाया, जिसमें वंश को आगे बढ़ाने के लिए एक 13 साल की बच्ची का विवाह एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ कर दिया जाता है. आज भी कई जगहों पर ऐसा होता है, लोग पैसों के लिए अपनी बेटी को बेच देते हैं. लड़कियों को वंश आगे बढ़ाने का माध्यम और पुरुष की शारीरिक ज़रूरत पूरा करने का साधन मात्र समझा जाता है. इसी तरह 'डोली अरमानों की' सीरियल में मैंने अपने किरदार के माध्यम से घरेलू हिंसा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर काम किया है, जिसमें झांसी जैसे छोटे शहर में रहने वाली लड़की शादी के बाद पति के शोषण का शिकार बनती है और अपने साथ हो रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज उठाकर उसे तलाक़ देती है और पति को जेल भेज देती है. वो दूसरी शादी कर समाज को ये मैसेज देना चाहती है कि एक शादी यदि सफल न हो, तो ज़िंदगी ख़त्म नहीं हो जाती, ज़िंदगी को एक और मौक़ा दिया जाना चाहिए. प्यार दोबारा भी हो सकता है.
8) आपको क्या लगता है, क्या आज भी महिलाओं पर पहले जैसा अत्याचार होता है?
हमारे समाज में ऐसी कई महिलाएं हैं जो किटी पार्टी में पति की तारीफ़ करती नहीं थकतीं और घर पर उसी से मार खाती हैं. यहां तक कि पढ़ी-लिखी महिलाएं भी पति से पिटती हैं और मुंह तक नहीं खोलतीं. इसकी एक वजह उनका आत्मनिर्भर न होना भी है, लेकिन आप यदि आत्मनिर्भर नहीं हैं तो इसका ये मतलब नहीं कि आप किसी की प्रताड़ना सहें. महिलाओं को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए और उसके लिए आवाज़ भी उठानी चाहिए. आजकल तो कम पढ़ी-लिखी महिलाओं के लिए भी रोजगार के कई विकल्प हैं. पति कमाता है इसलिए उसकी हर ज़्यादती सहना कहां का न्याय है? कई महिलाओं को तो ये भी मालूम होता है कि उनके पति का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है, फिर भी वो कुछ नहीं कहतीं. महिलाओं की यही कमज़ोरी पुरुषों को क्राइम करने के लिए उकसाती है. अपने हक़ के लिए या ग़लत बात के लिए आवाज़ उठाना ज़रूरी है.
9) आपके जीवन में सबसे बड़ा रोल किसका है?
मां का मेरे जीवन में बहुत बड़ा रोल है. मां ने हम पर कभी कोई चीज़ थोपी नहीं है, उन्होंने अपनी दिनचर्या में वो चीज़ें शामिल की और हम उन्हें देखते-देखते सारी चीज़ें सीख गए. सुबह उठकर मां भजन-आरती गाया करती थीं इसलिए उन्हें सुनते-सुनते हमें भी सारे भजन याद हो गए. मैंने अपने घर में रामायण भी सुनी है और गीता भी. मां ने हमें कल्चरली स्ट्रॉन्ग बनाया, दुनिया की समझ दी, सही-ग़लत में फर्क करना सिखाया. बच्चों को उपदेश देने की बजाय उन चीज़ों पर ख़ुद अमल करके बच्चों को वो सारी चीज़ें सिखाई जा सकती हैं. मैं चाहती हूं कि मैं अपने बच्चों को भी ऐसे ही संस्कार दे पाऊं. जब बच्चा बीमार होता है, तो दूसरों की मांएं रात-रात जागती हैं, उसके पास बैठी रहती हैं, लेकिन मेरी मां ने कभी ऐसा नहीं किया. जब मैं बीमार होती थी, तो मां बगल के रूम में टीवी देखती थीं, लेकिन मेरे पास नहीं बैठती थीं. तब मुझे मां बड़ी कठोर लगती थीं, क्योंकि तब मैं ये नहीं जानती थी कि मां ऐसा क्यों करती हैं. फिर जब मैं मुंबई में अकेले रहती थी, तो बीमार होने पर किसी से कोई उम्मीद नहीं रखती थी. मैं ये जानती थी कि मेरी समस्या मुझे ही सुलझानी है. मुझे कोई देखने वाला नहीं है इसलिए ख़ुद का ध्यान रखना है और जल्दी ठीक हो जाना है. दरअसल, बचपन में कठोर बनकर मां हमें इसी की ट्रेनिंग दे रही थीं.
10) क्या आपको सजना-संवरना अच्छा लगता है?
हां, मुझे सजना-संवरना बहुत अच्छा लगता है. त्योहार या किसी भी ख़ास मौ़के पर मैं बहुत एक्साइटेड हो जाती हूं. घर की सजावट से लेकर पंडित बुलाना, बन-संवरकर तैयार हो जाना, हर चीज़ में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना मुझे बहुत पसंद है. आप मुझे लाउड कह सकती हैं. ख़ास मौ़के पर साड़ी, लहंगा-चोली पहनना मुझे बहुत पसंद है. मैं ख़ुद को जितना सजा लूं, उतना कम है. नथ, बिछिया, पायल… मैं सब कुछ पहन लेती हूं.
11) आपका फिटनेस मंत्र क्या है?
फिटनेस के लिए मैं योगा करती हूं. मैं सुबह 4-5 बजे उठकर एक क्रिया करती हूं जो पंद्रह मिनट में पूरी हो जाती है. इसका बहुत फ़ायदा होता है. एक तो आप ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाते हैं और क्रिया करते हैं इसलिए इसका माइंड-बॉडी-सोल सब पर अच्छा असर होता है. पॉज़िटिव एनर्जी मिलती है. यदि आप अपनी दिनचर्या में ये पंद्रह मिनट शामिल कर लें तो आपको इसका आपको बहुत फ़ायदा मिलता है. मैं जिम नहीं जाती, कोई वर्कआउट भी नहीं करती. हमारे घर में सबकी डायट अलग है, कुक सबके हिसाब से खाना बना लेते हैं. मैं हर चीज़ खाती हूं, लेकिन इस बात का ध्यान रखती हूं कि लिमिट में खाऊं. मैं जब कभी ज़्यादा खाती हूं तो आयुष्मान को बहुत ख़ुशी होती है.
12) आपका स्किन केयर रूटीन क्या है?
मैं ये मानती हूं कि अच्छी स्किन के लिए बैलेंस डायट बहुत ज़रूरी है. अच्छी स्किन के लिए मैं ख़ूब सारा पानी पीती हूं ताकि पेट ठंडा रहे. साथ ही खीरा, पपीता आदि खाती हूं. जो लोग सोचते हैं डायट में कार्ब शामिल नहीं करना है, वो ग़लत हैं, ऐसा करने से स्किन ख़राब हो जाती है, डायट में कार्ब होना भी ज़रूरी है. और हां, अच्छा दिखना है तो हमेशा ख़ुश रहिए, सबकुछ खाइए, लेकिन लिमिट में.
13) क्या आपको मेकअप करना अच्छा लगता है?
मैं मेकअप कम ही करती हूं. शूटिंग के अलावा मैं मेकअप नहीं करती. हां, लिपग्लॉस और काजल मैं हमेशा लगाती हूं.
14) आपको कैसे कपड़े पहनना पसंद है?
मुझे शॉर्ट ड्रेसेज़ पहनना बहुत पसंद है. ये मुझ पर अच्छे लगते हैं. लॉन्ग ड्रेसेज मैं नहीं पहन पाती. जीन्स मुझे बहुत ज़्यादा पसंद नहीं.
15) आपका ख़ास शौक क्या है?
ड्राइविंग मेरा ख़ास शौक है. ड्राइविंग करना मुझे बहुत पसंद है. जिस दिन मुझे कोई काम नहीं होता, उस दिन मैं ड्राइवर को गाड़ी छूने भी नहीं देती, मैं ही ड्राइव करती हूं.
16) क्या आपको कुकिंग का शौक है?
मुझे कुकिंग का बहुत शौक नहीं है, लेकिन मैंने कभी अगर चाय भी बना ली तो पूरे घर में हंगामा हो जाता है कि आज बहूरानी ने अपने हाथों से चाय बनाई है.
- कमला बडोनी