8 मार्च को महिला दिवस पर तो महिलाओं के अधिकार, सशक्तिकरण, उपलब्धियों पर बढ़-चढ़कर बोला और लिखा जाता ही है. लेकिन बॉलीवुड एक्ट्रेसेस तो अक्सर महिलाओं के अधिकारों, उनकी आज़ादी, महिला सशक्तिकरण पर खुलकर बातें करती हैं और मज़बूती से अपनी बातें रखती हैं. आइए ऐसी ही कई अभिनेत्रियों के विचारों, समाज में नारी की स्थिति को लेकर उनकी सोच, बेबाक़ राय पर एक नज़र डालते हैं.
दीपिका पादुकोण
- मुझे नहीं लगता कि महिलाएं पुरुषों के बिना सफल हो सकती हैं और पुरुष महिलाओं के बिना सफल नहीं हो सकते.
- आप कभी अकेले कुछ भी नहीं करते हैं. स्त्री व पुरुष के बीच आपसी सहयोग की प्रवृत्ति महत्वपूर्ण है. मुझे लगता है हमें फेमिनिज़्म की परिभाषा को नए सिरे से परिभाषित करने की ज़रूरत है.
- स्त्रियों को सबसे पहले ख़ुद पर विश्वास करना होगा. उन्हें ख़ुद की शक्ति व ताक़त पर भरोसा करना होगा. वे किसी भी क़ीमत पर अपनी क्षमताओं को नज़रअंदाज़ न करें. उन्हें समझना होगा कि उनके पास असीम ताक़त है.
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- स्त्रियां एक साथ कई काम करने के काबिल हैं. वे बहुत कुछ कर सकती हैं. बस उन्हें यह विश्वास रखना है कि वे सब कुछ कर सकती हैं.
- मेरे पैरेंट्स ने मुझे लड़की होने के कारण कभी भी कुछ भी करने से नहीं रोका. इसके अलावा मैंने कभी भी इस आधार पर कोई फ़ैसला नहीं लिया कि मैं लड़की हूं. फैमिली ने मुझे यह सिखाया है कि करियर को सबसे ऊपर रखना स्वार्थी होना नहीं है, जबकि यह सबसे बड़ी ज़रूरत है. लेकिन ध्यान रहे कि अपने पैर हमेशा ज़मीन पर रखें.
- हम दोनों बहनों को अपनी आकांक्षाओं को कभी दबाना नहीं पड़ा. हमारे घर में मेरे पापा ही एकमात्र पुरुष थे, पर मां और हम बहनों की इच्छाओं का उन्होंने हमेशा सम्मान किया.
- कभी-कभी जब स्त्रियां अपने लिए कुछ करती हैं, तब उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है जैसे उन्होंने कोई अपराध किया हो. आज अच्छी बात यह हो रही है कि महिलाएं स्वयं के लिए सोच रही हैं. बदलाव आ रहा है. ज़िंदगी में कई बार बोल्ड डिसीजन भी लेने होते हैं, जो उन्हें लेनी चाहिए.
- हम समानता की बात करते हैं, तो समानता हर तरह से होनी चाहिए. इसके लिए सैलरी भी बराबर होनी चाहिए. काबिलियत व गुणों के आधार पर तनख़्वाह तय होना चाहिए, न कि लिंग के आधार पर.
प्रियंका चोपड़ा
- मेरे ख़्याल से अधिकतर लोगों को अभी तक पता ही नहीं है कि नारीवाद असल में है क्या? क्योंकि लैंगिक समानता के बारे में बातें तो ख़ूब होती हैैं, पर काम बहुत कम ही हुआ है.
- आज भी हमारे देश में ही नहीं दुनियाभर में लड़कियों से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है. उन्हें तक़रीबन हर जगह हिंसा व दुर्व्यवहार सहना पड़ता है. वैसे फेमिनिज़्म उस स्थिति को नियंत्रित करने का ज़रिया है, पर यह एक नकारात्मक शब्द बन कर रह गया है.
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- लोगों को महिला सशक्तिकरण का सही मतलब ही नहीं पता. दरअसल, नारीवाद का मतलब महिलाओं को अवसर मिलने से है, जो हमेशा पुरुषोें को मिलता रहा है.
- समाज में बदलाव लाने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि महिलाओं को समान अवसर दिए जाएं, ताकि वे विभिन्न क्षेत्रों में अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व कर सकें.
कंगना रनौत
- मेरा तो हमेशा से यह मानना है कि महिलाओं को अपनी पसंद-नापसंद को लेकर स्पष्ट रहना चाहिए और इसमें किसी को भी हस्तक्षेप करने का अधिकार न हो.
- दरअसल, मैं इस बात पर अधिक ज़ोर देना चाहती हूं कि महिलाएं क्या पहनती हैं और क्या पहनना भूल जाती हैं, यह पूरी तरह से उनका व्यक्तिगत मामला है, न कि दूसरों का.
- नारियों के विरुद्ध हो रहे अत्याचार को बढ़ावा हमारी दक़ियानूसी पुरानी क़ानून व्यवस्था के कारण मिल रहा है. यौन उत्पीड़न, बलात्कार, शोषण आदि से जुड़े केसेस में न्याय मिलने में बरसों लग जाते हैं. फाइल को भी क्लीयर होने में कई साल लग जाते हैें. पुलिस व क़ानून की पेचीदगियों के कारण पीड़िता का शोषण होता है सो अलग. महिलाओं पर हो रहे अपराध को रोकने के लिए जिस तरह सऊदी अरब में स्त्रियों पर हुए ज़ुल्म पर अपराधी को चौराहे पर फांसी पर लटका दिया जाता है, हमें भी कुछ इस तरह के कठोर कदम उठाने चाहिए.
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- महिला व पुरुष कभी एक जैसे नहीं हो सकते, वे हर स्तर पर स्पष्ट रूप से भिन्न हैं. हर शख़्स विकास के अलग लेवल पर है. इसी वजह से हमारे पास ईश्वर, गुरु, माता-पिता, वरिष्ठ यहां तक कि बॉस भी हैं. कुछ के पास अधिक अनुभव है या कुछ सही में अधिक विकसित हैं, परंतु हम किसी भी लेवल पर समान नहीं हैं.
- क्या हमें एक पुरुष की ज़रूरत है? यक़ीनन, जिस तरह पुरुष को स्त्री की आवश्यकता होती है. मेरी मां का जीवन कष्टदायी होता यदि उन्हें मेरे पिता के बिना अकेले ज़िंदगी का सफ़र तय करना पड़ता. साथ ही मेरे पिता का भी उनके बिना कोई जीवन नहीं होता.
सुष्मिता सेन
- एक नारी के रूप में जन्म लेना ईश्वर का आशीर्वाद है, जिसके लिए मैं हर रोज़ उनका शुक्रिया अदा करती हूूं.
- मेरे मन में एनर्जी को लेकर बेहद रिस्पेक्ट है और यह स्त्री शक्ति है, मैं उसे मां कहती हूं… मैं उसे दुर्गा कहती हूं… और मैं उसे हर महिला में जानती-पहचानती व मानती हूं.
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- महिलाएं अपने आपको प्राथमिकता दें. ख़ुद से प्यार करें. स्वयं को व्यक्त करें. अपना ख़्याल रखें.
- ख़ुद का आत्मविश्वास इतना ऊंचा रखें कि कोई भी स्त्रियों को चुप कराने की हिम्मत न करे. महिलाएं ध्यान दें कि उनकी ख़ुशी पूरे ब्रह्मांड को ऊर्जा देती है… वे अपनी शक्ति को जानें-समझें और कभी भी न भूलें.
विद्या बालन
- हमें स्त्रियों के संबंध में समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता को दूर करने की आवश्यकता है. आज महिलाएं वक़्त से बहुत आगे चल रही हैं.
- मेरे लिए महिला सशक्तिकरण वह है, जब एक गांव की नारी पहली बार अपना घूंघट उठाकर चलती है. आज स्त्रियों को यह जानना बहुत ज़रूरी है कि मैं कौन हूं? एक गांव की स्त्री जो ज़िंदगीभर पर्दे में रहती है और पहली बार जब वह घूंघट उठाकर चलती है, तो वह सशक्तिकरण है.
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- एक नारी के सेहत की ज़िम्मेदारी केवल उसकी ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार की है. हम इस बारे में केवल बात करते हैं, लेकिन ज़िम्मेदारी नहीं लेते.
- परिवारों को अपने घरों की महिलाओं के स्वास्थ्य में निवेश करना चाहिए. साथ ही प्रत्येक महिला को अपना ध्यान रखना ही चाहिए. महिलाएं स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को लेकर झिझकती हैं.
- मेरे लिए फेमिनिज़्म अपने अधिकारों को जानने के साथ अपनी शर्तों पर जीवन जीना है.
विमेन एम्पावरमेंट पर इन एक्ट्रेसेस का कहना है…
नीना गुप्ता
पुरुषों और महिलाओं को समान बताने वाले नारीवादी सिद्धांत को मैं खारिज करती हूं. यह सच नहीं है. स्त्रियों को हमेशा पुरुषों की ज़रूरत होती है. फालतू नारीवाद पर विश्वास करना ज़रूरी नहीं है कि महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं.
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ट्विंकल खन्ना
मैं स्त्री-पुरुष समानता को सपोर्ट करती थी, पर समानता का मतलब काम को दोगुना करना है, यह ठीक नहीं है. घरेलू कार्य की ज़िम्मेदारी अभी भी मुख्य रूप से घर की महिला का काम ही होता है. हम स्त्रियां सोचती हैं कि हम काफ़ी प्रगतिशील हैं. फिर भी खाना, घर, पर्दे, डायपर… यह सब नौकरी करने के साथ अभी भी हमारा ही काम रहा है.
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तापसी पन्नू
फेमिनिज़्म का मतलब यह नहीं है कि आप आरक्षण मांगें या दूसरे जेंडर पर दबाव बनाने के लिए एक्स्ट्रा अधिकार मांगें, बल्कि दोनों जेंडर्स को बराबरी पर लाने की कोशिश होनी चाहिए. हमें बराबरी की शिक्षा देनी होगी. जहां आपको वह सब कहने व अपने विचारों को व्यक्त करने का अधिकार हो, जिस पर आप यक़ीन करती हैं.
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मीरा राजपूत
मैं एक गृहिणी हूं और इस पर गर्व करती हूं. आप एक परफेक्ट होममेकर क्यों नहीं हो सकतीं? उपलब्धि का मतलब कुछ भी हो सकता है. मेरी प्रेग्नेंसी मुश्किलों भरी थी, पर अब मुझे घर पर रहना व अपने बच्चे के साथ समय बिताना पसंद है. ऐसा नहीं है कि मैं आज की नारी नहीं हूं. मॉडर्न होने के लिए आपको परंपराओं व आदर्शों से समझौता नहीं करना पड़ता. घर पर रहना मेरी पसंद है. एक कामकाजी मां भी अपनी पसंद ख़ुद बनाती है. इसे लेकर हाउसवाइफ या वर्किंग वुमन को शर्मिंदा नहीं किया जा सकता है.
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हुमा कुरैशी
मैं समान काम के लिए समान सैलेरी में विश्वास करती हूं. यदि दो लोग समान काम कर रहे हैं और बॉक्स ऑफिस पर उनकी स्थिति समान है, तो उन्हें समान भुगतान किया जाना चाहिए.
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मैं नहीं मानती कि मुझे केवल इसलिए अधिक या कम पैसा मिलना चाहिए, क्योंकि मैं एक स्त्री हूं. नारीवादी वह है, जो अन्य महिलाओं को सक्षम व सशक्त बनाती है.
- ऊषा गुप्ता
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Photo Courtesy: Social Media