मोशन सिकनेस यात्रा के दौरान गति के कारण होनेवाली समस्या है. अमूमन कार, बस, प्लेन, बोट में सफ़र करने के दौरान मोशन सिकनेस अधिक होती है. लेकिन जब यात्रा ख़त्म होती है यानी कार, प्लेन आदि से उतर जाते हैं, तब यह अपने आप दूर भी हो जाती है. मोशन सिकनेस की शिकायत बड़ों की अपेक्षा छोटे बच्चों को अधिक होती है.
मोशन सिकनेस में चक्कर आना, उल्टी, बेचैनी, थकान, सिरदर्द, मतली, पसीना आदि शिकायत होती है. यदि छोटे बच्चे को इस तरह की परेशानी होती है और कई घंटे बाद भी समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें. वैसे कुछ घंटों में यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है, पर छोटे बच्चों के मामले में अधिक समय होने पर इंतज़ार करने की बजाय यहां दिए गए उपायों को ज़रूर आज़माएं.
- उन्हें खिड़की के पास बैठाएं और बाहर की ताज़ी हवा लेने दें. ट्रेन में हैं, तो पंखा चलाएं.
- छोटे बच्चों को सफ़र के दौरान पढ़ने या गैजेट्स आदि का इस्तेमाल न करने दें.
- मोशन सिकनेस की परेशानी को कम करने में रिस्ट बैंड भी कारगर सिद्ध होता है. इसका भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
- बच्चे का माइंड डायवर्ट करने के लिए उससे प्यार से ढेर सारी बातें करें.
- अगर आप ट्रेन या बस में यात्रा कर रहे हैं, तो बच्चे को आगे की ओर वाली सीट पर बिठाएं. इसी तरह प्लेन की जर्नी में फैन के क़रीब वाली सीट पर बच्चे को बैठाना बेहतर रहता है. दरअसल, इन जगहों पर बैठाने से बच्चे को चलती गाड़ी में होने की फीलिंग कम होती है और बच्चा मोशन सिकनेस से बचता है.
यह भी पढ़ें: पैरेंट्स के आपसी रिश्ते तय करते हैं बच्चे का भविष्य (Relationship Between Parents Decides The Future Of The Child)
- मोशन सिकनेस से ध्यान हटाने के लिए बच्चे के साथ कोई गेम खेलें या फिर गाने गाए जा सकते हैं. अंताक्षरी भी खेली जा सकती है, ताकि उसका ध्यान इस प्रॉब्लम से हटकर दूसरी तरफ़ जाए.
- मोशन सिकनेस होने पर बच्चे को अपना सिर स्थिर रखते हुए क्षितिज की ओर देखने के लिए कहें.
- यदि आप कार में लंबी यात्रा पर जा रहे हैं, तो समय-समय पर ब्रेक लेते हुए सफ़र करें. कोशिश करें कि घंटों लगातार कार न चलाएं.
- यदि आपका बच्चा अक्सर मोशन सिकनेस की परेशानी झेलता है, तो उसे जर्नी से पहले या जर्नी के दौरान हैवी फूड खाने के लिए न दें.
- यदि बच्चे को अक्सर मोशन सिकनेस में उल्टी की समस्या होती है, तो डिस्पोजेबल बैग, वाइप्स, कंटेनर, एक्स्ट्रा कपड़े आदि ज़रूर कैरी करें.
- यदि आप लॉन्ग जर्नी पर हैं, तो छोटे बच्चे को हल्का ब्रेकफास्ट, लिक्विड दें यानी पेय पदार्थ अधिक देना बेहतर होता है.
- बच्चे का पसंदीदा संगीत लगाना भी बेहतर विकल्प है. इससे उसका ध्यान म्यूज़िक सुनने पर रहता है और मोशन सिकनेस से बचा रहता है.
- यदि कार में छोटे बच्चे को मोशन सिकनेस हो रही है, तो उसे कार के बाहर की चीज़ों को देखने और उस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहें.
- मोशन सिकनेस में अधिक खाने-पीने को न दें. संतुलित भोजन दें. यदि बच्चा अधिक खाने की ज़िद करे, तो उसे थोड़े-थोड़े अंतराल पर हल्का-फुल्का ही खाने दें.
- कुछ बच्चों को वीडियो गेम खेलने, झूला झूलने, मनोरंजन पार्क के राइड्स में बैठने पर भी मोशन सिकनेस होता है. वैसे तक़रीबन हर दो में से एक बच्चे को यह समस्या होती है. हां, दस-बारह साल के बच्चों में यह प्रॉब्लम थोड़ी ज़्यादा होती है. परंतु सालभर से कम उम्र के बच्चों में मोशन सिकनेस होना सामान्य नहीं होता. ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें.
- यदि बच्चा चाहे, तो अपनी इच्छाशक्ति द्वारा भी इस प्रॉब्लम से उबर सकता है. ऐसे में पैरेंट्स को उसे समझाना व उत्साहित करते रखना होगा.
इसे अनदेखा न करें…
कई बार छोटे बच्चे मोशन सिकनेस की समस्या को बता नहीं पाते. यदि सफ़र के दौरान बच्चे का चेहरा पीला पड़ जाए, परेशान या डरा हुआ हो या फिर सुस्त दिखे, तो उसे मोशन सिकनेस की प्रॉब्लम हो सकती है. यदि बच्चा बस या कार में बैठने में आनाकानी करे, यह भी इस बात का संकेत होता है कि वो इस समस्या से जूझ रहा है. वैसे मोशन सिकनेस गति बंद हो जाने यानी कार-बस या प्लेन से उतरने पर अपने आप बंद हो जाती है.
यह भी पढ़ें: बच्चों की आंखों के लिए इफेक्टिव एक्सरसाइज़ (Effective Exercises For Children’s Eyes)
हेल्थ अलर्ट
- मोशन सिकनेस कम से कम आठ घंटे से अधिक समय तक रहता है.
- इमर्जेंसी में ख़ासकर उल्टी की समस्या से निपटने के लिए जिपलॉक वाला प्लास्टिक बैग ज़रूर रखें.
- मोशन सिकनेस अधिकतर आनुवांशिक भी होता है. अगर पैरेंट्स में मां या पिता में से किसी एक को भी यह समस्या है, तो पचास प्रतिशत संभावना यह होती है कि बच्चे में भी यह प्रॉब्लम देखने को मिलती है.
- छह साल के बच्चों में मोशन सिकनेस होने पर अधिकतर चक्कर आने की द़िक्क़त होती है. वहीं बारह साल के बच्चों में पेटदर्द, मतली के लक्षण अधिक पाए जाते हैं.
दिलचस्प पहलू
- पायलट के ट्रेनिंग में एक तिहाई ट्रेनर हवाई बीमारी के शिकार हो जाते हैं. तक़रीबन पांच में से एक तो गंभीर रूप से पीड़ित हो जाते हैं.
- स्त्रियों में मोशन सिकनेस की समस्या पुरुषों के मुक़ाबले अधिक होती है.
- बच्चों में होनेवाले मोशन सिकनेस की समस्या अधिकतर कार के सफ़र में होती है.
- दो साल से लेकर बारह साल तक के बच्चों का मोशन सिकनेस से अधिक प्रभावित होना उनका अति संवेदनशील होना माना जाता है.
- रेखा कुंदर
Photo Courtesy: Freepik