कार्तिक आर्यन अपनी फिल्म 'फ्रेडी' को मिले ज़बरदस्त रिस्पांस से बेहद ख़ुश हैं. उन्होंने फीफा वर्ल्ड कप फाइनल देखने का भी ख़ूब लुत्फ़ उठाया. उनकी आनेवाली फिल्मों की फ़ेहरिस्त में शहजादा, कैप्टन इंडिया, सत्यनारायण की कथा जैसी बेहतरीन फिल्में हैं, जिसे लेकर उनके फैंस बेहद उत्साहित हैं. कार्तिक भी अपने फैन्स के साथ काफ़ी जुड़े रहते हैं, वे उन्हें कभी निराश नहीं करते. आइए, उनसे जुड़ी कुछ सुनी-अनसुनी बातें उनसे ही जानते हैं.
मुझे आज भी याद है मेरी पहली फिल्म 'प्यार का पंचनामा' हिट होने के बाद भी मैं ऑडिशन देता रहा. लोगों के बीच मेरी अपनी पहचान नहीं बन पाई थी. सही मायने में पहचान 'सोनू की टीटू की स्वीटी' फिल्म के बाद मिली.
मेरा सब्र करना ही मेरी कामयाबी का राज़ है. मेरी शुरू की कुछ फिल्में नहीं चली, लेकिन कभी मैंने धैर्य नहीं खोया और सतत ख़ूब मेहनत करता रहा. ख़ुद को पॉजिटिव रखता रहा. हमेशा मन में एक बात रही कि आज लोग मुझे नहीं समझ पा रहे, लेकिन एक दिन आएगा कि वे मुझे समझेंगे और भरपूर प्यार भी देंगे.
मैं न्यूकमर्स को यही सलाह देना चाहूंगा कि वे कभी भी निराश ना हो. कड़ी मेहनत और लगन के साथ आगे बढ़ते रहें. यक़ीनन कामयाबी मिलेगी, पर अपनी उम्मीद का दामन कभी ना छोड़े.
मेरा यह मानना है कि कॉमेडी करना सबसे मुश्किल काम होता है और इसे करते समय आपको कई पहलुओं पर ध्यान देना होता है. यदि आप बारीक़ी से उसकी पकड़ को बनाए रखते हैं, तो हंसाना बहुत मुश्किल काम भी नहीं होता है. कई कॉमेडी फिल्में बनती हैं, लेकिन सफल बहुत कम ही हो पाती हैं. बस, एक बात याद रखनी चाहिए कि आप नेचुरल कॉमेडी करें और कॉमिक टाइमिंग भी परफेक्ट होना चाहिए, तब सफलता ज़रूर हाथ लगती है.
यदि मेरे नज़रिए से देखेंगे, तो मुझे कॉमेडी से ज़्यादा इमोशनल सीन करना कंफर्टेबल और आसान लगता है. इससे मेरे निर्देशक को भी संतुष्टि मिलती है, क्योंकि मैं कॉमेडी की बजाय रोने-धोने वाले भावनात्मक दृश्य को बेहतर तरीक़े से कर पाता हूं, ऐसा मेरा मानना है. लेकिन हंसाने वाले सीन हो या रुलाने वाले दोनों में मैं सहज रहता हूं, शायद यही वजह है कि ये लोगों के दिलों को छू जाती है.
मेरी फिल्में पारिवारिक होती हैं. मेरा यह मानना है कि लोग इस तरह की फिल्में, जो परिवार के साथ बैठकर देख सके देखना अधिक पसंद करते हैं. यही वजह रही कि लुका छुपी, सोनू की टीटू की स्वीटी, पति पत्नी और वो, भूलभुलैया 2, फ्रेडी सुपरडुपर हिट रही.
मैं ख़ुद को ख़ुशनसीब मानता हूं कि मुझे लोगों का बेहद प्यार मिला. अपने फैंस का शुक्रिया भी अदा करता हूं, जिन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया. मेरी फिल्में पसंद कीं और मुझे हर भूमिकाओं में स्वीकारा भी. इससे मुझे और अच्छा करने का प्रोत्साहन मिलता है. अब मेरी कोशिश रहेगी कि मैं अलग-अलग तरह की भूमिकाएं करूं, जैसे मैंने 'फ्रेडी' की. मैं किसी ख़ास भूमिका में बंधना नहीं चाहता. अगर मुझे रोमांटिक रोल में दर्शक पसंद करते हैं, तो फिर उस तरह कई फिल्में क्यों ना हो, ज़रूर करूंगा.
कोविड-19 के दरमियान कई मुश्किलें आई थीं. कई फिल्में छूट गईं. लेकिन मैं इन मुद्दों पर न कभी बोला था, ना कभी बोलूंगा. वक़्त के साथ स्थितियां बदलती हैं. मैं सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने में विश्वास रखता हूं और अपने काम पर अधिक ध्यान देना पसंद करता हूं.
कॉमेडी हो या गंभीर तरह की भूमिकाएं दोनों में ही मेहनत रहती ही है. गंभीर भूमिकाएं करना ही आपको एक अभिनेता के तौर पर स्थापित करता है ऐसा नहीं है. जैसे मेरी फिल्म 'धमाका' में भी मुझे उतनी ही मेहनत और ध्यान देना पड़ा, जितना कि 'भूलभुलैया 2' में. अपनी हर फिल्म में हमें अपना शत-प्रतिशत देना ही पड़ता है. इसलिए लोगों से गंभीर भूमिका हो या कॉमेडी दोनों को ही समान रूप से देखना चाहिए. आमतौर पर लोगों का सोचना होता है कि हंसाना आसान होता है, पर ऐसा नहीं है. मेहनत हर क़िरदार में लगती है. मेरी आनेवाली सभी फिल्में चाहे वो कैप्टन इंडिया, शहजादा, सत्यनारायण की कथा हो, सब में मुझे अलग-अलग भूमिकाओं में आप देखेंगे.
अक्सर लोग कहते हैं कि फिल्मों के प्रमोशन के लिए को-स्टार के साथ नाम जोड़ दिए जाते हैं. ऐसा नहीं है. मैं इस बात को आपको समझा नहीं पाऊंगा, लेकिन हर चीज़ प्रमोशनल नहीं होती. हम सब इंसान हैं. भावनाओं में बह ही जाते हैं, बस इतना ही कहना चाहूंगा.
हां, यह सच है कि मुझे अंधेरे से डर लगता है. शूटिंग के सिलसिले में बाहर जाता हूं और होटल के कमरे में अकेले रहता हूं, तो रूम की लाइट ऑन करके सोता हूं. पता नहीं क्यों अक्सर अजीब तरह के ख़्याल आते रहते हैं. मैं अंधविश्वासी नहीं हूं, लेकिन गुड और बैड एनर्जी को मानता हूं.
यदि किसी क्रिकेटर की ज़िंदगी पर कोई फिल्म बनती है, तो विराट कोहली को पसंद करता हूं और उनकी बायोपिक पर काम करना चाहूंगा.
फ़िलहाल अपने काम पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं. फिल्म इंडस्ट्री में कई तरह की बातें होती रहती हैं. अफ़वाहों का बाज़ार भी फलता-फूलता रहता है. बात का बतंगड़ बनाते लोगों को वक़्त नहीं लगता. लेकिन मैं अच्छा काम करने पर ध्यान दे रहा हूं. बाकी भी वही कर रहे हैं. आप ईमानदारी से अपना काम करिए अफ़वाह पर ध्यान ना दें. हां, अपने परिवार को लेकर थोड़ा चिंतित हो जाता हूं. जब मुझे लेकर कुछ ग़लत बातें फैलाई जाती हैं, तब मेरा परिवार परेशान हो जाता है. लेकिन जानता हूं कि फिल्म इंडस्ट्री का यह भी एक पार्ट है, इसलिए उन्हें समझाता हूं कि इन सब बातों पर ध्यान ना दें.
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