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लो बजट फेस्टिवल सेलिब्रेशन (Low Budget Festival Celebration)

Low Budget Festival Celebration हुए रौशन ये चराग़, देखो बेहिसाब...शब की रौऩकें बढ़ाने को हैं ये बेक़रार...कभी चाहत का नूर बनकर, तो कभी मुहब्बत का जुगनू बनकर... कभी चांदनी बनकर, तो कभी आफ़ताब का मंज़र बनकर... फेस्टिवल के आते ही बाज़ार सजने लगते हैं और घरों की रौऩकें भी बढ़ने लगती हैं, लेकिन त्योहार के जोश और ख़ुशी में हम फ़िज़ूलख़र्ची भी ज़्यादा ही करने लगते हैं और बाद में बजट बिगड़ने पर परेशान होते हैं. बेहतर होगा कि पहले से ही ख़र्चे पर लगाम लगाएं, ताकि दिवाली हंसी-ख़ुशी में बीते. बहुत-से लोगों की आदत होती है कि दिवाली आते ही बिना सोचे-समझे हर चीज़ ख़रीदने लगते हैं. इससे फ़िज़ूलख़र्ची के अलावा और कुछ नहीं होता. बेहतर होगा कि आप इन बातों का ख़्याल रखें- Low Budget Festival Celebration
  • एक लिस्ट बना लें कि दरअसल क्या-क्या नया ख़रीदना है और क्या नहीं.
  • सबका बजट निश्‍चित कर लें, जैसे- कपड़े-ज्वेलरी, खाना-पीना, गेट-टुगेदर, गिफ्ट्स आदि.
  • अगर आप दिवाली की छुट्टियों में कहीं बाहर जाने की सोच रहे हैं, तो काफ़ी एडवांस में ही टिकट्स और होटल बुकिंग्स कर लें, क्योंकि वो काफ़ी सस्ता पड़ेगा.
  • ग़ैरज़रूरी चीज़ें न ख़रीदें.
  • इस व़क्त बहुत-से ऑफर्स होते हैं, सेल और डिस्काउंट भी आपको बहुत लुभाएंगे, लेकिन स़िर्फ इसलिए कि डिस्काउंट है, आप चीज़ें न ख़रीदें. यदि सच में ज़रूरत है, तो ही ख़रीदें.
और भी पढ़ेंनवविवाहित कैसे मनाएं दिवाली? 
  • नया फर्नीचर बदलने की जगह उन्हें पॉलिश करवा लें.
  • आप घर पर ही नए कर्टन्स और कुशन कवर्स तैयार कर सकते हैं, जैसे- कोई पुरानी साड़ी, जिस पर वर्क हो, तो उसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • आप अपने पुराने कर्टन्स को लेस से सजाकर भी नया लुक दे सकते हैं.
  • पूरे घर को पेंट करने की बजाय एक दीवार पर डिज़ाइन पेंट करवाएं. इससे पूरे रूम का लुक बदल जाएगा.
  • पुराने वुडन फर्नीचर को भी आप पेंट करके नया लुक दे सकते हैं.
Low Budget Festival Celebration
  • दीयों को आप ख़ुद भी पेंट करके अलग लुक दे सकते हैं. मिट्टी के साधारण दीये ले आएं और उन्हें पेंट करके, मिरर या मोतियों से सजाएं.
  • घर पर रखे कांच के जार को नीचे से कलर करें और पानी भरकर फ्लोटिंग कैंडल्स से सजाकर सेंटर टेबल पर रखें. ये शोपीस का काम करेगा.
  • इलेक्ट्रॉनिक डेकोरेशन आपको हर साल नया लेने की ज़रूरत नहीं है. पिछले साल वाला ही इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
  • रातभर इलेक्ट्रॉनिक डेकोरेशन को ऑन रखने की ज़रूरत नहीं है. एक निश्‍चित समय के बाद उसे ऑफ कर दें. इससे बिजली की बचत भी होगी. बहुत ज़्यादा डेकोरेशन से घर म्यूज़ियम लगने लगता है, इसलिए हर चीज़ को न सजाएं.
  • फूलों से आप घर को फेस्टिव लुक दे सकते हैं. वो ख़ूबसूरत भी लगते हैं, इको फ्रेंडली भी होते हैं और महंगे भी नहीं पड़ते.
  • अगर आपका बजट आपको इजाज़त नहीं देता, तो महंगे गिफ्ट्स न ख़रीदें. आपके द्वारा दिया गया ग्रीटिंग कार्ड या एक फोन कॉल ही काफ़ी है यह दर्शाने के लिए कि आपको उनकी फ़िक्र है. इसके लिए बेवजह मात्र दिखावे के लिए महंगे गिफ्ट्स न लें.
Low Budget Festival Celebration
  • मार्केट में रेडीमेड ड्रायफ्रूट्स या चॉकलेट्स के गिफ्ट पैक्स इस दौरान काफ़ी महंगे हो जाते हैं. बेहतर होगा कि आप ड्रायफ्रूट्स और चॉकलेट्स ख़रीदकर ख़ुद घर पर उनकी पैकिंग करके गिफ्ट के तौर पर दें. उसमें आप वेरायटी भी दे सकते हैं, जैसे- ड्रायफ्रूट्स के साथ घर पर बनी मिठाइयां आदि भी पैक कर सकते हैं.
  • ईएमआई पर चीज़ें उपलब्ध हैं, मात्र इसी कारण आप उन्हें न ख़रीदें. पहले यह तय करें कि क्या आपको उन चीज़ों की ज़रूरत है? क्या आप ईएमआई का बोझ उठा सकते हैं? ऐसा न हो कि वो आगे चलकर आपके तनाव का कारण बन जाए. जिन चीज़ों को आप एंजॉय नहीं कर पाएंगे और जो आपके तनाव का कारण बन जाएं, उन्हें न लें.
  • पटाखों पर ज़्यादा पैसे फूंकने से बेहतर होगा कि सेफ दिवाली मनाने के लिए बच्चों को मनाएं. उन्हें प्यार से समझाएं कि पटाखों से प्रदूषण फैलता है, बीमारी हो सकती है और ये ख़तरनाक भी हो सकते हैं.
  • मिठाइयां और अन्य पकवान भी उतने ही बनाएं, जितना काम आ सके, वरना बाद में सब बच जाता है, जो ख़राब हो जाता है और फिर फेंकना पड़ता है.
  • कोशिश करें कि कैश या डेबिट कार्ड से ही शॉपिंग करें. क्रेडिट कार्ड से फ़िज़ूलख़र्ची की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं.
  • मॉल्स या महंगी दुकानों की बजाय कुछ चीज़ों की शॉपिंग एक्ज़िबिशन्स या स्ट्रीट से करें. यह काफ़ी सस्ता पड़ेगा.
  • ज़रूरत और चाहत के बीच के फ़र्क़ को पहचानें. विभिन्न ऑफर्स के चक्कर में न आकर यह देखें कि यह चीज़ आपकी ज़रूरत की लिस्ट में है या आप बस यूं ही अट्रैक्ट होकर उसे ख़रीदने की चाहत रखते हैं.
  • सबसे ज़रूरी बात तो यह है कि आप यह समझें कि दिवाली या कोई भी त्योहार दिखावे के लिए नहीं, मेल-मिलाप बढ़ाने और मिल-जुलकर ख़ुशियां सेलिब्रेट करने के लिए होते हैं.
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- ब्रह्मानंद शर्मा

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