'फर्ज़ी' के प्रभावशाली परफॉर्मेंस के बाद एक बार फिर 'ब्लडी डैडी' के ज़रिए शाहिद कपूर ने लाजवाब अभिनय से सभी को प्रभावित किया है. फिल्म में उनका लुक, एक्टिंग, एक्शन क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. निर्देशक अब्बास अली जफ़र ने एक फुल एक्शन पैक मूवी बनाई है, जो एक दिन की पूरी कहानी है. शाहिद कपूर नारकोटिक्स विभाग में ऑफिसर सुमेर हैं. उन्हें 50 करोड़ का ड्रग्स ज़ब्त किया है. शाहिद कपूर थोड़े अलग क़िस्म के ऑफिसर हैं, जो हेरा-फेरी करने से भी बाज नहीं आते. जब वे इसे लेकर तिकड़म लड़ा ही रहे होते हैं कि उनके बेटे का किडनैप करके उन्हें ही शिकार बना दिया जाता है.
वो ड्रग्स अपराध जगत के सिकंदर रोनित रॉय का है, जिसे हासिल करने के लिए वो सुमेर के बेटे को किडनैप कर ब्लैकमेल करता है कि बेटे की जान प्यारी है तो ड्रग्स से दें.
सुमेर की कहानी ऐसी है कि उनका अपनी बीवी से तलाक़ हो चुका है और वह अपने बेटे को बेहद प्यार करते हैं. उसकी ख़ातिर ड्रग्स देने के लिए वापस आते हैं. पर सुमेर यह भी पता करना चाहता है कि बेटा उसके पास हैं कि नहीं पहले ड्रग्स होटल में छुपा देता है और फिर जब दोबारा उसे लेने जाता है, तो वहां से माल गायब रहता है.
आखिर ड्रग्स किसने चुराया? डायना पेंटी, संजय कपूर व राजीव खंडेलवाल किस तरह से इससे जुड़ते हैं और कहानी में ट्विस्ट होता है, वो दिलचस्प है. कई लोग इसे हासिल करना चाहते हैं. एक दिन की कहानी बहुत कुछ होता चला जाता है.
सभी कलाकारों ने अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाई है. फिर चाहे वो शाहिद कपूर, रोनित रॉय, संजय कपूर हो या डायना पेंटी, राजीव खंडेलवाल. विवान भटेना और अंकुर भाटिया ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है.
शाहिद कपूर के अभिनय में ख़ूब निखार आता जा रहा है. वैसे तो वे प्रतिभाशाली कलाकार हैं, लेकिन हर बार अपने एक्टिंग से कुछ नया दिखाते और चौंकाते हैं. ब्लडी डैडी में उन्होंने यही कमाल दिखाया है.
फिल्म की कहानी अब्बास अली ने आदित्य बसु के साथ मिलकर लिखी है. निर्देशन भी उन्होंने किया है निर्माता के तौर भी वे जुड़े हैं. वैसे ज्योति देशपांडे और हिमांशु किशन मेहरा भी इसके निर्माताओं में से हैं.
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जिओ सिनेमा ने इसे रिलीज़ किया है. इस फिल्म को लेकर काफ़ी लोगों का कहना था कि इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म की जगह पर थिएटर में रिलीज़ करना ज़्यादा बेहतर होता. निर्माता-निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने तो अपना कड़ी प्रतिक्रिया भी ज़ाहिर की. उनके अनुसार, बॉलीवुड बर्बादी के कगार पर जा रहा है, जो 200 करोड़ की फिल्म को इस तरह से ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाया जा रहा है, जो ठीक नहीं है.
बादशाह का गाना-संगीत फिल्म के सिचुएशन के हिसाब से ठीक है. पायल देव और बादशाह की आवाज़ में इस्सा वाइब... अच्छी बन पड़ी है. फिल्म में कई चीज़ें भी मज़ेदार हैं, जैसे कोराना काल के दौर की बातें एक गाने में गो कोरोना गो... गाते-ड्रम बजाने का सीन दिलचस्प लगता है. आबू धाबी के गुरुग्राम होटल में फिल्माया गया एक्शन-थ्रिलर देखने काबिल है. कई जगहों पर उपदेश देने की भी कोशिश की गई है, जो पॉलिटिकल एंगल लगता है, पर खटकता नहीं है.
फ्रेडरिक जार्डेन की फ्रेंच फिल्म ‘नुई ब्लॉन्श’ यानी स्लीपलेस नाइट से काॅन्सेप्ट लिया गया है, जो साल 2011 में रिलीज़ हुई थी. इसी पर तमिल में साल 2015 में कमला हासन की 'दूंगा वनम' फिल्म बनी थी, जिसमें उनके साथ प्रकाश राज ने भी अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन इसी फ्रांसीसी मूवी अब्बास अली ने अपनी कल्पना और निर्देशन से अलग ही रंग भरे हैं. स्टीवन बर्नाड का संपादन व मारसिन लास्काविएक की सिनेमैटोग्राफी उम्दा है. एक्शन-थ्रिलर, मारधाड़ देखने वाले और शाहिद कपूर के फैंस को यह फिल्म यक़ीनन बेहद पसंद आएगा.
रेटिंग: 3 ***
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