रेटिंग: ** 2
टाइगर श्रॉफ और कृति सेनॉन की फिल्म 'गणपत' जहां एक्शन से भरपूर मनोरंजन करती है, तो वहीं दिव्या खोसला कुमार, मिज़ान जाफ़री, पर्ल पुरी की फिल्म 'यारियां 2' रिश्तों और भावनाओं को ख़ूबसूरती से प्रस्तुत करती है.
गणपत फिल्म की शुरुआत अमिताभ बच्चन के वॉइस ओवर से होती है. यह भविष्य की कहानी साल 2060 को लेकर चलती है, जहां दुनिया पूरी बर्बाद हो चुकी है, बस दो ही तबका है- एक अमीरों का जिन्होंने अपने लिए एक सिल्वर सिटी का निर्माण किया है, जो सभी आधुनिक सुविधाओं से लेस है. वहीं दीवार की दूसरी तरफ़ गरीबों की बस्ती है, जो रोज़मर्रा के अपने जीवन जीने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें गहरा आक्रोश और नाराज़गी है पैसों वाले अमीरों को लेकर. वे आपस में लड़ते-झगड़ते हैं. तब उन्हें अमिताभ, दलपति समझते हैं कि वह अपने क्रोध को इकट्ठा करके रखें. उसे इस तरह से व्यर्थ ना करें.!उसे सिल्वर सिटी के पैसे वाले लोगों से लड़ने के लिए सहेज के रखें. वे उनके क्रोध व भड़ास को निकालने के लिए एक बॉक्सिंग रिंग का निर्माण करते हैं और कहते कि सब लोग इसमें बॉक्सिंग करके लड़कर अपने ग़ुस्से को शांत करें और उसे बाहर निकालें.
जब सिल्वर सिटी के सरगना दलिनी को इसका पता चलता है, तब वह अपने बंदे जॉन को वहां भेजकर रिंग वगैरह सब नष्ट करवाता है.
अब कहानी में ऐसा ट्यूस्ट आता है कि गरीब गुड्डू टाइगर श्रॉफ अमीरों के साथ में है. वह अपने बॉस जॉन को बॉक्सिंग में पैसे कमाने में मदद करता रहता है. लेकिन इसी के साथ उसके जॉन की गर्लफ्रेंड एलीराम के साथ भी कुछ प्यार भरे संबंध बनने पर जॉन उन दोनों को मरवा कर दफ़न करवा देता है.
लेकिन भगवान गणपति के चमत्कार स्वरूप गुड्डू बच जाता है और फिर वह गरीबों के क्षेत्र में जाकर शिवा को मिलता है. उसे कहता है कि मुझे शिवा से मिलने और एक कोड वर्ड दिया गया है कि गणपत आला.. अब आप बताओ मुझे इसके बारे में कुछ समझ में नहीं आया. यह मुझे जिसने मेरी जान बचाई उसने यह कोड दिया था.
तब यहां पर एक्शन के साथ में कृति सेनॉन का आमना-सामना टाइगर से होता है.
कृति शिवा को बताती कि यह गुड्डू वही शख़्स है, जिसके बारे में दलपति जी ने भविष्यवाणी की थी कि हमें अमीरों से गणपत छुड़ाएगा और वह गणपत गुड्डू ही है.
कहानी में कई ट्विस्ट हैं. एक्शन, डांस और गानों की भरमार है.
क्या गणपत गरीबों को अमीरों के ज़ुल्म से बचा पाता है? यह तो फिल्म देखने के बाद ही जान पाएंगे.
अमिताभ बच्चन दलपति की भूमिका में काफ़ी प्रभावशाली है. टाइगर श्रॉफ ने गणपत की क़िरदार में एक्शन का भरपूर ओवरडोज दिया है, जो कहीं पर खूब पसंद आता है, तो कहीं पर खलता भी है. उन्हें एक्टिंग में और भी मेहनत करने की ज़रूरत है. बाकी उनकी बॉडी, एक्शन व डांस सब ज़बर्दस्त है. कृति सेनॉन भी पहली बार एक्शन की भूमिका में ख़ूब जंची हैं. दोनों की पहली फिल्म हीरोपंती के नौ साल बाद भी दोनों का तालमेल बढ़िया है.
फिलिस्तीन अभिनेता जैक बकरी ने विलेन के रूप में कमाल का काम किया है. उनका अभिनय बेमिसाल है.
अन्य कलाकारों में शिवा जमाल और सब ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है.
लेखक-निर्देशक विकास बहल अपनी फिल्में, जैसे- क्वीन सुपर 30 जैसा प्रभाव तो इस फिल्म में नहीं दे पाए, लेकिन फिर भी अलग तरह का एक्सपेरिमेंट उन्होंने ज़रूर किया है, जो ठीक-ठाक है. फिल्म हिंदी कम हॉलीवुड की फिल्म की तरह अधिक लगती है और इसका ट्रीटमेंट भी उसी तरह का दिया गया है. कई बार हमें हॉलीवुड फिल्मों के एक्शन जैसा एक्शन सीन्स भी देखने मिलते हैं. एक्शन फिल्म के प्रेमी इस फिल्म को ज़रूर पसंद करेंगे, क्योंकि उसमें उनके फेवरेट एक्टर टाइगर श्रॉफ के साथ पूरे मारधाड़, धमाल, एक्शन और वीएसएफ का बढ़िया इस्तेमाल किया गया है. संगीत कहीं पर ठीक है, तो कहीं पर कर्कश सा लगता है. कहानी पटकथा में थोड़ी और मेहनत की ज़रूरत थी, तब और बढ़िया फिल्म बन सकती थी. निर्माता के रूप में वासु भगवानी की यह बेहद कमज़ोर फिल्म कह सकते हैं.
तीन कजन्स की ख़ूबसूरत
कहानी है 'यारियां 2'
दिव्या खोसला कुमार, मिज़ान जाफ़री और पर्ल वी. पुरी की सिंपल व प्यारी सी फिल्म है यारियां 2. यह मलयालम फिल्म 'बैंगलोर डेज़' पर आधारित है. कैसे तीन ज़िंदगियां अलग-अलग हालातो में संघर्ष करती हैं. तीनों भाई-बहन न केवल एक-दूसरे को संभालते हैं, बल्कि परिस्थितियों से निकलने की कोशिश भी करते हैं.
लाड़ली, दिव्या ब्यूटी क्वीन बनना चाहती है लेकिन मां लिलिट दुबे की इच्छा के कारण अपनी इच्छा को त्याग कर घर बसाती है और मुंबई आती है. वहां पता चलता है कि उसके पति का किसी लड़की के साथ अफेयर है.
शिखर रंधावा एक बाइकर रेसर है, जिस पर बैन लग चुका है. वह उससे उबरने की कोशिश कर रहा है. वही बजरंग, पर्ल भी पैरेंट्स की इच्छा अनुसार नौकरी के लिए मुंबई आता है. तीनों कजन्स मिलते हैं और अपने सुख-दुख को साझा करते हैं और कैसे इससे उबरते है, इसे बड़ी ही सुंदर तरीक़े से दिखाया गया है.
यारियां में जहां दिव्या खोसला कुमार ने निर्देशन की बागडोर संभाली थी, वहीं यारियां 2 में वह अभिनय करते हुए दिखाई देती हैं. अभिनय और अपनी मासूमियत से प्रभावित भी करती हैं वे. शिखर ढींगरा बने मिज़ान भी अपनी पहली फिल्म मेंजाच और ज़बर्दस्त लगे हैं. पर्ल पुरी भी हमेशा की तरह ही लुभाते हैं. फिल्म के गीत-संगीत पर भी काफ़ी ध्यान दिया गया है. बेवफा तू, वेडिंग सॉन्ग, सुट पटियाला अच्छी बन पड़ी है.
निर्देशन की बागडोर राधिका राव और विनय सप्रू ने संभाली है. उन्होंने इसे अच्छा ट्रीटमेंट दिया है. मूवी एक फ्रेशनेस लाती है. यंगस्टर्स को ज़रूर पसंद आएगी. लेकिन फिर भी कई खामियां भी हैं, जैसे फिल्म को थोड़ी छोटी की जा सकती थी.
लाड़ली के पति की भूमिका में यश दास गुप्ता ने प्रभावित किया है. मलयाली एक्ट्रेस अनस्वरा ने विकलांग के रोल में गहरी छाप छोड़ी है. वरीना हुसैन, भाग्यश्री बोरसे व मुरली शर्मा ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है.
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