रेटिंग: 3 ***
महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण द्वारा अश्वत्थामा को कहे शब्द की वे सदियों तक धरती पर ही अमर रहेंगे… का क्या बख़ूबी इस्तेमाल किया है निर्देशक नाग अश्विन ने कल्कि 2898 एडी फिल्म में.
पहली बार हॉलीवुड की टक्कर की नहीं, बल्कि उसके एक कदम आगे निकल गई भारत की यह फिल्म. इसके एक्शन, फाइट सीन्स, कैरेक्टर्स, कहानी, वीएफएक्स, सिनेमैटोग्राफी सब कुछ बेमिसाल है. चूंकि फिल्म की कहानी भी नाग अश्विन ने ही लिखी है, तो कई बार वे अपनी कल्पना की दुनिया इतना आगे बढ़ जाते है कि दर्शकों को जिसे समझने समय लग जाता है. उन्होंने कई प्रयोग ऐसे भी किए हैं, जो अविश्वसनीय से लगते हैं, पर कहते हैं ना फिल्मों में हर तरह की छूट लेखक-निर्देशक से लेकर कलाकार भी ले लेते हैं, वही बात इस फिल्म में भी दिखती है.
नायक तो प्रभास हैं, पर फिल्म के अंत में सारी वाहवाही अश्वत्थामा बने अमिताभ बच्चन लूट लेते हैं. मध्यांतर से कुछ पहले जो उनकी एंट्री होती है, वो अंत तक लोगों को बांधे रखती है. उम्र के इस पड़ाव पर उनके हैरेतअंगेज कारनामे काबिल-ए-तारीफ़ हैं. वे साबित करते हैं कि क्यों उन्हें बिग बी, महानायक, शहंशाह कहा जाता है. जो फिल्म इंटरवल तक बिखरी सी धीमी लग रही थी. वो अमितजी के आने के बाद लड़ाई, ख़ासकर प्रभास के साथ के दृश्यों को देख रफ़्तार पकड़ने के साथ रोमांचित करने लगती है.
भैरवा, प्रभास बाउंटी हंटर है, जो विद्रोही पर इनाम घोषित होने पर उन्हें अपना शिकार बनाते हैं. इसी वजह से वो सुमति, दीपिका पादुकोण को भी पकड़ने की कोशिश करते हैं, जिससे उसे काशी से कॉम्प्लेक्स में प्रवेश मिल सके. कॉम्प्लेक्स एक ऐसी दुनिया है, जिसे सुप्रीम यास्किन, कमल हासन ने बनाई है. जहां पर उनका राज चलता है और ऐशोआराम के सारे तामझाम मौजूद है. सुप्रीम अपने आदमी कैप्टन मानस, शाश्वत चटर्जी द्वारा वैज्ञानिकों से एक प्रयोग करवा रहा हैं. वो ऐसे तमाम महिलाओं को गर्भवती बनवाकर उनके गर्भ में मौजूद सीरम को प्राप्त कर ख़ुद के शरीर में डलवाते हैं, ताकि वो अधिक युवा व शक्तिशाली बन जाएं. उन्हें एक ऐसी महिला की तलाश है, जो पांच महीने की गर्भवती हो, जो सुमति होती है.
लेकिन वो सुप्रीम के क़ैद से भागने में सफल हो जाती है. इसमें उसकी मदद शम्बाला के लोग करते हैं, जिनकी एक छोटी सी दुनिया है और उनकी मरियम व लोगों को विश्वास है कि एक दिन भगवान उनके दुखों को दूर करने के लिए आएंगे. सुमति के गर्भ में उसी भगवान का जन्म उनके विश्वास का कारण है.
क्या अश्वत्थामा गर्भवती मां सुमति की सुप्रीम व भैरव से रक्षा कर पाते हैं? क्या भगवान अवतार लेते हैं?.. ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब फिल्म देखने पर… और कुछ बातों का जवाब, इसके सेकंड पार्ट में ही मिल पाएगा.
वैजयंती मूवीज़ के बैनर तले कल्कि 2989 एडी एक ऐसी एक्सपेरिमेंटल मूवी है, जिसे लंबे समय तक याद किया जाएगा, उसके अफ़लातून कॉन्सेप्ट, फाइट सीन्स, वीएफएक्स के लिए. हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड व मलयालम पांच भाषाओं में रिलीज हुई यह तीन घंटे की फिल्म दुनियाभार में 8500 स्क्रीन्स पर रिलीज़ की गई है, जो काफ़ी ट्रेंड कर रही, जिसे ऑडियंस का भरपूर रिस्पॉन्स भी मिल रहा है.
महानती व येवड़े सुब्रमण्यम के बाद यह नाग अश्विन की तीसरी ही फिल्म है, पर उन्होंने क्या ग़ज़ब की हैट्रिक मारी है. उन्होंने निर्देशन के साथ कहानी, पटकथा व संवाद की भूमिका भी निभाई है. प्रभास की बुज्जी जो एक एआई ड्रॉइड साइडकिक है, में अपनी मधुर आवाज़ कीर्ति सुरेश ने दी है.
कैमियो के रोल में दिशा पाटानी, विजय देवराकोंडा, मृणाल ठाकुर, राम गोपाल वर्मा, ब्रह्मानंदम, एस.एस; राजमौली सभी ने छोटी सी भूमिका में अपनी छाप छोड़ी है. कृष्णकांथ का गीत और संतोष नारायण का संगीत स्तरीय है. साईं माधव बुर्रा के संवाद ठीक ठाक है. संपादक कोतागिरी वेंकटेश्वर राव फिल्म को थोड़ी एडिटिंग करके छोटा करते तो बेहतर होता. निर्माता सी. अश्विनी दत्त, स्वप्ना दत्त व प्रियंका दत्त के रिस्क लिया था, जिसमें वे सफल रहे. अमिताभ बच्चन, प्रभास से लेकर दीपिका पादुकोण, कमल हासन, शाश्वत चटर्जी, शोभना, दुलकर सलमान, राजेंद्र प्रसाद सभी ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है.
Photo Courtesy: Social Media