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फिल्म समीक्षा: द कश्मीर फाइल्स- कश्मीरी पंडितों के दर्द को बख़ूबी बयां किया निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने… (Movie Review- The Kashmir Files…)

"कश्मीर फाइल्स एक फिल्म से भी बढ़कर आप सब की अंतरात्मा की अदालत में हम कश्मीरी हिंदुओं की एक दस्तक है…" अभिनेता अनुपम खेर ने फिल्म को लेकर कही यह बात उतनी ही सटीक और सार्थक है फिल्म देखने के बाद इस बात का गहराई से एहसास होता है.
32 साल पहले जेहादियों और असामाजिक तत्वों ने कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से पलायन करने पर मजबूर कर दिया था. उस घटना और उस समय पंडितों के दर्द, एहसास, उनका अपना घर, अपनों से बिछड़ने की व्यथा को बड़े ही भावनाओं और संवेदनाओं के साथ प्रस्तुत किया है फिल्म के डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने. वे प्रशंसा और बधाई के पात्र हैं, जो उन्होंने इस ज्वलंत मुद्दे को पूरी संजीदगी से फिल्म में दिखाया.
अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, पुनीत इस्सर से लेकर हर एक पात्र ने अपनी भूमिका के साथ इस कदर रच-बस गए थे कि लग ही नहीं रहा था कि कोई कलाकार अभिनय कर रहा, मानो ऐसा लग रहा था कि जिन पात्रों ने यह जीवन जिया था, कश्मीर में जो ज़िंदगी और हालात बने थे, जिसके वे शिकार हुए थे, वे सब ही हैं. ऐसा कलाकारों के उम्दा अभिनय के कारण संभव हुआ है और वाकई में भी वे सभी बधाई के पात्र हैं.
कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जो हमारे दिलो-दिमाग़ को झकझोर देती हैं. हमें सच्चाई से रू-ब-रू कराती हैं और इतिहास के उन पन्नों को ईमानदारी से पलटने का कार्य करती हैं शायद ही कोई ऐसा करना चाहे. पर फिल्म ने इस बात का एहसास कराया कि हमें एक बार फिर अपने इतिहास को अच्छे से जानने और समझने की ज़रूरत है. कश्मीरी पंडितों के उस दर्द को समझना होगा. चार लाख के क़रीब कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया, लेकिन पुलिस, प्रशासन, मीडिया, राजनीतिक दल, पूरे भारत में कहीं किसी राज्य में कोई विरोध, कोई हलचल, प्रतिक्रिया नहीं हुई. हां, मुद्दे उछाले गए, लेकिन कोई आयोग नहीं बैठा, कोई इंक्वायरी नहीं हुई. किसी ने उनके दर्द को जानने की कोशिश ही नहीं की. यह इस देश की विडंबना नहीं है तो क्या है कि अपने ही देश में कश्मीरी पंडितों को शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर होना पड़ा. उनका इतना बड़ा यह दर्द नासूर की तरह उन्हें हमेशा ग़मगीन करता रहता है, जो 30 साल से चल रहा है. पर इस फिल्म ने उनके घावों पर हल्का मरहम लगाने का काम किया है कि किसी ने तो उनके जज़्बातों को समझा और उसे बड़े पर्दे पर दिखाने की कोशिश की.

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अनुपम खेर ने फिल्म में पुष्कर नाथ की भूमिका में लाजवाब अभिनय किया है. बकौल उनके उन्होंने इसमें अभिनय नहीं किया है, बल्कि उस पात्र को उन्होंने जिया है, क्योंकि वे ख़ुद कश्मीरी पंडित हैं, तो उन्होंने उस दर्द को बख़ूबी समझा, जाना और जिया भी है. दर्शन कुमार ने बेहतरीन अभिनय की है. फिल्म के मुख्य पात्र कृष्णा के रोल में काफ़ी प्रभावशाली भी लगे हैं. दर्शन दिल्ली के ईएनयू में पढ़ते हैं. अनुपम खेर उनके दादा बने हैं. दादा की इच्छा है एक बार कश्मीर में अपने गांव जाने की. तब कृष्णा कश्मीरी पंडितों को लेकर जो बातें बिखरी पड़ी हैं उसे सिलसिलेवार जानने और समझने के लिए कश्मीर जाने का निर्णय लेते हैं. उन्हें सब हालातों को समझने में उनके पिता के चार दोस्त ब्रह्मदत्त यानी मिथुन चक्रवर्ती, पुनीत इस्सर मदद करते हैं. कृष्णा मानसिक रूप से कई द्वंद लड़ते हैं. कॉलेज के छात्रों को संबोधित करते हुए कई मुद्दों पर कड़ा प्रहार करते हैं. पल्लवी जोशी जो प्रोफेसर बनी हैं उन्होंने भी लाजवाब अदाकारी पेश की है. लंबे समय के बाद एक ऐसी फिल्म आई है, जो हमें न केवल झकझोर देती है, बल्कि बहुत कुछ सोचने को भी मजबूर करती है कि हमने जो पढ़ा वह सच है कि जो लोग कह रहे हैं वह सच है. जिन्होंने उस समय के हालात को अपनी आंखों से देखा था कि वह सच है… वाकई में जिन्होंने वह जीवन उस घटना को, उस समय को और उस अत्याचार को देखा, तो उनकी बातें तो सच्चाई है जिसे हम काफ़ी समय से जान ही नहीं पाए. अनुपम खेर ने सोशल मीडिया अकाउंट पर ऐसे ही एक कश्मीरी पंडित के दर्द का वीडियो शेयर किया है.


द कश्मीरी फाइल्स के पहले दिन की ओपनिंग बहुत ज़बरदस्त रही. कम बजट की और बिना कोई सुपरस्टार के भी फिल्म ने कमाल का बिजनेस किया. हर किसी यह फिल्म बेहद पसंद आ रही है और लोगों की प्रतिक्रियाएं भी ज़बरदस्त देखने मिल रही हैं. ऐसे ही एका बंदा फिल्म देखने के बाद अपने जज़्बातों को कहते हुए रो पड़ा था. उसने बड़े कड़े शब्दों में कुछ बातों का ज़िक्र भी किया.

फिल्म की कहानी विवेक अग्निहोत्री ने सौरभ एम पांडे के साथ मिलकर लिखी है. इसके निर्माता हैं- तेज नारायण अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल, पल्लवी जोशी और विवेक अग्निहोत्री.
निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री, जो राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुके हैं कि उनकी अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म यह है. इसमें सभी कलाकारों के अभिनय और कश्मीरी पंडितों के दर्द को क़रीब से देखने और समझने के लिए यह फिल्म ज़रूर देखनी चाहिए.

फिल्म- द कश्मीर फाइल्स
कलाकार- दर्शन कुमार,अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, पुनीत इस्सर, चिन्मय मांडलेकर, प्रकाश बेलवाडी,
निर्देशक- विवेक अग्निहोत्री
रेटिंग- 4/5 ****

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