भारत में पितृपक्ष का बड़ा महत्व है. हमारे देश में पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 तिथियां पितरों के निमित श्राद्ध कर्म के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. इस दौरान सभी लोग अपने पितरों का स्मरण करते हुए श्राध्द कर्म करते हैं. जो पूर्वज हमें छोड़कर चले गए हैं, उनका आभार प्रकट करने के लिए और उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए पितृपक्ष के दौरान उन्हें तर्पण दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में यमराज इन्हें कुछ समय के लिए मुक्त कर देते हैं, ताकि ये धरती पर जाकर अपने वंशजों से तर्पण ग्रहण कर सकें. पितृपक्ष शुरू हो गया है इसलिए पितृपक्ष से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें हम सभी को मालूम होनी चाहिए.
पितृपक्ष से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें
- पितृपक्ष के दौरान सभी लोग अपने पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्नदान करते हैं. यदि आपको अपने पितरों के श्राध्द की तिथि मालूम नहीं है, तो अपने ब्राह्मण से इसकी जानकारी ले लें. यदि आपको अपने पितरों की मृत्यु के दिन की सही जानकारी नहीं है तो आप सर्वपितृ अमावस्या के दिन उनका श्राध्द कर सकते हैं.
- पितरों को तर्पण देने के लिए दाएं कंधे पर जनेऊ रखकर काले तिल मिश्रित जल से दक्षिण की तरफ मुंह करके तर्पण किया जाता है. ब्राह्मण के निर्देशानुसार तर्पण की सभी क्रियाएं की जाती हैं. फिर ब्राह्मण को फल-मिष्ठान खिलाकर दक्षिणा दी जाती है.
- श्राध्द के भोजन में दूध, चावल, घी आदि से बनी तरह-तरह की चीज़ें बनाई जाती हैं. श्राध्द के भोजन में लहसुन, प्याज़, बैगन, उड़द, मसूर, चना आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है. इस भोजन को कौवे, गाय, कुत्ते को खिलाया जाता है. फिर सभी परिजन साथ मिलकर ये भोजन ग्रहण करते हैं.
- श्राध्द के दिन शराब-धूम्रपान आदि से दूर रहना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. पूरी श्रद्धा से अपने पूर्वजों का स्मरण करना चाहिए.
श्राद्ध ख़त्म होते ही शुरू होंगे नवरात्र
पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन ही नवरात्र शुरू हो जाते हैं. इस साल दशहरा 15 अक्टूबर और दीपावली 4 नंवबर को मनाई जाएगी.
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