मेरी आंखों में आंसू हैं
क्या कहूं
तुम याद आते हो
तुम मेरे साथ हो कि नहीं हो
बात यह नहीं
तुम मुझ से अलग कहां हो
भूलने का सवाल कहां
हर पल साथ हो कर भी
तुम मुझे याद आते हो
तुम मुझे याद आते हो
जब देखता हूं आईना
जब खाली होता है
दिलो दिमाग़
कि जब होता हूं गहरे तनाव में
तुम मुझे याद आते हो
जब सब कुछ होता है मेरे पास
और तब भी
जब कुछ भी नहीं होता मेरे पास
तुम मुझे याद आते हो
जब अपना नहीं होता मैं
और तब भी जब
ख़ुद का हो जाता हूं
तुम 24×7 याद आते हो
और जब ये 24×7 नहीं होते तब भी
मैं नहीं हूं
तब भी तुम हो
और हूं तब भी
कहीं ऐसा तो नहीं
मेरा अस्तित्व
तुम्हारे होने
और
मेरे न होने से बचा है
या फिर
तुम्हारा अस्तित्व ही
मेरा होना है
तभी तो हर हाल में लिखता हूं
तुम याद आते हो
मुझे
ख़ुद को पाने के लिए
- शिखर प्रयाग

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