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कहानी- वापसी (Short Story- Wapsi)

नारी की द्वेष भावना के कारण अनु कार तक जाने से अपने को रोक नहीं पाई. कार की आड़ से अनु ने आलोक की बात सुनी तो उसे लगा ढेर सारे जहरीले बिच्छुओं ने एक साथ डंक मार दिया हो.
"मिस परेरा, आपकी ये बॉब कट हेयर स्टाइल किसी दिन मेरी जान ले लेगी." मिस परेरा व आलोक खिलखिलाकर हंस पड़े थे.

अनु के कदम बड़ी तेजी से ब्यूटीपार्लर की तरफ़ बढ़ रहे थे. मन में उथल-पुथल हो रही थी. चलते-चलते उसने अपने लंबे बालों की चोटी को पुनः एक बार सहलाया, घर से सिर्फ़ दस मिनट का ही रास्ता है, पर आज यह रास्ता काफ़ी लंबा लग रहा था. दूरी ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी.
जैसे-तैसे ब्यूटीपार्लर पहुंची. चांदनी ब्यूटीपार्लर, प्रो. कल्पना का रंगीन आकर्षक बोर्ड अनु का स्वागत कर रहा था. अनु ने दरवाज़े को धक्का दिया. एक-एक मिनट उसे पहाड़-सा भारी लग रहा था.
दोपहर का समय था. पार्लर में सिर्फ़ एक युवती ही थी. अनु दूसरी कुर्सी पर जा बैठी, सामने बड़ा-सा दर्पण लगा हुआ था.
टेबल पर सौंदर्य प्रसाधन की नवीनतम सामग्रियां सलीक़े
से रखी हुई थीं. हरे रंगीन धारीदार पर्दे अनु की आंखों को शीतलता प्रदान कर रहे थे. दीवार पर जगह-जगह महिलाओं की आकर्षक तस्वीरें लगी थीं.
ब्यूटीपार्लर की संचालिका कल्पना ने बड़ी उमंग के साथ
पूछा, "अरे, अनुजी, आप?"
अनु, कल्पना का सौम्य, मदमाता, सुंदर चेहरा एकटक देखती रही.
अपनी कजरारी आंखें झपकाते हुए अनु ख़ामोशी से मुस्कुरा दी. कल्पना ने महसूस किया कि अनु की मुस्कुराहट के पीछे कई प्रश्नचिह्न छुपे हुए हैं.
कल्पना ने कहा, "अभी चार दिन पहले ही तो आपने आई ब्रो सेट करवाया था. फिर आज…?" कल्पना जानती थी कि अनु उसकी नियमित कस्टमर है. जो प्रतिमाह एक-दो बार अपना आई ब्रो तथा फ़ेशियल करवाने आती है. मगर चार दिन में अनु का लौट आना कल्पना को समझ में नहीं आ रहा था.
अनु ने बगल की दीवार पर नजर डाली. बॉब कट वाली विदेशी युवती की तस्वीर देखकर अनु की आंखों में क्षण भर को चमक आ गई. उसने अपने बालों की लंबी चोटी को बड़े प्यार से सहलाया. तब तक कल्पना ने मॉडलों के नये हेयर स्टाइल का एलबम भी अनु के सामने रख दिया. अनु ने बॉब कट वाली विदेशी युवती के चित्र की ओर इशारा किया.
"आप बॉब कट करवाएंगी?" कल्पना ने आश्चर्यमिश्रित स्वर में पूछा.
"हां," अनु ने संक्षिप्स-सा उत्तर दिया. केश राशि कंधों पर लहरा उठी. अनु ने आईने की ओर देखा तथा अपने बालों को बड़े स्नेह से सहलाया. उसने महसूस किया, मानो शीतल जल से भरे काले बादल आकाश में उमड़ आए हों. उसने अपनी आंखें बंद कर लीं. हां, घने बादल-सी केश राशि की स्वामिनी है वह बचपन की
स्मृतियां उसकी आंखों के सामने नाच उठीं. पूरी क्लास में सिर्फ उसी के लंबे बाल थे. मां भी तो कितने जतन से बालों को धोती थीं. एक-एक बाल को ध्यान से संवारती थीं, कहीं टूट न जाएं. आंवला तेल बालों में मांग करके लगाती थी, जिससे तेल बालों की जड़ तक पहुंच सके, फिर चोटी करके गालों पर प्यार भरा चुंबन देतीं और मुस्कुरा कर कहतीं, "कितनी सुंदर लग रही है अनु, तेरे लंबे बालों को किसी की नजर न लग जाए. आजकल के बॉब कट हेयर स्टाइल से तौबा. लंबे बाल कितने अच्छे लगते हैं न. देखना तेरा दूल्हा तुझे कितना चाहेगा."
'दूल्हा…' एक आह भरी अनु ने. हां, दूल्हा आलोक भी कितनी तारीफ़ करता था. सुहागरात से ही आलोक ने एक आदत सी डाल ली थी. वह सोते वक़्त उसके बालों को खोल देता और घुमड़ती केश राशि में अपना चेहरा छुपा लेता. दोनों को इसमें सुकून मिलता. चांद व बादल के बीच लुका-छिपी के खेल में अनु का दांपत्य जीवन धीरे- धीरे आनंदपूर्वक बीतने लगा. आलोक अनु से कहता, "अनु, तुम्हारी यह धनी केश राशि मेरे लिए वरदान है. इसकी छांव में मुझे इतनी गहरी नींद आती है कि मैं दिनभर की थकान भूल जाता हूं." मां की बात आज अनु को सच महसूस हो रही थी कि नारी के लंबे बालों में पति भूल भुलैया की तरह खो जाता है, जीवनभर पत्नी का होकर रह जाता है.
मगर इसी केश राशि ने अनु की रात की नींद उड़ा ली.
दिन का चैन छीन लिया. चांद को ग्रहण लग गया. अनु देख रही थी कि कुछ दिनों से आलोक के स्वभाव में बदलाव आ गया था. उसे अब अपनी लंबी चोटी काली नागिन-सी लगने लगी थी.
जब अनु को आलोक के दफ़्तर में काम करनेवाली नीलिमा ने बताया कि आजकल आलोक जी मिस परेरा के साथ लंच लेते हैं व एक साथ घूमते हैं. तो एक पल तो अनु ने नीलिमा की बात पर विश्वास नहीं किया मगर रोज़ शाम देर से घर आने ने अनु के शक्त को ठोस आधार दे दिया.

अनु सुपर बाज़ार से शाम को लौट रही थी तो कनाट प्लेस के ओडियन थियेटर के पास आलोक की नीली मारुति कार देखकर चौंक गई. प्रसिद्ध बीकानेरी गोलगप्पे के ठेले के पास आलोक के साथ मिस परेरा को देखकर वह सन्न रह गई, स्लीवलेस कत्थई रंग का ब्लाउज, मैच करती हुई साड़ी का उड़ता हुआ पल्लू किसी भी चलते युवक को आकर्षित कर सकता था. हाई हील की सैंडिल, गुलाबी लिपस्टिक, सलीके से कटे बाल…. शायद इसकी इन्हीं अदाओं पर आलोक अपनी जान छिड़कता था.
नारी की द्वेष भावना के कारण अनु कार तक जाने से अपने को रोक नहीं पाई. कार की आड़ से अनु ने आलोक की बात सुनी तो उसे लगा ढेर सारे जहरीले बिच्छुओं ने एक साथ डंक मार दिया हो.
"मिस परेरा, आपकी ये बॉब कट हेयर स्टाइल किसी दिन मेरी जान ले लेगी." मिस परेरा व आलोक खिलखिलाकर हंस पड़े थे.
अनु रात भर सो नहीं पायी थी. आलोक के जहरीले व्यंग्यबाण उसे चुभ रहे थे, "ये लंबे-लंबे बाल अब आउट ऑफ़ डेट हो गये हैं. बॉब कट आधुनिक फ़ैशन है, लंबे बालों में नारियां प्रौढ़ लगने लगती हैं. देखो मिस परेरा कितनी कमसिन लगती हैं अपने छोटे बालों में."
"यू नॉटी बॉय" मिस परेरा ने हल्की सी चपत आलोक के गालों पर प्यार से जड़ दिया था. कनॉट प्लेस का आलोक और मिस परेरा का वह रोमांटिक दृश्य अनु का पीछा नहीं छोड़ रहा था. वह रात भर करवट बदलती रही, आलोक खरटि लेता रहा.
अनु को लगा कि उसके लंबे बालों में वह ख़ुशबू नहीं रही, जिसे सूंघकर भौरे की तरह आलोक मंडराने लगता था. आलोक उसकी गिरफ्त से आहिस्ता आहिस्ता बाहर निकलने लगा है. अनु ने निर्णय ले लिया. वह आलोक को पुनः पाकर रहेगी, भले ही उसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े? उसने अपने बाल छुए. उसे घृणा सी हो आई अपने बालों से. अनु ने निर्णय लिया कि वह इस काली नागिन को कटवा कर ही रहेगी, वह भी मिस परेरा की तरह आधुनिका बन जाएगी. 'आलोक बॉब कट हेयर स्टाइल पर मरते हैं न. मैं भी बॉब कट कटवा लूंगी.'
"मैडम, आंखें खोलिए," कल्पना ने कहा. अनु ने आईने में देखा, वह पूर्ण रूप से बदल गई थी, बिल्कुल मिस परेरा लग रही थी. खुश होकर दस-दस के चार नोट कल्पना की ओर बढ़ा दिये उसने.
वह अपने को काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी. ब्यूटीपार्लर आते समय वह कितना भारीपन महसूस कर रही थी, जब आलोक उसे इस रूप में देखेंगे तब कितना खुश होंगे, वह घर पहुंची तो उसे आश्चर्य हुआ. आलोक की नीली कार घर के बाहर खड़ी थी. तो क्या आलोक आज जल्दी घर लौट आए? ऊहापोह की स्थिति में अनु ने घर में क़दम रखा, पूरा वातावरण बदला हुआ था. आलोक बच्चों को लेकर खिलखिला रहा था. खुशियां बिखरी पड़ी थीं. मिठाई के डिब्बे खुले पड़े थे. आलोक ख़ुशी से चिल्ला रहा था, "ये रहा तुम्हारी मम्मी के लिए नया नेकलेस, ये रहे बच्चों तुम्हारे खिलौने, ये रहे नये ड्रेस, अब हमारे पास सब कुछ आ जाएगा. बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मिल गया है हमें."
अनु दोहरी खुशी देखकर फूली नहीं समाई. दौड़कर आलोक के गले लग गयी "बधाई हो आलोक!" अनु की आवाज सुनकर आलोक सकते में आ गया. उसकी खुशी पर गाज गिर पड़ी,
"ये क्या किया अनु तुमने? अपने बाल क्यों कटवा लिए तुमने? बोलो." आलोक की आवाज़ में उद्विग्नता थी.
अनु के पैरों के नीचे से धरती खिसक गयी. वह फफक-फफककर रो पड़ी और संधे स्वर में कहा, "आलोक। मैंने तुम्हारी व मिस परेरा की बातें सुन ली थीं. तुम्हें बॉब कट बाल अच्छे लगते हैं न? लंबे बाल तो फूहड़पन की निशानी होते हैं न. मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती थी, इसलिए मैंने बाल कटवा लिए."
आलोक को सारी बात समझ में आ गई. वह सोच रहा था, नारी कितनी शंकालु प्रवृत्ति की होती है. कितनी अधीर होती है.
तुरत-फुरत बिना सोचे-समझे कुछ भी निर्णय ले लेती है, मिस परेरा के साथ घुल- मिलकर बात करना, उसके बॉब कट हेयर स्टाइल की प्रशंसा करना इतना महंगा पड़ेगा, उसने सोचा भी न था. वाक़ई घर बचाने के लिए नारी कोई भी क़दम उठा सकती है, कुछ भी कर सकती है, अनु को अपने लंबे बाल कटवाते समय कितनी पीड़ा हो रही होगी, इसका एहसास उसे हो आया था.
आलोक ने साहस बटोरते हुए कहा, "अनु, मैं तुम्हारे दर्द को समझता हूं, कोई भी निर्णय लेने के पूर्व तुम्हें उसकी गहराई तक जाना चाहिए था. हम मर्दों की दुनिया में भावनाओं का काफ़ी महत्व होता है. अपने व्यवसाय की प्रगति तथा स्पर्धा के युग में हमें संभल-संभल कर क़दम उठाने पड़ते हैं, छाती पर पत्थर रखकर समझौते करने पड़ते हैं, मिस परेरा के साथ की घटना भी इसी की एक कड़ी है. तुम तो जानती हो अनु, नारी का रूप-सौंदर्य उसकी कमजोरी होती है. मैंने भी मिस परेरा की इसी कमजोरी का फायदा उठाया. उसके बालों की झूठी प्रशंसा की तथा उसके रूप का पुजारी बनकर अपना काम निकाल लिया व इतना बड़ा कॉन्ट्रेक्ट पाने में सफल रहा, मेरे मन में अब भी तुम्हारे प्रति उतना ही प्रेम है, जितना पहले था. मेरी परेशानी भी इसी कॉन्ट्रेक्ट को पाने के लिए थी, बाहर की हर नारी, पुरुष की पत्नी या प्रेमिका नहीं होती, तुमने बस यहीं मुझे गलत समझा, खैर, भूल जाओ इन सब बातों को. अनु, आज तो तुम मुझे इस रूप में भी प्यारी लग रही हो, लंबे बालों का क्या है, समय के साथ धीरे- धीरे बढ़ जायेंगे. पतझड़ के बाद बसंत आता ही है. सावन की घटा छाती ही है. हम इसकी प्रतीक्षा करेंगे."
अन् को आलोक की बांहों में सुकून मिल रहा था. उसने चैन की सांस ली.

- नलिनी मेहता

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