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Sign The Petition-बेज़ुबानों पर ...
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Stop Animal Atrocity
बेज़ुबानों पर अत्याचार बंद हो… जानवरों पर क्रूरता बेहद अमानवीय है, इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं…
मुक्या प्राण्यांवरील अत्याचार थांबवा… प्राण्यांवरील अत्याचार हा अमानुषपणा आहे, त्याविरोधात आवाज उठवा…
Cruelty towards animals is inhuman, it is time to raise your voice against it…
Join this campaign, Sign this petition.
Our voiceless animal friends ask for very little other than some food, and a little love and compassion. As human beings, it is therefore a must that we consciously work towards creating a better world, a world where our stray friends can co-exist peacefully with us humans.
However, stray animals are not given much importance in our country. This is evident from the fact that the Prevention of Cruelty Towards Animal Act, 1960, has witnessed no changes, even after all these years. But this does not mean that anyone has the right to be cruel towards animals.
Statistically speaking, according to a recent survey, 32% of cat owners and 34% of dog owners leave their pets to wander on the streets. There are many reasons for this–ranging from economic to lack of awareness about animals. We also often hear of and see incidents where a stray dog or cat has been badly beaten up for taking shelter in a society, or for sleeping there through the night. Instances of cruelty can range from blinding the animal, breaking its hands and legs, poisoning them, and silencing them forever. Extreme cruelty is implicated not just on dogs and cats, but also on cows to horses, and all other types of animals and birds.
Not much definite data is available regarding animal cruelty, but according to a survey by the Federation of Indian Animal Protection Organizations, 4,93,910 incidents related to animal cruelty have been reported between 2010-2020. The figures found through newspapers and other reports are as follows: there were 720 cases of crime against street animals, 741 cases of working animals, 588 cases against living animals, 88 cases of farm animals, and 288 cases related to wild animals and birds. As far as cruelty is concerned, about 1000 cases of cruelty have been reported; in which 82 were cases of sexual abuse, 266 were cases of deliberate murder, and more than 400 were cases of violent attacks, including beating, kicking, torture. This includes acid attacks, throwing boiling water, cutting off body parts, stabbing, or the likes. In 20 of these cases, cruelty was committed by children.
The biggest problem with regard to crime against animals is that very often people do not consider crime against animals as a ‘crime’, nor do they understand the need to go to the police and register a complaint. Even if the case is registered, the law is so old that there is no provision for major punishment in it. The offender often gets away by paying a fine of only INR 10 to INR 100. In India, a number of celebrities like Anushka Sharma, Virat Kohli, John Abraham, Randeep Hooda, have taken up the cause for cruelty towards animals. But this fight can be successful only if more and more ordinary people like you and me join the cause towards prevention of animal cruelty.
No, we are not asking you to turn animal lovers overnight, or asking you to keep them. All we are saying is, even if you are not able to love them, or keep them, do not torture them. If dogs bark at night, do not pelt them with stones. Help a sick, old or an injured animal. Arrange as much food and water as possible for street animals and if you cannot do it yourself, do not stop those helping out. If you have adopted an animal at home, take full responsibility for it. People often keep animals hungry and thirsty by tying them up in shackles, even at home. As a responsible citizen, if you witness any form of crime against animals, waste no time in coming forward to help them; and if need be, register a case with the police.
Join our cause to end cruelty towards animals now! Sign this petition so that people's thinking towards animals changes, old laws change, and the fear of punishment increases. After all, our furry friends deserve to live with dignity and love as well.
इस मुहिम से जुड़ें, साइन करें ये पेटिशन
मुहब्बत की कोई ज़ुबान नहीं होती और अगर मुहब्बत बेज़ुबानों से हो जाए तो उसकी पाकीज़गी ही अलग स्तर की होती है… क्या मांगते हैं ये आपसे? बस थोड़ा सा प्यार, थोड़ा सा खाना… इंसान होने के नाते अगर आप इतना भी नहीं कर सकते तो आपके अस्तित्व पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगना चाहिए! हमारे देश में जानवरों को ज़्यादा अहमियत नहीं दी जाती… लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि जानवरों के प्रति क्रूरता करने का किसी को अधिकार मिल जाता है. देश में जानवरों के अधिकारों को लेकर कितनी सजगता है इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके लिए जो क़ानून बना है- प्रिवेन्शन ऑफ़ क्रूअल्टी टु ऐनिमल्स एक्ट, 1960 यानी पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 इसमें आजतक कोई बदलाव नहीं किया गया है.
आंकडों की बात करें तो एक हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक़ 32% कैट ओनर और 34% डॉग ओनर अपने पेट्स को सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं. इसके कई कारण हैं- जिसमें आर्थिक से लेकर जानवरों के प्रति जागरूकता की कमी तक शामिल हैं. अक्सर ऐसी घटनाएं आए दिन सुनने-देखने को मिलती हैं जहां किसी सोसायटी की सीढ़ियों में सिर्फ़ पनाह लेने या रात भर सोने के लिए कुत्ते या बिल्ली को बुरी तरह पीटा जाता है, इतनी हैवानियत दिखाई जाती है कि उसकी आंख फूटने से लेकर पैर तक तोड़ दिए जाते हैं या फिर उन्हें ज़हर देकर हमेशा के लिए चुप करा दिया जाता है. सिर्फ़ कुत्ते-बिल्ली ही नहीं, गाय से लेकर घोड़े व अन्य सभी तरह के पशु-पक्षियों पर बेहद क्रूरता की जाती है.
बहुत ज़्यादा आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं जानवरों के संबंध में, लेकिन फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनायज़ेशन्स के सर्वे के मुताबिक़- 2010-2020 के बीच पशुओं से जुड़ी 4,93,910 घटनाएं सामने आई लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि सभी में अत्याचार ही हुआ हो, पर समस्या ये भी है कि पशुओं से संबंधित कोई निश्चित आंकड़ा भी तो नहीं, इसलिए अख़बार व अन्य रिपोर्ट्स के ज़रिए जो आंकड़े मिल पाए हैं, वो इस प्रकार हैं-
स्ट्रीट एनिमल्स के ख़िलाफ़ क्राइम के 720 केस, वर्किंग एनिमल्स के 741 केस, साथ रहनेवाले एनिमल्स के प्रति 588 मामले, खेती से जुड़े पशुओं के 88 मामले और जंगली जानवर व पक्षियों से जुड़े 288 मामले सामने आए.
जहां तक क्रूरता की बात है तो लगभग 1000 क्रूरता के मामले सामने आए हैं, जिनमें 82 केसेस सेक्सुअल अब्यूस के, 266 केसेस सोच-समझकर की गई हत्या के, 400 से अधिक मामले हिंसक हमलों के, जिनमें- पीटना, लात मारना, यातनाएंदेना, एसिड फेंकना, उबलता पानी फेंकना, शरीर के किसी अंग को काट देना, चाकू या किसी अन्य चीज़ से वार करना शामिल है. इनमें से 20 मामलों में क्रूरता बच्चों द्वारा की गई थी.
दरअसल समस्या ये भी है कि पशुओं के प्रति अपराध को लोग अपराध मानते ही नहीं और न ही पुलिस में जाकर मामला दर्ज कराने की ज़रूरत समझते हैं और मामला दर्ज हो भी जाए तो क़ानून इतना पुराना है कि बड़ी सज़ा का प्रावधान ही नहीं है उसमें और अपराधी महज़ 10 रुपए से लेकर 100 रुपए तक का जुर्माना भरकर छूट जाता है.
कई बड़े स्टार्स, जैसे- अनुष्का शर्मा, विराट कोहली, जॉन अब्राहम, रणदीप हुड्डा जानवरों के प्रति क्रूरता के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन ये लड़ाई तब तक सफल नहीं हो सकती, जब तक कि आप और हम जैसे लोग भी इस तरह की मुहिम का हिस्सा न बन जाएं. इसलिए इन घटनाओं को रोकने के लिए इस मुहिम से जुड़ें, ताकि जानवरों के प्रति लोगों की सोच बदले, पुराने क़ानून बदलें, लोगों में सज़ा का डर बढ़े, इसलिए इस पेटिशन को साइन करें… क्योंकि
- कोई ये नहीं कहता है कि आप जानवर प्रेमी बनें या उन्हें पालें, लेकिन अगर प्यार नहीं करते तो अत्याचार भी न करें.
- अगर आप जानवर पालते हैं तो उसके पूरी ज़िम्मेदारी लें, घर पर भी अक्सर लोग जानवरों को बांधकर, बेड़ियों के जकड़कर भूखा-प्यासा रखते हैं.
- रात को कुत्ते भोंकते हैं तो उठकर उन्हें पत्थर न मारें.
- किसी बीमार, बूढ़े या घायल जानवर की मदद करें.
- स्ट्रीट एनिमल्स के लिए जितना सम्भव हो खाना-पानी की व्यवस्था करें और अगर खुद नहीं कर सकते तो जो उनकी मदद करता है, उन्हें न रोकें.
- अगर पशुओं के ख़िलाफ़ कोई भी अपराध होता दिखे तो जागरूक नागरिक के तौर पर उनकी मदद को आगे आएंऔर ज़रूरत पड़ने पर पुलिस में मामला दर्ज कराएं.
तो देर न करें और इस पेटिशन को अभी साइन करें क्योंकि इन बेज़ुबानों पर हो रही क्रूरता के लिए ज़रूरी है आप सबका, हम सबका साथ, ताकि अब रुके ये अत्याचार!
या मोहिमेत सहभागी व्हा, या याचिकेवर स्वाक्षरी करा
प्रेम हे बोलून सांगता येत नाही (मुकं असतं) आणि हे प्रेम जर मुक्या प्राण्यांवर असेल तर त्याचं पावित्र्य वेगळं असतं… त्यांना तुमच्याकडून काय हवं असतं? थोडंसं प्रेम, थोडंसं खाणं… एक माणूस म्हणून तुम्ही तेही करू शकत नसाल, तर तुमच्या अस्तित्वाला काही अर्थ नाही. आपल्या देशात प्राण्यांना फारसं महत्त्व दिलं जात नाही. पण म्हणून प्राण्यांवर अत्याचार करण्याचा आपल्याला अधिकार आहे, असा त्याचा अर्थ होत नाही. प्राण्यांवर होणारे अत्याचार रोखण्याकरिता देशात प्रिव्हेन्शन ऑफ क्रूअल्टी टु ॲनिमल्स ॲक्ट (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) असा कायदा करण्यात आलेला आहे. ज्यात आजपर्यंत कोणताही बदल करण्यात आलेला नाही. यावरून देशात प्राण्यांच्या हक्कांबाबत किती जागरुकता आहे, याचा अंदाज लावता येतो.
आकडेवारीच सांगायची तर, अलीकडील सर्वेक्षणानुसार, ३२% मांजर पाळणारे आणि ३४% कुत्र्यांचे मालक त्यांच्या पाळीव प्राण्यांना रस्त्यावर भटकण्यासाठी सोडतात. याची अनेक कारणे आहेत – ज्यात आर्थिक कारणांपासून प्राण्यांबद्दल जागरूकता नसणे अशी कारणे समाविष्ट आहेत. सोसायटीमधील पायऱ्यांवर आश्रय घेण्यासाठी किंवा रात्री झोपण्यासाठी येणाऱ्या कुत्र्याला किंवा मांजरीला बेदम मारहाण केली जाते. कधी इतकी क्रूरता दाखवली जाते की, त्यांचे डोळे फुटू शकतात, पाय तोडले जातात वा त्यांना विष देऊन कायमचं शांत केलं जातं. केवळ कुत्री - मांजरीच नाही, तर गायीपासून घोड्यापर्यंत सर्व प्रकारच्या पशु-पक्ष्यांवर भयंकर अत्याचार केले जातात. अशा घटना अनेकदा वरचेवर आपल्या कानावर पडतात आणि बघायला मिळतात.
प्राण्यांवर होणाऱ्या अत्याचाराबाबत फारशी आकडेवारी उपलब्ध नाही, परंतु फेडरेशन ऑफ इंडियन अॅनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनायझेशनच्या सर्वेक्षणानुसार साल २०१०-२०२० दरम्यान प्राण्यांशी संबंधित ४,९३,९१० घटना नोंदवण्यात आल्या. त्या सर्व घटना अत्याचाराच्याच असतील असे नाही, परंतु समस्या अशी आहे की या प्राण्यांशी संबंधित कोणतीही निश्चित आकडेवारी नाही. तेव्हा वर्तमानपत्रे आणि इतर अहवालांद्वारे आढळलेली आकडेवारी खालीलप्रमाणे आहे -
रस्त्यावरील जनावरांविरोधात गुन्हाच्या ७२० केस, काम करणाऱ्या जनावरांच्या ७४१ केस, पाळीव प्राण्यांच्या बाबतीतील ५८८ गुन्हे, शेतीशी निगडीत प्राण्यांवरील ८८ आणि वन्य प्राणी व पक्ष्यांशी संबंधित २८८ गुन्हे समोर आले आहेत.
अत्याचाराचा विचार करता, अत्याचाराची सुमारे १००० प्रकरणे नोंदवली गेली आहेत, ज्यामध्ये लैंगिक अत्याचाराची ८२ प्रकरणे, २६६ प्रकरणांत जाणूनबुजून हत्या, ४०० हून अधिक हिंसक हल्ल्यांची प्रकरणे, यात - मारहाण, लाथ मारणे, छळ करणे, अॅसिड फेकणे, उकळते पाणी फेकणे, शरीराचा कोणताही भाग कापून टाकणे, चाकूने किंवा इतर कोणत्याही गोष्टीने वार करणे यांचा समावेश आहे. यापैकी २० प्रकरणांमध्ये मुलांकडून क्रौर्य घडले आहे.
वास्तविक समस्या अशी आहे की, लोक प्राण्यांवर होणारा गुन्हा हा गुन्हा मानत नाहीत किंवा त्यासंबंधी पोलिसात जाऊन गुन्हा नोंदवण्याची गरजही त्यांना वाटत नाही. त्यातूनही गुन्हा दाखल झाला तरी कायदा इतका जुना झाला आहे की, त्यामध्ये मोठ्या शिक्षेची तरतूदच नाही आहे. फक्त १० ते १०० रुपये दंड भरून गुन्हेगार सुटतो.
अनुष्का शर्मा, विराट कोहली, जॉन अब्राहम, रणदीप हुड्डा यांसारखे अनेक मोठे स्टार्स अशाप्रकारे प्राण्यांवर होणाऱ्या अत्याचाराविरुद्ध लढा देत आहेत. परंतु जोपर्यंत तुमच्या-आमच्यासारखे लोकही या मोहिमेत सहभागी होत नाहीत, तोपर्यंत हा लढा यशस्वी होऊ शकत नाही. तेव्हा अशाप्रकारच्या या घटनांना आळा घालण्यासाठी या मोहिमेत सामील व्हा, जेणेकरून लोकांचा प्राण्यांबद्दलचा विचार बदलेल, जुने कायदे बदलतील, लोकांमध्ये शिक्षेची भीती वाढेल. म्हणून या याचिकेवर सही करा… कारण -
तुम्ही प्राण्यांवर प्रेम करा किंवा त्यांना पाळा असं कोणी सांगत नाही, परंतु प्रेम करत नाही तर अत्याचारही करू नका.
प्राणी पाळत असलात तर त्यांची पूर्ण जबाबदारी घ्या. घरातही अनेकदा लोक प्राण्यांना साखळीने बांधून उपाशी अन् तहानलेले ठेवतात.
रात्री कुत्रे भुंकत असतील तर उठून त्यांना दगड फेकून मारू नका.
आजारी, वृद्ध किंवा जखमी प्राण्याला मदत करा.
रस्त्यावरील प्राण्यांसाठी शक्य असल्यास अन्न आणि पाण्याची व्यवस्था करा आणि जर तुम्ही स्वतः करू शकत नसाल तर त्यांना मदत करणाऱ्याला थांबवू नका.
प्राण्यांच्या विरोधात कोणताही गुन्हा घडताना दिसल्यास एक जागरूक नागरिक म्हणून त्यांच्या मदतीसाठी पुढे या आणि गरज पडल्यास पोलिसात गुन्हा नोंदवा.
आता उशीर करू नका आणि या याचिकेवर स्वाक्षरी करा
कारण या मुक्या प्राण्यांवर जो अत्याचार होत आहे, त्यासाठी तुम्हा सर्वांची, आपल्या सर्वांची साथ आवश्यक आहे, जेणेकरून आता हा अत्याचार थांबला पाहिजे!