- Entertainment
- Shopping
- Quiz
- Relationship & Romance
- Sex Life
- Recipes
- Health & Fitness
- Horoscope
- Beauty
- Others
कहानी- सात सुरों की छींक 1 (Story Series- Saat Suron Ki Cheenk 1)

अपनी इस विशेषता के कारण नक्कू मियां आसपास के इलाके में बहुत मशहूर हो गए थे. बच्चे तो बच्चे, मोहल्ले के कुत्ते-बिल्ली तक नक्कू मियां को पहचानते थे. उन पर जब छींक का दौरा पड़ता, तो जानवर तो दुम दबाकर भाग लेते, पर मोहल्लेवाले अपना काम-धंधा छोड़ कर तमाशा देखने जुट जाते. कई मनचले तो तालियां बजा-बजाकर उनका उत्साहवर्धन भी करते. कइयों के पास तो इस बात का भी हिसाब-किताब रहता कि नक्कू मियां ने छीकों की कितनी सेंचुरी और कितनी हाफ सेंचुरी मारी हैं.
एक थे नक्कू मियां. उनका असली नाम तो कुछ और था, लेकिन बचपन में उनकी नाक जो बहना शुरू हुई, तो लखनऊ के हैदर कैनाल की तरह आज तक बहती चली जा रही थी. उनकी बरसाती नाक को देखकर एक बार मोहल्ले के किसी बच्चे ने उन्हें ‘नक्कू मियां’ कह दिया, तो फेवीकोल की तरह यह नाम उनके साथ ही चिपक गया था.
उम्र के साथ-साथ नक्कू मियां की बीमारी भी बढ़ती जा रही थी. जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते-रखते उनकी नाक किसी स्कूटर के चोक साइलेंसर की तरह बजने लगी थी. उस पर तुर्रा यह कि एक बार नक्कू मियां को छींक आना शुरू हो जाती, तो लगता था कि वे छींकने का विश्व रिकॉर्ड बनाने के बाद ही दम लेगें.
भानुमती के पिटारे की तरह नक्कू मियां की नाक में छींकों का अद्भुत स्टॉक था. जैसे इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों में बटन दबाने पर हर बार अलग धुन निकलती है, उसी तरह नक्कू मियां की हर छींक की धुन अलग होती थी. छीं… छीं…ऽ… आ…ऽ…क्…छीं… आक्षीं…ऽ…ऽ…, आ….ए….क्….छीं…, छीं….छूं…छीं… आ..एक्….छीं…यां…, छि…छि…छूं… सात सुरों में छींक-छींक कर नक्कू मियां धरती हिला देते थे. क्या मजाल कि नक्कू मियां के छींकते समय कोई माई का लाल चैन से बैठ सके.
यह भी पढ़ें: व्यंग्य- कोरोना चुनाव दोऊ खड़े (Vyangy- Corona Chunav Dou Khade)
अपनी इस विशेषता के कारण नक्कू मियां आसपास के इलाके में बहुत मशहूर हो गए थे. बच्चे तो बच्चे, मोहल्ले के कुत्ते-बिल्ली तक नक्कू मियां को पहचानते थे. उन पर जब छींक का दौरा पड़ता, तो जानवर तो दुम दबाकर भाग लेते, पर मोहल्लेवाले अपना काम-धंधा छोड़ कर तमाशा देखने जुट जाते. कई मनचले तो तालियां बजा-बजाकर उनका उत्साहवर्धन भी करते. कइयों के पास तो इस बात का भी हिसाब-किताब रहता कि नक्कू मियां ने छीकों की कितनी सेंचुरी और कितनी हाफ सेंचुरी मारी हैं.
नक्कू मियां की यही विशेषता उनके लिए मुसीबत भी थी. मोहल्ले के लोग वैसे तो उनसे प्रेम से मिलते-बतियाते, लेकिन कभी किसी काम-काज में उन्हें निमंत्रण न देते. सभी को डर रहता कि कौन जाने किस शुभ घड़ी में नक्कू मियां छींकना शुरू कर दें और बैठे-बिठाए अपशकुन हो जाए.
नक्कू मियां की शादी तय हुई, तो उनके पिता ने कायदे से समझा दिया था कि बेटा बारात में छींकना मत, वरना सब गुड़-गोबर हो जाएगा. परंतु होनी को कौन टाल सकता है. जयमाल के समय जब नक्कू मियां दुल्हन के गले में माला पहनाने जा रहे थे ऐन उसी वक़्त एक आतिशबाज़ ने मंच के बगल में अनार चला दिया…
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें
संजीव जायसवाल ‘संजय’
अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES
Photo Courtesy: Freepik