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सकारात्मक जीवन के लिए वास्तु टिप्स (Vastu Tips for Positive Life)

4 हमारे जीवन पर वास्तु का सकारात्मक प्रभाव पड़े, इसके लिए ज़रूरी है कि कई छोटी-छोटी बातों का हम ध्यान रखें.   जीवन को प्रभावशाली बनाने के लिए * रसोई हमेशा अग्निकोण (दक्षिण-पूर्व) में ही होनी चाहिए. * घर के पास कोई श्मशान भूमि नहीं होनी चाहिए. * नए मकान-फैक्ट्री व उद्योग को शुरू करने के पहले भूमि-पूजन करके नींव का मुुहूर्त ज़रूर करना चाहिए. इस शुभ मुहूर्त में चांदी का सर्प बनाकर नींव (ज़मीन) में किसी विद्वान ब्राह्मण के हाथों अवश्य डालना चाहिए. * दरवाज़ा खुलते या बंद करते समय अटकना नहीं चाहिए. दरवाज़े का अटकना जीवन में रुकावट आने का संकेत है. * मुख्य द्वार पर अंधेरा नहीं होना चाहिए. वह प्रकाशमय होना चाहिए, इसलिए वहां लाइट आदि की व्यवस्था ज़रूर करें. * बेडरूम में सिरहाने की ओर तीरनुमा शार्प कॉर्नर नहीं होने चाहिए. * कमरे को ताज़ा फूलों से सजाएं और समय-समय पर फूल बदलते रहें. * जूते बाहर निकालकर ही घर में प्रवेश करें. * ऑफिस में आपकी कुर्सी के पीछे दीवार ज़रूर होनी चाहिए, ये आपको निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है. * उत्तर या पूर्व में लॉन, सुंदर पेड़-पौधे या फुलवारी होनी चाहिए. * प्रवेश द्वार के सामने लोहार, धोबी एवं नाई की दुकान नहीं होनी चाहिए. * यदि नैऋत्य (दक्षिण-पश्‍चिम) में भूसतह के नीचे पानी की टंकी है, तो उसे तुरंत वहां से हटवा दें. * घर के सामने कचरा जमा न होने दें. * उत्तर-पूर्व एवं उत्तर-पश्‍चिम दिशा से हवा और रोशनी आने की व्यवस्था बनाए रखें. * शौचालय और रसोई घर का दरवाज़ा आमने-सामने नहीं होना चाहिए. * पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा होना चाहिए. * घर में बहुत समय तक अंधेरा न रहने दें, रोज़ दीपक जलाएं, नियमित रूप से सफ़ाई करें, ताकि नकारात्मक ऊर्जा पनपने न पाए.   yantra11 स्वयं के कल्याण के लिए * सोते समय सिर पूर्व अथवा दक्षिण में रखने के साथ-साथ छेदवाला तांबे का सिक्का तकिए के नीचे रखना चाहिए. * कैक्टस आदि घर में लगाना वर्जित है. * यदि घर की खिड़कियां बंद हों, विकृत या फिर टूटी-फूटी हों, तो परिवार की सम्पन्नता व ऐश्‍वर्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. * यदि रसोई की दीवार टूटी-फूटी या ख़राब हालत में है, तो घर के मालिक की पत्नी अस्वस्थ हो सकती है व उसका जीवन संघर्षयुक्त रहेगा. * पूजा स्थल का निर्माण सदा ईशान (उत्तर-पूर्व) कोण में ही करना श्रेष्ठ होता है. * अतिथियों का स्थान या कक्ष उत्तर या पश्‍चिम दिशा की ओर बनाना चाहिए. * बेसमेन्ट बनाना आवश्यक हो, तो उत्तर और पूर्व में ब्रह्म स्थान को बचाते हुए बनाना चाहिए. * घर की उत्तर दिशा में कुआं, तालाब, बगीचा, पूजा घर, तहखाना, स्वागत कक्ष, तिजोरी व लिविंग रूम बनाए जा सकते हैं. * पश्‍चिम में पीपल, उत्तर में पाकड व दक्षिण में गूलर का वृक्ष अति उत्तम है. * घर के मुख्य द्वार पर बेल नहीं चढ़ानी चाहिए. * घर में लगाए गए वृक्षों की कुल संख्या सम होनी चाहिए. * बरगद व पीपल के वृक्ष पवित्र माने जाते हैं, इसलिए इन्हें मंदिर आदि के आसपास लगाना चाहिए. * गुलाब को छोड़कर कोई भी कांटेदार पौधा घर में नहीं लगाना चाहिए अन्यथा सुख-शांति में बाधा आ सकती है. * जिन वृृक्षों या पौधों के पत्तों से दूध जैसा द्रव्य निकलता हो, ऐसे वृक्षों को भी नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि ये द्रव्य भी ऋणात्मक ऊर्जा के बहुत बड़े  स्रोत कहलाते हैं. * यदि किसी फलहीन वृक्ष की छाया मकान पर पड़ती है, तो विभिन्न रोगों का सामना करना पड़ता है तथा कई तरह की परेशानियां भी पैदा हो सकती हैं.   prana body आत्मविश्‍वास बढ़ाने के लिए * पूर्व दिशा की ओर स़फेद या लाल आसन पर बैठकर प्राणायाम करना चाहिए. * घर की दक्षिण दिशा की तरफ़ मेन बेडरूम, स्टोर, सीढ़ियां व ऊंचे पेड़ होना शुभ होता है. * किसी भी तरह की टूटी-फूटी या कटी-फटी वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. * महत्वपूर्ण काम के लिए घर से बाहर जाते समय सुहागिन स्त्री या कुंवारी कन्या के दर्शन करके निकलना चाहिए. * त्रिभुज आकृतिवाली ज़मीन का चुनाव घर के निर्माण के लिए कभी नहीं करना चाहिए. * घर की बनावट ऐसी होनी चाहिए कि उसमें सूर्य और चांद का प्रकाश बिना किसी बाधा के पहुंचे. घर में कम से कम तीन घंटे के लिए सूर्य का प्रकाश  सीधा पड़ना चाहिए. * सेवा कर्मियों को अमावस्या के दिन मिठाई खिलाएं. * मुख्य प्रवेश द्वार आकर्षक व मजबूत होना चाहिए. * घर के प्रवेश द्वार के सामने की ज़मीन भी ऊंची नहीं होनी चाहिए. * हनुमान चालीसा, दुर्गासप्तशती या महामृत्युंजय का पाठ सुविधा व इच्छानुसार नियमित रूप से करना चाहिए.

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