विलेन से लेकर कॉ़मेडी और फैमिली मैन से लेकर सीरियस रोल तक, मनोज बाजपेयी ने हर तरह के किरदार में लोगों का दिल जीता और अपने एक्टिंग टैलेंट की वजह से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई. आज भले ही मनोज बाजपेयी फिल्म इंडस्ट्री का पॉपुलर चेहरा हैं, लेकिन उनका यहां तक पहुंचने का उनका सफर इतना आसान नहीं था. यहां तक कि करियर के शुरुआती दौर में जब वो महेश भट्ट के पास काम मांगने गए थे, तो भट्ट साहब से उन्हें ये तक सुनना पड़ा था कि मैं तुम्हारा क्या करूंगा. और इस बात का ज़िक्र मनोज बाजपेयी ने खुद एक इंटरव्यू के दौरान किया था.
ये तब की बात है जब हिंदी सिनेमा में हीरो का हैंडसम होना और उसे डांस आना बेहद ज़रूरी माना जाता था. जो भी एक्टर इन दो मामलों में कमज़ोर हो, उसका हीरो बनना नामुमकिन था. मनोज बाजपेयी बेहतरीन एक्टर तो हमेशा से थे, लेकिन हीरो वाले अंदाज़ और डांस गाना उनके बस का नहीं था. वो हीरो वाले फ्रेम में किसी तरह फिट बैठते ही नहीं थे. ऐसे में जब वो फिल्मों में काम करने के इरादे से मुम्बई आए तो उन्हें बहुत मशक्कत करनी पड़ी.
अपने इंटरव्यू में मनोज बाजपेयी ने बताया था कि वो 90 का दौर था. तब वो थिएटर ही किया करते थे. " लेकिन एक दिन शेखर कपूर ने कहा कि कल को शादी करोगे, तो बच्चों को खिलाओगे-पिलाओगे क्या. पैसे तो चाहिए न. थियेटर बहुत हो गया. अब तुम्हें मुम्बई चले जाना चाहिए. उनकी बात मुझे भी सही लगी. सच पूछिए तो उनकी बात सुनकर मैं भी डर गया था. बस मैं मुम्बई चले आया."
लेकिन मुम्बई आकर मनोज को काफी स्ट्रगल करना पड़ा. मनोज बताते हैं, उस समय हम जिस भी स्टूडियो में जाते थे, वहां पर या तो सिर्फ बड़े के साथ शूटिंग भी होती थी या फिर हर दूसरे फ्लोर पर गाने की शूटिंग चल रही होती थी. और मैं इस सबके बीच खुद को कहीं भी फिट नहीं पा रहा था. कई बार तो लगता था कि मेरे लिए यहां कोई जगह है ही नहीं और मुझे यहां कोई काम नहीं मिलेगा. मैं जहां भी जाता, फिल्ममेकर्स कहते तुम्हारा हम क्या करेंगे."
मनोज बाजपेयी ने इस इंटरव्यू में महेश भट्ट से हुई उस मुलाकात का भी ज़िक्र किया, जब वो काम मांगने उनके पास गए थे. "भट्ट साहब ने जब मुझे देखा, तो कहा मैं तुम्हारा क्या करूंगा. न तुम हीरो की तरह दिखते हो, न तुम्हें नाचना आता है." लेकिन 4 सालों के स्ट्रगल के बाद मनोज को महेश भट्ट ने ही एक टीवी सीरियल में काम करने का मौका दिया. फिर पूजा भट्ट के प्रोडक्शन में बनी पहली फिल्म तमन्ना में काम दिया. मनोज बाजपेयी कहते हैं, "महेश भट्ट साहब का योगदान अविस्मरणीय है. उन्होंने मुझ जैसे यंग एक्टर को बिठाया, हौसला और शक्ति दी, वो भी उस समय में जब मैं खुद अपने लिए राह खोज रहा था कि कोई मुझपर विश्वास दिखाए. मैं उनका हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा."
मनोज बाजपेयी को इसके कुछ समय बाद शेखर कपूर की फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में काम करने का मौका मिला था, लेकिन उन्हें असली पहचान साल 1998 की फिल्म ‘सत्या’ से मिली. रामगोपाल वर्मा की इस फिल्म में मनोज ने गैंगस्टर भीखू महात्रे का रोल किया था, जिसके लिए उन्हें कई अवार्ड भी मिले थे. इसके बाद मनोज बाजपेयी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. गैंग्स ऑफ वासेपुर, शूल, जुबैदा, पिंजर, राजनीति, स्पेशल 26, अलीगढ़ जैसी कई बेहतरीन फिल्में और कई वेबसीरीज़ में नज़र आ चुके मनोज बाजपेयी की गिनती बेहतरीन एक्टर्स में होती है.