कन्या को बुलाइए, शुभ मुहूर्त निकला जा रहा है... विवाह मंडप में ये बात तो आपने कई बार सुनी होगी. लेकिन शुभ मुहूर्त क्या होता है? इसका क्या महत्व है? शुभ मुहूर्त में शादी करना क्यों ज़रूरी होता है? आइए विवाह में शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानते हैं ज्योतिषी पंडित राजेंद्रजी से.
लड़की सयानी हुई नहीं कि बाबा वर की तलाश में जुट जाते हैं. पंडित जी कुंडली बाच देते हैं. वर-वधू के गुणों का मिलान होते ही विवाह का शुभ मुहूर्त निकालने की तैयारी शुरू हो जाती है. पंडितजी काफी सोच-विचार कर, ग्रह-नक्षत्रों का अध्ययन कर शादी की तारीख और मुहूर्त निकाल देते हैं. शुभ मुहूर्त क्या है और शुभ मुहूर्त पर ही शादी का विधान क्यों है, आइए जानते हैं.
क्यों ज़रूरी है शुभ मुहूर्त?

शादी जीवन का महत्वपूर्ण और पवित्र बंधन होता है. शादी को एक जन्म का नहीं, बल्कि जन्म जन्मांतर का रिश्ता माना जाता है. इसलिए शादी को सुखमय और सफल बनाने के लिए तमाम जतन किए जाते हैं. इसके लिए शादी का शुभ मुहूर्त में होना भी ज़रूरी होता है. ज्योतिषी द्वारा बताए गए शुभ मुहूर्त में शादी करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है और उनके जीवन में कोई कष्ट या बाधा नहीं आती.
शुभ मुहूर्त कैसे निकालते हैं?

कुंडली का मिलान करने के बाद पंडितजी विवाह का शुभ मुहूर्त निकालते हैं. इसके लिए वो कुंडली का विश्लेषण करते हैं. ग्रहों की स्थिति, नक्षत्र, तिथि और योग का अध्ययन करके शुभ मुहूर्त का चयन किया जाता है. इसके बाद शादी की तारीख पक्की कर दी जाती है. शुभ मुहूर्त निकालने के लिए किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह लेनी चाहिए. विवाह का मुहूर्त निकालने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है.
ग्रहों की स्थितिः विवाह मुहूर्त के लिए ग्रहों की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है, ख़ासकर सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र की स्थिति का.
नक्षत्रः विवाह का शुभ मुहूर्त निकालते समय नक्षत्रों का भी ध्यान रखा जाता है, जैसे कि रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य आदि.
तिथिः विवाह मुहूर्त के लिए तिथियों का भी ध्यान रखा जाता है जैसे कि शुक्लपक्ष, कृष्णपक्ष आदि.
वारः सोमवार, मंगलवार आदि वारों का भी ध्यान रखा जाता है विवाह का मुहूर्त निकालते समय.
शुभ मुहूर्त में शादी के लाभ
सुखमय वैवाहिक जीवन: ज्योतिषी के अनुसार शुभ मुहूर्त में शादी करने से दंपति का वैवाहिक जीवन सुखमय और समृद्ध होता है. जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है.
सौभाग्य, सफलता और आर्थिक समृद्धि: शुभ मुहूर्त में शादी करने से दंपति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. इस समय किए गए विवाह से लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है और धन संबंधी समस्याएं कम होती हैं. सौभाग्य और जीवन में सफलता मिलती है.
ग्रहों का सकारात्मक प्रभावः सही मुहूर्त में विवाह करने से ग्रहों की अनुकूल स्थिति विवाह को अधिक संतुलित और शुभ बनाती है, जिससे रिश्तें में प्यार बना रहता है.
संतान सुख: शुभ मुहूर्त में शादी करने से दंपति को संतान सुख की प्राप्ति होती है. इस समय किए गए विवाह से संतान संबंधी समस्याएं नहीं होतीं और परिवार में खुशहाली बनी रहती है.
स्वास्थ्य लाभ: शुभ मुहूर्त में शादी करने से दंपति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. इस समय किए गए विवाह से ग्रहों की शुभ दृष्टि का प्रभाव रहता है, जिससे दंपति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं नहीं होतीं या कम होती हैं.
विवाह में स्थायित्व: शुभ मुहूर्त में शादी करने से विवाह में स्थायित्व बना रहता है. इस समय किए गए विवाह से तलाक या अलगाव की संभावना कम हो जाती है और दंपति का संबंध मजबूत होता है.
घर-परिवार में शांति: शुभ मुहूर्त में शादी करने से घर-परिवार में शांति और सौहार्द बना रहता है और परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान से पेश आते हैं.
दाम्पत्य जीवन में संतुलन: शुभ मुहूर्त में शादी करने से दाम्पत्य जीवन में संतुलन बना रहता है. इस समय किए गए विवाह से दंपति के बीच विश्वास और सहयोग बढ़ता है, जिससे जीवन में संतुलन और स्थिरता आती है.
ग्रह दोषों का निवारण: शुभ मुहूर्त में शादी करने से कुंडली में उपस्थित ग्रह दोषों का निवारण होता है. ग्रहों की शुभ दृष्टि प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आनेवाली समस्याएं कम होती हैं और जीवन में आनेवाली बाधाओं से बचा जा सकता है.
ऐसे 5 विशेष दिन जब शुभ मुहूर्त देखे बिना हो सकते हैं विवाह
ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार साल के 5 विशेष ऐसे दिन होते हैं, जिन्हें अबूझ मुहूर्त कहा जाता है. इन विशेष अवसरों पर बिना शुभ मुहूर्त देखे भी विवाह और अन्य मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं.
अबूझ मुहूर्त क्या होता है?

अबूझ मुहूर्त खास दिन होते हैं. इन दिनों कोई भी शुभ काम कर सकते हैं. बिना मुहूर्त देखे भी मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं. इन दिनों शुभ काम के लिए समय देखने की ज़रूरत नहीं होती. इन अवसरों को विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों जैसे गृह प्रवेश, मुंडन, सगाई आदि के किए उत्तम माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अबूझ मुहूर्त पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा मानी जाती है. ये दिन हैं- देवउठनी एकादशी, बसंत पंचमी, फुलेरा दूज, अक्षय तृतीया और विजयादशमी. इन दिनों को सिद्ध मुहूर्त माना जाता है, यानी इनमें शादी जैसे मांगलिक कार्य बिना किसी शुभ घड़ी के किए जा सकते हैं.
शादी विवाह का मुहूर्त निकालते समय रखें इन बातों का ध्यान
- जिस महीने में व्यक्ति का जन्म होता है, उस महीने में शादी नहीं करनी चाहिए.
- जिस महीने में माता-पिता की शादी हुई हो, उस महीने में बच्चों की शादी नहीं करनी चाहिए.
- जेष्ठ पुत्र की शादी जेष्ठ महीने में नहीं करनी चाहिए.
- सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण वाले महीने से पहले एक महीने और बाद के एक महीने शादी नहीं करनी चाहिए.
- पुत्र का विवाह करने के बाद छः मास के भीतर पुत्री का विवाह नहीं करना चाहिए.
- दो जुड़वां भाइयों का विवाह या मुंडन एक ही दिन नहीं करना चाहिए.
श्रेया तिवारी
