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इन 12 खाद्य पदार्थों के कारण हो सकता है कैंसर ( 12 Cancer Causing Foods)

जब भी किसी व्यक्ति को कैंसर अपना शिकार बनाता है तो वो मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और आर्थिक तौर पर पूरी तरह से टूट जाता है. यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो मरीज़ के साथ-साथ उसके परिवार वालों और क़रीबियों की तकलीफें भी बढ़ा देती है. दुनियाभर में लंग्स, प्रोस्टेट, कोलोन, स्टमक, ब्रेस्ट और लिवर कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. हालांकि कैंसर कार्सिनोजेन जैसे रसायन, रेडिएशन, मोटापा, हार्मोन्स और स्मोकिंग के अलावा कई कारणों से हो सकता है, लेकिन हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी कई ऐसी चीज़ें शामिल हैं, जो कैंसर (Cancer Causing Foods) का कारण बन सकती हैं. चलिए नज़र डालते हैं कैंसर कारक 12 खाद्य पदार्थों पर... Cancer Causing Foods 1- जेनेटिकली मॉडिफाइड फूड्स देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में आनुवांशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड फूड्स का उपयोग तेज़ी से बढ़ रहा है. दरअसल, फसलों के डीएनए में बदलाव करके इन्हें तैयार किया जाता है. इतना ही नहीं, बाज़ार में उपलब्ध क़रीब 90 फ़ीसदी मकई और सोया से बने खाद्य पदार्थ संशोधित करके तैयार किए जाते हैं, जिनके नियमित सेवन से स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है. एक शोध के दौरान, जीएमओ प्रक्रिया द्वारा निर्मित सब्ज़ियों को जब चूहों को खिलाया गया तो इसके परिणामस्वरूप उनमें कैंसर कारक ट्यूमर (Cancer Causing Foods) का विकास हुआ. हालांकि जीएमओ वाले खाद्य पदार्थ सेहत को नुक़सान पहुंचाते हैं या नहीं, इस मुद्दे पर काफ़ी समय से बहस जारी है, लेकिन बेहतर यही है कि ऑर्गेनिक चीज़ों का ही इस्तेमाल किया जाए. 2- माइक्रोवेव पॉपकॉर्न आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पॉपकॉर्न में मौजूद पॉली फेनोलिक नामक एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर में कैंसर पैदा करने वाले फ्री रेडिकल्स से मुक्ति दिलाता है, लेकिन अगर आप पैकेज्ड या माइक्रोवेव पॉपकॉर्न का सेवन करते हैं तो इसका आपकी सेहत पर उल्टा असर हो सकता है यानी यह आपको कैंसर का मरीज़ भी बना सकता है. दरअसल, माइक्रोवेव में तैयार किए गए पॉपकॉर्न के स्वाद को बढ़ाने के लिए कृत्रिम मक्खन का इस्तेमाल किया जाता है और इसे बनाने के दौरान निकलने वाला धुंआ हानिकारक टॉक्सिन में बदल जाता है. इसके अलावा जिस बैग में इसे तैयार किया जाता है उसमें भी हानिकारक रसायन होते हैं, जो कैंसर का कारण (Cancer Causing Foods) बन सकते हैं. ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप माइक्रोवेव पॉपकॉर्न का सेवन न करें. 3- सॉफ्ट ड्रिंक्स अगर आप सोचते हैं कि सोडा या कोई भी सॉफ्ट ड्रिंक आपकी सेहत को नुक़सान नहीं पहुंचा सकता तो आप बिल्कुल ग़लत हैं, क्योंकि कई अध्ययनों में इस बात का ख़ुलासा हो चुका है कि हफ़्ते में स़िर्फ दो कैन सॉफ्ट ड्रिंक पीने से भी पैनक्रियाज कैंसर का जोख़िम बढ़ जाता है. दरअसल, सॉफ्ट ड्रिंक्स में कैलोरीज़ और शुगर जैसे आर्टिफिशियल चीज़ों की अधिकता होती है और एक कैन सोडा में क़रीब 10 छोटे पैकेट चीनी जितनी कैलोरी होती है. 4- रेड मीट कम या संतुलित मात्रा में रेड मीट का सेवन करने में कोई हर्ज़ नहीं है, लेकिन हर रोज़ या अधिक मात्रा में इसका सेवन आपको कोलोन कैंसर का रोगी बना सकता है. अत्यधिक मात्रा में रेड मीट का सेवन करने वाले पुरुषों में कैंसर (Cancer Causing Foods) का ख़तरा 22 फ़ीसदी और महिलाओं में 20 फ़ीसदी अधिक होता है. इसलिए इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से बचें. ये भी पढ़ेंः कैंसर से जु़ड़े 17 एेसे तथ्य, जो आपको जानने चाहिए ( 17 Important And Interesting Facts About Cancer) 5- अल्कोहल तंबाकू के बाद अल्कोहल कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. हालांकि कम मात्रा में और कभी-कभी इसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद है. इसकी संतुलित मात्रा दिल की बीमारियों के ख़तरे को कम करती है, लेकिन इसकी अधिकता से हार्ट फेल्योर, स्ट्रोक के साथ-साथ मुंह, लिवर, कोलोन, मलाशय, गले और ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. 6- आर्टिफिशियल स्वीटनर्स कई लोग अपने वज़न को नियंत्रित रखने के लिए चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर्स को विकल्प के तौर पर चुनते हैं, लेकिन इसका अधिक उपयोग न स़िर्फ वज़न कम करने के लक्ष्य पर पानी फेर सकता है, बल्कि डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए भी यह नुक़सानदेह साबित हो सकता है. इतना ही नहीं, आर्टिफिशियल स्वीटनर्स में मौजूद एस्पार्टेम कई तरह की शारीरिक परेशानियां भी दे सकता है. यह शरीर में डीकेपी नामक टॉक्सिन बनाता है, जो कैंसर कोशिकाओं में वृद्धि करता है. इसके इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर का ख़तरा अधिक होता है. 7- हाइड्रोजनेटेड ऑयल हाइड्रोजनेटेड ऑयल एक तरह का वेजिटेबल ऑयल है, जिसे रासायनिक परिवर्तन करके तैयार किया जाता है. नियमित तौर पर खाना पकाने के लिए इस तेल के इस्तेमाल से कैंसर, जन्मजात विकार और दिल की बीमारियों का ख़तरा अधिक होता है. इन रोगों के ख़तरे से बचने के लिए प्राकृतिक तरी़के से तैयार ऑलिव ऑयल, कैनोला ऑयल और सोया ऑयल का इस्तेमाल करना चाहिए. 8- चिप्स और फ्रेंच फ्राइज़ बेशक पोटैटो चिप्स और फ्रेंच फ्राइज़ खाने में लज़ीज लगते हैं, लेकिन इन्हें नियमित तौर पर स्नैक्स के रूप में खाने की आदत आपकी सेहत को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है. दरअसल, इन्हें उच्च तापमान पर पकाया जाता है और इनमें ट्रांस फैट की अधिकता होती है, जो वज़न को बढ़ाने के साथ ही आपको हाई ब्लड प्रेशर का मरीज़ भी बना सकते हैं. पोटैटो चिप्स में सोडियम की मात्रा अधिक होती है और इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए प्रिजर्वेटिव्स और कलर्स का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एक्रिलमाइड नामक कार्सिनोजेन पाया जाता है, जो कैंसर का कारण बन सकता है. 9- प्रोसेस्ड मीट अत्यधिक नमक और केमिकल का उपयोग करके प्रोसेस्ड मीट तैयार किया जाता है. इसका नियमित तौर पर सेवन करने से कैंसर का ख़तरा बढ़ता है. लगातार 13 साल तक किए गए एक शोध में इस बात का ख़ुलासा किया गया है कि 160 ग्राम प्रोसेस्ड मीट खाने वाले हर 17 लोगों में से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है. इसके अलावा जो लोग 20 ग्राम या उससे कम प्रोसेस्ड मीट खाते हैं, उनमें 44 फ़ीसदी तक कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है. सिगरेट में मौजूद कार्सिनोजेन प्रोसेस्ड मीट में भी पाया जाता है, जो कैंसर का कारण बन सकता है. 10- कैन्ड फूड बेशक कैन्ड फूड को तैयार करना बेहद आसान और सुविधाजनक होता है, लेकिन कैन्ड सूप और दूसरे फूड्स में डायटरी सोडियम का स्तर काफ़ी ज़्यादा होता है, जो ब्लड प्रेशर बढ़ाता है. अधिकांश कैन्स केमिकल कंपाउंड बीपीए या बिसफेनोल ए से जुड़े होते हैं, जो ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर के जोख़िम को बढ़ाते हैं. साथ ही न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, इनफर्टिलिटी और टाइप 2 डायबिटीज़ की संभावना बढ़ जाती है. 11- नमकीन, मसालेदार चीज़ें नमकीन, चटपटी और मसालेदार चीज़ें खाने में बहुत स्वादिष्ट लगती हैं, लेकिन ऐसे खाद्य पदार्थों को प्रिजर्वेटिव नाइट्रेट से तैयार किया जाता है. नियमित तौर पर इन चीज़ों को खाने से शरीर में कैंसर कारक तत्वों की वृद्धि होने लगती है. इसके अलावा स्मोक्ड मीट या नट्स में टार जैसे रासायनिक तत्व पैदा हो जाते हैं, जिससे कोलोरेक्टर और स्टमक कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है. 12- रिफाइंड स़फेद आटा जब आटे को रिफाइंड किया जाता है, तब उसमें मौजूद सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. उपभोक्ताओं तक आकर्षक रूप में पहुंचाने के लिए इस आटे को क्लोरिन गैस की मदद से ब्लीच किया जाता है. ग्लाइसेमिक इंडेक्स की अधिकता होने के कारण इस आटे से बनी रोटी खाने पर शरीर में इंसुलिन और ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ सकती है. यह डायबिटीज़ के साथ-साथ कैंसर के ख़तरे को भी बढ़ा सकता है, इसलिए इसका सेवन करने से बचें. ये भी पढ़ेंः World Health Day: जानें आख़िर क्यों नहीं मिटती आपकी थकान ( Do You Feel Tired All The Time?)

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