
तानाशाही का कभी अंत नहीं रहा, यह हर दौर में अलग-अलग ढंग से फलता-फूलता ही रहा है. आज देश आपातकाल (इमर्जेंसी) की पचासवीं वर्षगांठ मना रहा है, प्रतिकार व विरोध के रूप में. साल 1975 में किस तरह इमर्जेंसी के नाम पर और संविधान को ताक पर रखते हुए देशवासियों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ था, यह जगज़ाहिर है. इसे कंगना रनौत ने अपनी फिल्म ‘इमर्जेंसी’ में बेहतरीन तरी़के से दिखाया भी है. वही कंगना जो अपने साहसिक कदम और बेबाक़ अंदाज़ के लिए जानी जाती हैं, ने आज हिमाचल प्रदेश के मंडी में इससे जुड़े काला अध्याय के कार्यक्रम में सम्मलित हुईं.

कंगना ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस प्रोग्राम से जुड़ी जानकारी और तस्वीरें साझा कीं. उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर इस संदर्भ में एक वीडियो डालते हुए लिखा-
भारतीय लोकतंत्र और राजनीति के सबसे काले अध्याय आपातकाल 25 जून, 1975 के विरोध में उठी प्रत्येक आवाज़ को सादर नमन!
इसी के साथ उन्होंने संविधान हत्या दिवस को टैग भी किया.

कंगना ने अपने इंस्टाग्राम पर कई फोटोज़ साझा कीं, जिनमें वे आपातकाल के पीड़ितों से बातचीत कर रही हैं. इसके अलावा वृक्षा रोपड़ और जनसभा को संबोधित करते हुए तस्वीरों को भी शेयर किया. वे कहती हैं-
आज मंडी लोक सभा में जिला कुल्लू भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रम आपातकाल की 50 वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम ‘काला अध्याय’ में आपातकाल दिवस पर ‘प्रबुद्धजन संगोष्ठी’ कार्यक्रम कटराइं में शामिल हुए.
साथ ही आपातकाल के समय कुल्लू जिला में प्रताड़ित परिवारों से भी भेंट की.
तस्वीरों के बैकग्राउंड में फिल्म ‘इमर्जेंसी’ का उदित नारायण का गाया हुआ बुलंद गीत माहौल को और भी अर्थपूर्ण बना रहा है, गीत के बोल-
जनता को रोक लें किसमें इतनी जान है..
चीर दें अधर्म को जनता वो बाण है..
जालिमों के हाथ है लाठियां तो क्या हुआ..
जनता के हाथ में आज संविधान है..
सिंहासन खाली करो...
कंगना रनौत के इस पोस्ट पर उनके फैंस ने भी जमकर प्रतिक्रियाएं दी हैं. किसी ने जनता क्वीन... देश की शेरनी... नेशनल क्वीन... कहा, एक ने तो ईश्वर से मज़ेदार गुज़ारिश ही कर दी कि कंगना को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बना दिया जाए... अजब-ग़जब लोग और उनकी इच्छाएं.
कंगना रनौत का करियर उतार-चढ़ाव के साथ-साथ विवादों से भी ख़ूब भरा रहा है. वे किसी से भी पंगा लेने से नहीं घबरातीं, फिर वो सुपर स्टार हो या चीफ मिनिस्टर. फ़िलहाल वे मंडी से भारतीय जनता पार्टी की विधायक हैं. हिमाचल प्रदेश के भंबाला गांव में जन्मीं कंगना वहां के लोगों की समस्याओं व ज़रूरतों पर दिल से बेहद काम कर रही हैं. समाज सेवा के कार्य की व्यस्तता के चलते फिल्में भी नहीं कर पा रहीं. लेकिन उन्हें ख़ुशी व संतुष्टि है कि वे अपनों के दुख-दर्द को समझने के साथ उनकी सहायता भी कर रही हैं.

आपातकाल- साल 1975 में दिवंगत इंदिरा गांधी के कार्यकाल में उन्होंने इमर्जेंसी लगा दिया था, ताकि सरकार के ख़िलाफ़ कोई भी आवाज़ उठा न सके. उस समय तमाम लोगों पर अत्याचार व शोषण हुआ था, मीडिया भी इससे अछूता न रह सका. इसी को लेकर कंगना ने अपने निर्देशन में ‘इमर्जेंसी’ फिल्म प्रोडयूस की थी, जो सफल होने के साथ-साथ काफ़ी चर्चित व सुर्ख़ियों में रही. इंदिरा गांधी का क़िरदार कंगना ने ख़ुद लाजवाब अंदाज़ में निभाया था. वहीं अनुपम खेर ने जयप्रकाश नारायण तो श्रेयस तलपड़े ने अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका को अपने ज़बर्दस्त अभिनय से जीवंत किया था.

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