Close

स्पिरिच्युअलिटी आजकल: कितना दिखावा, कितनी हकीकत? (Spirituality Today: How Much Pretense, How Much Reality?)

स्पिरिच्युअलिटी यानी अध्यात्म, जो सदियों से हमारी मूल परंपरा का हिस्सा रहा है. हमारे धर्म ही नहीं, जीवन का आदर्श भी है अध्यात्म, जो मन की हर शंका को दूर कर एक ऐसा स्थायी सुकून देता है जिसे हम ताउम्र बाहर तलाशते रहते हैं. यह हमें वो ज्ञान देता है, जिससे हमारा ईश्‍वर से सच्चा जुड़ाव और साक्षात्कार होता है.

हम योग, साधना, ध्यान, दर्शन, निःस्वार्थ सेवा, प्रकृति से जुड़ाव के ज़रिए स्पिरिच्युअलिटी का अनुभव कर सकते हैं. लेकिन आजकल हो क्या रहा है? अध्यात्म यानी स्पिरिच्युअलिटी के नाम पर दिखावा या यूं कहें कि पाखंड बढ़ता जा रहा है. लोगों को लगता है कि बस मंदिर में जाने से और व्रत-उपवास रखने से भगवान ख़ुश होते हैं, जबकि मन की शुद्धता की ओर उनका ध्यान तक नहीं जाता.

अध्यात्म के नाम पर छलते हैं लोग

• आजकल स्पिरिच्युअलिटी लोगों के लिए एक फैशन बन चुका है.

• सोशल मीडिया पर किसी न किसी स्पिरिचुअल साइट या गुरु को फॉलो करते हैं और चार लोगों में इसका ढिंढोरा पीटते हैं.

• स्टेटस पर धार्मिक या आध्यात्मिक कोट लगाते हैं.

• डीपी पर भगवान की फोटो लगाकर घूमते हैं.

• मंदिर जाकर सेल्फी पोस्ट करते हैं.

यह भी पढ़ें: टीनएजर्स में क्यों बढ़ रही है क्रिमिनल मेंटैलिटी? (Why Is Criminal Mentality Increasing Among Teenagers?)

• दान देकर ख़ुद ही उसका गुणगान करते हैं.

• व्रत रखकर ईश्‍वर पर ही एहसान करते हैं.

• ख़ुद को दूसरों से अलग और श्रेष्ठ दिखाने के लिए भी लोग स्पिरिचुअलिटी का राग अलापते हैं. • ऐसे लोग दूसरों से कहते फिरते हैं कि हम तो बहुत पूजा-पाठ करते हैं, औरों की तरह नहीं कि घर में अगरबत्ती तक नहीं जलाते.

• ऐसे ही लोग मंदिर जाकर भी अपना मन शुद्ध नहीं कर पाते.

• ईर्ष्या, अहंकार, झूठ, पाप- सारे नकारात्मक विचार इनमें रहते हैं, लेकिन ये ख़ुद को ईश्‍वर के क़रीब मानते हैं, क्योंकि ये पूजा-पाठ करते हैं, मंदिर जाते हैं और न जाने क्या-क्या करते हैं.

• घर में पूजा होती है, तो लोगों की दिलचस्पी और फोकस पूजा करने से ज़्यादा रील्स बनाने में होती है.

• दरअसल ये ख़ुद ही भ्रम में जीते हैं. उन्हें लगता है कि वो धार्मिक कर्म-कांड करके पुण्य कमा रहे हैं.

• ऐसे ही लोग किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई की फीस केवल इसलिए भरते हैं कि सोशल मीडिया पर दिखावा कर सकें.

• ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसका ज़िक्र ज़रूरी है- कविता एक बड़ी कंपनी में बड़े पद पर कार्यरत थी और उसने एक ग़रीब लड़की के स्पेशल कोर्स का ज़िम्मा उठाया. सबने उसकी ख़ूब तारीफ़ की, लेकिन वो हर किसी को बताती फिरती थी कि वो इतना नेक काम कर रही है. वो लड़की कोर्स ख़त्म होने के बाद जॉब ढूंढ़ने लगी और इस बीच उसने कविता को थैंक्स कहने के लिए होटल में डिनर करवाया. उस डिनर की तस्वीरों के साथ कविता ने सोशल मीडिया पर अपनी तारीफ़ में पोस्ट लिखी कि कैसे उसने इसका ख़र्च उठाया. कविता के दोस्तों को भी यह पसंद नहीं आया और इस बात से वो लड़की भी बेहद आहत हुई, क्योंकि उसने एक तरह से थैंक्स कहने के लिए डिनर करवाया था, न कि सोशल मीडिया पर उसका मज़ाक बनाने के लिए.

• कुछ लोग अपने फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए ख़ुद को आध्यात्मिक गुरु भी कहते हैं.

• अपने आधे-अधूरे ज्ञान के साथ ये लोगों को भ्रमित करते हैं.

• सच्चे गुरु का काम होता है भक्तों का मार्गदर्शन करके उन्हें ईश्‍वर के क़रीब लाएं, लेकिन ये लोग ख़ुद को ही ईश्‍वर का स्वरूप साबित करने में लगे रहते हैं, ताकि इनके दरबार में लोगों की हाज़िरी बढ़ती जाए. अध्यात्म दिखावे का नहीं, बल्कि अपने मन के भीतर उतरकर ख़ुद को पहचानने का विषय है.

• पहले लोग बेहद शांत भाव से अध्यात्म की तरफ़ बढ़ते थे.

• वो दान भी गुप्त रखते थे, क्योंकि गुप्त दान सबसे बेहतर दान माना जाता है.

• यहां तक कि जब उनका व्रत-उपवास होता था तो वो इसका ढिंढोरा नहीं पीटते थे, बल्कि सामनेवाले को यह कहते थे कि हमें भूख नहीं या अभी खाना नहीं खाना है.

• अध्यात्म एक निजी अनुभव है और लोग इसे बिना शोर मचाए अपनाते थे.

• अध्यात्म आत्मचिंतन के लिए होता है.

• ख़ुद को बदलकर बेहतर बनने के लिए होता है. • अध्यात्म का अर्थ सिर्फ़ मंदिर जाना या माथे पर टीका लगाना नहीं है, क्योंकि ये धार्मिक मान्यताओं से कहीं ऊपर और गहरा है.

• मन का शुद्धीकरण, विचारों में पवित्रता, नकारात्मक भावनाओं का त्याग और निःस्वार्थ सेवा- यही अध्यात्म का सिद्धांत है.

• जब तक भौतिकता से जुड़ाव रहेगा तब तक आध्यात्मिकता की ओर नहीं जा सकते.

• ज़रूरी नहीं कि आपको भगवा धारण करके संन्यास लेकर जंगल में जाना हो, अगर टॉक्सिक विचारों से मुक्ति चाहिए, तो अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करते हुए मेडिटेशन करें.

• मंत्रोच्चार करें, क्योंकि मंत्रों की फ्रीक्वेंसी आपको भीतर से वाइब्रेट करके हेल्दी और एनर्जेटिक बनाती है.

• योग करें, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर हो.

• प्रकृति में समय बिताएं. बिना फ़ोन और किसी अन्य डिस्ट्रैक्शन के कुछ दिन नेचर के साथ जुड़ें. ये आपको रिफ्रेश कर देगा.

• निःस्वार्थ भाव से दूसरों और ज़रूरतमंदों की सेवा करें.

• अपने से बड़ों का आदर-सम्मान करें.

• पशु-पक्षियों के प्रति दया का भाव रखें.

• अपने मन के साथ-साथ अपने विचारों और ज़ुबान को भी शुद्ध करने का प्रयास करें.

यह भी पढ़ें: एलिमनी और डिवोर्स- क्या बन रहा है ईज़ी मनी का सोर्स? (Alimony and Divorce Is it becoming a source of easy money?)

• व्रत-उपवास स्वास्थ्य से जुड़ा विषय है, जब ज़रूरत हो तब करें.

• माथे पर तिलक ज़रूर लगाएं, लेकिन दिखावे के लिए नहीं, बल्कि उसका वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व जानने की कोशिश करें कि किस प्रकार वो आज्ञा चक्र को शांत रखता है.

• स्पिरिचुअलिटी एक लॉन्ग जर्नी है, जो आंतरिक सुकून, ऊर्जा, बेहतर मानसिकता, शांति, अपने जीवन और अपने होने के अर्थ की ओर ले जाती है, इसलिए यह समझ लें कि स्पिरिचुअलिटी फैशन नहीं, पैशन है.

- गीता शर्मा

Share this article