टीनएज ऐसी अवस्था जहां हर तरफ़ एक अलग-सा अट्रैक्शन होता है, बहुत ज़्यादा कन्फ़्यूज़न होता है और मन-मस्तिष्क में जिज्ञासा ही जिज्ञासा होती है. ऐसे में सही मार्गदर्शन न मिलने पर टीनएजर्स ग़लत दिशा में बढ़ जाते हैं और ग़लत सोर्सेस से जानकारी हासिल करने लगते हैं और फिर वो कुछ एक्साइटिंग करने के चक्कर में एक्सपेरिमेंट करने लगते हैं, जिसमें सेक्स से लेकर नशा और डेयर से लेकर क्राइम तक शामिल हो सकता है.

आख़िर क्या वजह है कि आजकल किशोरों में आपराधिक प्रवृत्ति बढ़ रही है और वो भी काफ़ी तेज़ी से? आइए जानें-
- आजकल परिवार छोटे होते जा रहे हैं. पहले दादा-दादी, चाचा-ताऊ के साथ बच्चे पलते थे और इसीलिए वो ज़्यादा अनुशासित होते थे. आजकल पैरेंट्स वर्किंग होने के कारण बच्चों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे पाते, ऐसे में बच्चे क्या कर रहे हैं अधिकांश पैरेंट्स को पता ही नहीं होता.
- एक्सपोज़र के चलते भी बच्चों में हिंसक व्यवहार बढ़ रहा है. एक वक्त था जब बच्चे बाहर जाकर खेलते थे. घर पर भी वो चेस या कैरम जैसे इंडोर गेम्स खेलते थे, फिर इनकी जगह वीडियो गेम्स ने ले ली और अब सबको रिप्लेस कर चुका है मोबाइल फ़ोन. आजकल बेहद छोटी उम्र से ही बच्चों के हाथों में स्मार्ट फ़ोन थमा दिया जाता है, ताकि वो फ़ोन में लगा रहे और पैरेंट्स को परेशान न करे. धीरे-धीरे मोबाइल उनकी लत बन जाता है. टीनएजर्स के पास तो महंगे स्मार्ट फोन्स होते हैं और उसमें वो क्या देखते हैं, ये पता ही नहीं चलता.
- इन दिनों हर चीज़ आसानी से उपलब्ध है- चाहे वो कंडोम हो या फिर ड्रग्स, चाहे वो पोर्न हो या वायलेंट मूवी. इनसे बच्चे उग्र बनते हैं. कोई भी रोक-टोक उनको पसंद नहीं आती. धीरे-धीरे उनकी मानसिकता बदलती जाती है.
- बच्चों में आक्रोश बढ़ रहा है और इसी तरह नशे की लत भी बढ़ रही है, जो अपराध करने की एक प्रमुख वजह बनती है. स्कूली बच्चों में नशे की लत के बढ़ते मामले चिंता का विषय हैं और इतना ही नहीं, बच्चे पैसों के लालच में ड्रग्स की तस्करी भी करते हैं. टीनएजर्स ईज़ी टार्गेट्स होते हैं तस्करों के लिए और वो इन्हें निशाना बनाते हैं.
- फ़ोन पर कुछ गेम्स भी आपराधिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं. ये गेम्स ऐसे डिज़ाइन किए जाते हैं कि बच्चों को इनकी लत लग जाती है और फिर ये ऐप्स बच्चों की लत का फ़ायदा उठाकर उनसे पैसे वसूल करते हैं. कुछ समय पहले की खबर है कि टीन एज बेटे को मां ने फ़ोन पर ज़्यादा गेम्स खेलने के लिए डांटा, तो उसने गुस्से में मां का मर्डर ही कर दिया. इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, क्योंकि टीनएजर्स में सब्र नहीं है. उनको लक्ज़री लाइफस्टाइल चाहिए होती है और वो ऐसे माहौल में पलते-बढ़ते हैं, जहां बड़ों के संस्कार नहीं, उनकी हर ज़िद पूरी करनेवाले पेरेंट्स होते हैं, आगे चलकर यही परवरिश उनको ग़लत दिशा में ले जाती है.
- सोशल मीडिया भी बच्चों में क्रिमिनल मेंटैलिटी बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार है. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां रील्स बनाने के लिए टीनएजर्स बाइक्स चोरी करते थे. दरअसल सोशल मीडिया ने दिखावे की ज़िंदगी को बहुत ज़्यादा बढ़ावा दिया है. हर कोई ख़ुद को अपग्रेडेड दिखाना चाहता है, ऐसे में महंगी कारों और बाइक्स पर ब्रांडेड कपड़े और जूते पहनकर रील्स बनाने का चलन बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसके लिए बच्चे चोरी करने तक से डरते नहीं.
- चाहे दिल्ली की मेड का मामला हो या किसी किशोर का- ऐसे कई केसेस सामने आए हैं जहां किसी को रील्स बनाने के लिए महंगा कैमरा खरीदना था तो किसी को लैपटॉप की ज़रूरत थी, इन सबने चोरी करके अपना शौक पूरा करना चाहा, लेकिन इनके इसी शौक ने इनको अपराधी बना दिया.
- जोधपुर में एक 19 वर्षीय लड़का रील्स के लिए स्पोर्ट्स बाइक्स चुराता था, वहीं इंदौर में तीन दोस्तों के ग्रुप को 6 महंगी स्पोर्ट्स बाइक्स के साथ पकड़ा गया जो सोशल मीडिया पर ख़ुद को अमीर और स्टाइलिश दिखाने के लिए बाइक्स चुराकर उनके साथ रील्स बनाते थे.
- दिल्ली में भी दो दोस्त पकड़े गए, जो रील्स के लिए लग्ज़री कार चुराते थे.
- सिर्फ़ चोरी ही नहीं, रेप और मर्डर जैसे अपराध करने से भी टीनएजर्स झिझकते नहीं. हाल ही में राजस्थान में दो नाबालिग लड़कों ने एक नाबालिग लड़की से गैंग रेप किया और फिर उसकी हत्या करके फरार हो गए. लड़की का परिवार भजन-कीर्तन में गया हुआ था और लड़की घर पर अकेली थी. इसी बीच मौका पाकर ये दोनों लड़के उसके घर में घुस गए और लड़की के साथ बारी-बारी से रेप करके उसका मर्डर भी कर दिया.
- स्कूल में या खेल के दौरान भी बच्चों के बीच छोटे-छोटे झगड़े होना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन आजकल ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जहां छोटी-सी बहस को लेकर बच्चे गुस्से में मर्डर तक कर देते हैं.
- पहले के समय में टीचर्स, पड़ोसियों और जान-पहचान वालों से बच्चे न सिर्फ डरते थे, बल्कि उनका लिहाज़ भी करते थे, लेकिन आज ऐसा नहीं है, क्योंकि आज टीचर्स या पड़ोसी बच्चों को ग़लती पर डांट दें, तो सबसे पहले उनके पैरेंट्स ही झगड़ा करने आ जाते हैं, बच्चों की ग़लती पर अगर उनको समझाया नहीं जाएगा तो ऐसा व्यवहार करना उनकी आदत बन जाती है.
- आजकल बच्चों के आदर्श भी बदल गए हैं, पहले जहां स्वतंत्रता सेनानी या कोई सैनिक उनका हीरो हुआ करता था, वहीं अब उनके आदर्श हैं सोशल मीडिया इंफ़्लुएंसर्स या ऐसे स्टैंड अप कॉमेडियन्स जो अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, गाली-गलौज करते हैं और अश्लीलता की सारी हदें पार कर देते हैं. ये अपने पैरेंट्स और यहां तक कि भाई-बहन के रिश्तों को भी कॉमेडी के नाम पर इस्तेमाल करते हैं और उनके लिए अश्लील बातें करते हैं, जो यंगस्टर्स को काफ़ी कूल लगता है. ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुआ था, जिसमें एक सो कॉल्ड फीमेल स्टैंड अप कॉमेडियन मिडल क्लास फैमिली में भाई-बहन के बचपन में एक साथ नहाने और साथ सोने को लेकर भद्दी बातें कर रही थी, लेकिन वहां मौजूद लोग इसे एंजॉय कर रहे थे. इसी तरह एक अन्य लड़की अपनी मां का मज़ाक उड़ाते नज़र आई जिसमें उसके सेक्स टॉय को उसकी मम्मी देख लेती है और इस विषय पर उसकी भद्दी बातों को लोग एंजॉय कर रहे थे.
- रणवीर अलाहबादिया के विवाद को भी ज़्यादा समय नहीं हुआ है जिसमें उन्होंने पैरेंट्स और सेक्स के बारे में बहुत ही घटिया और गंदी बात कही थी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट ने कहा कि अलाहबादिया के दिमाग में कुछ बहुत गंदा है. रणवीर अलाहबादिया के यूट्यूब पर मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं और वो अधिकांश युवा हैं, ऐसे में उनके शो इंडियाज गॉट लेटेंट में उनके बाकी के साथी भी बेहद अश्लील बातें करते नज़र आते थे, जो मां-बहन के प्राइवेट पार्ट्स को लेकर भी होती थीं और वो भी एक फीमेल ज्यूरी द्वारा.
- आजकल स्कूल स्टूडेंट्स भी गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड बनाना कूल समझते हैं. तो ऐसे माहौल में आपकी सही परवरिश, मार्गदर्शन और अनुशासन ही उनको सही दिशा दे सकता है. अपने व्यवहार से उनको सिखाएं वरना आजकल बातों से कुछ भी समझाना बच्चों को फालतू का ज्ञान लगता है. ज़रूरत पड़े तो एक्सपर्ट्स की सलाह भी लें, पर अपने बच्चों पर नज़र रखें, ताकि उन्हें ज़माने की ग़लत बातों की नज़र न लगे.
- गीता शर्मा

