शादी-विवाह न सिर्फ़ हमारे समाज का एक रिवाज़ है, बल्कि यह एक संस्कार भी है. इसे पवित्र बंधन या जन्म-जन्मांतर का साथ माना जाता है. हिंदू धर्म में शादी से पहले लड़का-लड़की की कुंडलियां भी देखी जाती हैं और उनका मिलान किया जाता है. माना जाता है कि जितनी अधिक दोनों की कुंडलियां मिलेंगी, उतना ही उनका विवाह सफल होगा. लेकिन आज भी हममें से अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि कुंडलियां किस तरह से मिलाई जाती हैं और वो 36 गुण कौन-से होते हैं और इनमें से भी कौन-कौन से गुण मिलने ज़रूरी होते हैं, तो आज हम इसी विषय पर बात करेंगे. यह तमाम जानकारी हमने कई एस्ट्रोलॉजर और एक्सपर्ट्स से बात करके इकट्ठा की है, जिनमें प्रमुख रूप से पंडित शारदा भारद्वाज, दयानंद शर्मा और प्रकाश आनंद शामिल हैं.

• दरअसल कुल मिलाकर 8 गुणों का ही मिलान होता है और हर गुण की एक संख्या होती है, जिसके आधार पर यह तय किया जाता है कि जोड़े का वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा. • ये आठ गुण हैं- वर्ण, वश्य, तारा बल, योनि, ग्रहमैत्री, गण, भकूट और नाड़ी.
• इन आठों गुणों की संख्या भी है, जिसमें वर्ण का 1 गुण, वश्य के 2 गुण, तारा बल के 3 गुण, योनि के 4 गुण, ग्रहमैत्री के 5 पांच, गण के 6 गुण, भकूट के 7 और नाड़ी के 8 गुण होते हैं. इन आठ मानकों को अष्टकूट कहते हैं.
बात इन गुणों के महत्व की करें, तो
वर्ण (1 गुण): किसी व्यक्ति के स्वभाव, मानसिक स्तर और पर्सनैलिटी को दर्शाता है.
वश्य (2 गुण): इसमें यह देखा जाता है कि लड़का-लड़की के बीच सामंजस्य और आकर्षण की कितनी अनुकूलता है.
तारा बल (3 गुण): यह जन्म नक्षत्र पर आधारित भाग्य, स्वास्थ्य और आयु को दर्शाता है.
योनि मैत्री (4 गुण): यह दोनों के स्वभाव, भावनात्मक लगाव और यौन अनुकूलता का मिलान करता है.
ग्रह मैत्री (5 गुण): दोनों के ग्रहों के बीच की अनुकूलता और मैत्री यानी दोस्ती का मिलान करता है.

गण मैत्री (6 गुण): दोनों की आदतें, स्वभाव और सामाजिक व्यवहार को दर्शाता है.
भकूट (7 गुण): यह सम्मान से जुड़ा हुआ है कि आपका पार्टनर आपको रिस्पेक्ट देगा या नहीं. यह दोनों की राशियों के बीच संबंध और जीवन में अनुकूलता का मिलान करता है.
नाड़ी (8 गुण): यह सबसे महत्वपूर्ण गुण माना जाता है, जो संतान उत्पत्ति, उसका स्वास्थ्य और विवाह के बाद आपके स्वास्थ्य को दर्शाता है.
• इन 36 गुणों में से 18 गुण मिलने ज़रूरी माने जाते हैं. अगर 18 से कम गुण मिलते हैं, तो विवाह करना ठीक नहीं माना जाता.
• 36 में से 33 गुणों का मिलान बेहद उत्तम माना जाता है.
• वहीं 36 के 36 गुण बेहद दुर्लभ होते हैं और इसे शुभ भी नहीं माना जाता, जिसकी वजह यह बताई जाती है कि भगवान राम और सीता माता के 36 के 36 गुण मिले थे.
• इन सभी में नाड़ी और भकूट अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. इनके मिलान अच्छे न होने पर शादी में बाधा आ सकती है और कम मिलान होने पर दोषों का निवारण ज़रूरी हो जाता है.
• इसी तरह से अगर कोई मांगलिक है, तो उसका विवाह भी मांगलिक से ही करना चाहिए, क्योंकि अगर मंगल दोष वाले व्यक्ति का विवाह सामान्य व्यक्ति से होता है, तो इससे आयु पर प्रभाव पड़ता है.
• इन सबके अलावा दशा, महादशा, लग्न, चंद्रमा की स्थिति, ग्रहों की स्थिति आदि भी देखी जाती है. कुंडली के अलावा अन्य पैमाने भी ज़रूरी हैं
• कुंडली के साथ-साथ एक-दूसरे का स्वभाव, सोच, आदतें और पर्सनैलिटी भी देखनी ज़रूरी है.
• लड़का-लड़की कितने कम्पैटिबल हैं, यह जानना बेहद ज़रूरी है.
• खर्च करने की आदतें, सेविंग्स के प्रति रवैया, परिवार को लेकर क्या सोच है- यह बातें भी शादी में बेहद मायने रखती हैं.
• आप दोनों की लाइफस्टाइल कैसी है, अपोज़िट जेंडर को लेकर क्या और कैसी सोच है, शादी, पार्टनर और ससुराल वालों से क्या अपेक्षाएं हैं और वो कितनी रियलिस्टिक हैं, यह जानना बहुत ज़रूरी है.
• आप दोनों कितने एडजस्टेबल हो, करियर को लेकर क्या सोचते हो, विवाद हो जाए तो किस तरह उसे सुलझाओगे, पार्टनर ही नहीं उसकी फैमिली को भी सम्मान दोगे, फैमिली प्लानिंग, लाइफ गोल्स, फिटनेस के प्रति सोच आदि पर चर्चा बेहद ज़रूरी है और आजकल लोग इन चीज़ों पर खुलकर बात और चर्चा करते भी हैं.
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• आजकल शादी से पहले लोग एस्ट्रो कोच की भी मदद लेते हैं, जो कुंडली मिलान के अलावा, ग्रहों की शुभ-अशुभ स्थिति, शादी फिक्स होने में अगर बाधाएं आ रही हैं, शादी का योग कब है, बाधाओं का निदान कैसे हो आदि के बारे में जानकारी और मार्गदर्शन देते हैं.
• ज्योतिषाचार्य पंडित प्रकाश आनंद बताते हैं कि आप अपनी कुंडली से अपने होनेवाले जीवनसाथी के बारे में भी बहुत कुछ जान सकते हैं, उसका स्वभाव, नौकरी, पैसा आदि की स्थिति की जानकारी आपको मिल सकती है, बशर्ते आपकी कुंडली सही बनी हो, उसमें आपके जन्म का समय और तारीख एकदम सही हो.
- गीता शर्मा

