- आर्टिफिशियल कलर्स में काफ़ी केमिकल्स होते हैं, जैसे- ब्लैक में लेड ऑक्साइड, ग्रीन में कॉपर सल्फेट, सिल्वर में एल्युमीनियम ब्रोमाइड, ब्लू में कॉबाल्ड नाइट्रेट, ज़िंक सॉल्ट्स और रेड में मरक्यूरि सल्फेट.
- इसके अतिरिक्त उनकी चमक बढ़ाने के लिए उनमें माइका डस्ट और ग्लास पार्टिकल्स भी मिलाए जाते हैं.
- ये तमाम चीज़ें त्वचा पर काफ़ी बुरा प्रभाव डालती हैं. आपको खुजली, त्वचा की ऊपरी परत निकलना, त्वचा का ड्राई होना और स्किन अल्सर तक हो सकता है.
- ये रंग आसानी से नहीं छूटते और स्किन पर व बालों में जम जाते हैं.
- अगर आपको पहले से ही त्वचा की कोई समस्या है, तो वो भी बढ़ सकती है. पिंपल्स से लेकर एक्ज़िमा की तकलीफ़ गंभीर हो सकती है.
- स्काल्प में जमा होने पर ये रंग हेयर फॉल को बढ़ा सकते हैं.
- आंखों में जलन-खुलजी हो सकती है. सांस की तकलीफ़ बढ़ सकती है.
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कैसे बचें इन रंगों के प्रभाव से?
- सबसे बेहतर उपाय है कि नेचुरल रंगों का प्रयोग करें.
- यदि यह संभव न हो, तो होली खेलने से पहले त्वचा और बालों पर तेल लगा लें.
- नाख़ूनों को छोटा रखें, ताकि रंग उनमें न जम सकें और नेल इनामिल लगाएं, जिससे रंगों से बचाव हो सके.
- आई वेयर आंखों को बचाने का बेहतर तरीक़ा है, यदि आंखों में रंग चला जाए, तो फ़ौरन पानी से आंख धोएं.
- कलर को छुड़ाने के लिए त्वचा को ज़ोर-ज़ोर से न रगड़ें. धीरे-धीरे रंग हल्के पड़ते जाएंगे.
किन स्थितियों में लें एक्सपर्ट की मदद?
- यदि आपको अत्यधिक स्किन एलर्जी, रेडनेस और खुजली बढ़ गई हो.
- अगर चेहरे पर सूजन आ गई हो.
- अगर सांस लेने में तकलीफ़ हो रही हो.
- बाल बहुत ज़्यादा झड़ने लगें या एक्ने एकदम से बढ़ जाएं.
- होंठों व नाख़ूनों का रंग नीला पड़ गया हो.
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