Close

क्या बढ़ते प्रदूषण का स्तर मांओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है? (Are Rising Pollution Levels Affecting The Health Of Mothers?)

दिल्ली का वायु प्रदूषण मुख्य रूप से पूरी सर्दियों में एक गंभीर समस्या बना रहता है, जो इंसानों में अलग-अलग प्रकार के चेस्ट संक्रमण और फेफड़ों की विभिन्न बीमारियों का कारण हैं. दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) गंभीर से गिरकर नाज़ुक की श्रेणी में आ गया है, जिससे बड़ी संख्या में लोग ख़तरे में हैं. इस अत्यधिक प्रदूषण की स्टेज का गर्भवती महिलाओं और शिशुओं पर कई तरह से प्रभाव पड़ता है, इस कारण उनके लिए अधिक सावधानी बरतनी चाहिए. इसी संदर्भ में वीटाबायोटिक्स के वीपी, फिटनेस और पोषण विशेषज्ञ रोहित शेलटकर ने महत्वपूर्ण जानकारियां दी.

यह भी पढ़ें: विंटर हेल्थ केयर: सर्दियों में सेहत का रखें ख़ास ख़्याल (Winter Health Care: 13 Tips To Stay Healthy And Warm This Winter)


वायु प्रदूषण के ख़तरनाक परिणामों में शिशु सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा स्टेट बढ़ती रहती है और वे वयस्कों की तुलना में फ्रेम वज़न के अनुरूप हवा की ज़्यादा मात्रा में सांस लेते हैं.

गर्भवती महिलाओं और नई मांओं के लिए ज़रुरी सावधानियां

मां के प्लेसेंटा के ज़रिए भ्रूण को ऑक्सीजन मिलती है. नतीज़तन, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से शिशु मृत्यु दर में वृद्धि, जन्म के समय वज़न में कमी और फेफड़ों के विकास में कमी जैसे बड़े नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं. लंबे समय तक अस्थमा और एलर्जी संबंधी विकार भी इससे जुड़े होते हैं.

  • गर्भवती महिलाओं को जितना हो सके घर के अंदर रहना चाहिए. यदि बाहर जाना भी पड़े, तो हमेशा मास्क पहनना चाहिए.
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके घर की हवा में प्रदूषणकारी तत्व आपको या आपके बच्चे को नुक़सान न पहुंचाएं एयर प्यूरीफायर लगाना उपयोगी हो सकता है.
  • प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और लिपिड से भरपूर एक स्वस्थ आहार आपको शेप में रखेगा और स्मॉग से संबंधित किसी भी बीमारी या चक्कर आने से भी बचाएगा.
  • फेफड़ों के स्वस्थ काम करने के लिए गर्भवती महिलाओं को गहरी सांस लेने के व्यायाम का अभ्यास करना चाहिए.
  • अपने घरों के आसपास भी साफ़-सफ़ाई रखनी चाहिए.
  • अगर आसपास गंदगी या जमी हुई मैल है, तो आपके घर में हवा की गुणवत्ता में भी गिरावट आती है. इसके लिए आपको नियमित रूप से अपने घर की पर्याप्त सफ़ाई करनी चाहिए.
  • अपने शिशु को सुरक्षित रखने के लिए, आपको खाने से पहले अपने हाथ ज़रूर धोने चाहिए और ऐसी अन्य पर्सनल हाइजीन रूटीन का भी अभ्यास करना चाहिए.

नवजात/शिशुओं की मांएं ध्यान दें
हालांकि वायु प्रदूषण के हमारे वर्तमान एक्सपोज़र के प्रभावों को तुरंत महसूस नही किया सकता है, हमें लंबे समय तक इससे निपटना होगा और इसका देर तक रहनेवाला असर हो सकता है. इस समय जब वायु प्रदूषण अपने सबसे ख़राब स्तर पर होता है, तो अपने बच्चे के बाहर के एक्सपोज़र को कम करना महत्वपूर्ण है.
अपने बच्चे को इस ख़तरे से बचाने का सबसे अच्छा तरीक़ा है कि उसे घर के अंदर ही खेलने दें, ख़ासकर सुबह और शाम को जब वायु प्रदूषण अपने उच्चतम स्तर पर होता है.
इस ख़तरे की चपेट में सबसे ज़्यादा बच्चे आते हैं. वायु प्रदूषण से बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को गंभीर नुक़सान हो सकता है. यदि आप इन परिवर्तनों को रोकना चाहते हैं, तो उन खाद्य पदार्थों को शामिल करना महत्वपूर्ण है, जो उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ाते हैं. स्तनपान से शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने की आवश्यकता है. यह उनकी प्राकृतिक सुरक्षा को बढ़ाता है और उन्हें एंटीबॉडी देता है.

यह भी पढ़ें: आप भी नींद न आने की समस्या से परेशान हैं? जानें इसके लिए अजब-गज़ब तरीक़े… (When You Can’t Sleep- How to Treat Insomnia…)


एक स्वच्छ घर, बच्चा और स्वयं सर्वोत्तम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं. एलर्जी की प्रतिक्रिया को रोकने के लिए धूल हटाने के लिए फ़र्श को झाड़ू से साफ़ करने की बजाय पोंछा लगाया जाए.
बढ़ते हुए वैज्ञानिक सबूतों के अनुसार, वायु प्रदूषण बचपन में अस्थमा, जन्म के समय कम वज़न और समय से पहले जन्म के साथ-साथ अल्जाइमर रोग जैसी न्यूरोलॉजिकल या कोगनिटिव बीमारियों की वजह बन सकता है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि गर्भवती मांओं और नवजात शिशुओं की पॉल्यूशन से बचाया जाए.

अभी सबस्क्राइब करें मेरी सहेली का एक साल का डिजिटल एडिशन सिर्फ़ ₹599 और पाएं ₹1000 का कलरएसेंस कॉस्मेटिक्स का गिफ्ट वाउचर.

Photo Courtesy: Freepik

Share this article