“तुम जानते हो तुम्हारा व्यक्तित्व, बोलचाल का तरीक़ा, हर एक के साथ तुम्हारी ज़रूरत से ज़्यादा इंटीमेसी दिखाना सामनेवाले को…
राजा कृष्णदेव प्रकृति प्रेमी थे और उन्हें पंछियों से भी बेहद लगाव था. एक रोज़ एक व्यक्ति राजा के पास…
‘‘कपूर साहब, बहुत गंभीर बात है, आपका देहांत अट्ठाइस मई को पांच बजकर दस मिनट पर एक दुर्घटना से हो…
चित्र में रंग भर, मंत्रमुग्ध-सादेख रहा था, कैनवास कोअंदर ही अंदर मेरा दंभमुझे शाबाशी दे रहा थाऔर जैसे पूछ रहा…
एक गाँव में ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे. उनकी कोई संतान नहीं थीं, उनके पास एक पालतू नेवला था…
परची पढ़कर आज गौतमी सदमे में नहीं आई, बल्कि उसकी धड़कनें बढ़ गईं. कौन है यह प्रशंसक-आशिक़, जो संचार क्रांति…
मेरे प्रेम की सीमा कितनी है, क्या है तुम्हें क्या पता है? बहुत छोटी हैं वो मन की रेखाएं नाराज़…
जब ज़िक्र फूलों का आया, याद तुम आए बहुत चांद जब बदली से निकला, याद तुम आए बहुत कुछ न…
मैं तुम्हारी हर चीज़ से प्यार करती हूं न चाहते हुए भी जैसे तुम्हारे सिगार की महक बिस्तर पर फेंकी…
“अम्मा, आपको याद है... जब विहान छोटा था, तो मुझे चाय पीते देख गर्म कप को पकड़ने की ज़िद करता…