सात साल का रिश्ता और एक पल में टूट गया. कुछ ऐसा ही हुआ था दिव्यांका त्रिपाठी और शरद मल्होत्रा के साथ भी. बनूं मैं तेरी दुल्हन के सेट पर दोनों की प्रोफेशनल मुलाक़ात हुई थी और उसके बाद दोस्ती बढ़ी जो प्यार में तब्दील हो गई. लोगों को भी इन दोनों की रील और रियल लाइफ़ केमिस्ट्री बेहद पसंद आ रही थी और रिश्ता मज़बूत था तभी तो पूरे सात साल तक चला, तो फिर ऐसा क्या हुआ कि दोनों का ये खूबसूरत रिश्ता शादी के पवित्र बंधन के अंजाम तक नहीं पहुंच पाया.
खबरों से यही पता चलता है कि दिव्यांका एक वक़्त के बाद अपने रिश्ते को अफ़िशियल करना चाहती थीं यानी वो शादी करना चाहती थीं लेकिन शरद इसके लिए तैयार नहीं थे और फिर इसी वजह से दोनों के बीच दूरियाँ इतनी बढ़ती चली गई कि रास्ते ही अलग हो गए. दिव्यांका का भी मानना था कि प्यार दोनों तरफ़ से होता है और अगर कोई एक भाग रहा है तो उसके पीछे भागने से फायदा नहीं.
इस रिश्ते के टूटने के बाद भी दिव्यांका बहुत ही फ़ोकस्ड थीं कि उन्हें रिश्ते में क्या चाहिए. उनका मानना था कि अब वो ऐसा कोई रिश्ता नहीं चाहतीं जहां सालों तक अफ़ेयर चले और उसके बाद जब शादी की बात हो तो दोनों कहें कि अभी सोचा नहीं. वो रिश्ते में कमिटमेंट चाहती थीं और वो इन्हें मिला विवेक दहिया से. यही वजह है कि दोनों बेहद खुश है.
शरद ने मानी अपनी ग़लती: हालाँकि अब जा के शरद को भी अपनी ग़लती का एहसास ज़रूर हुआ और इसीलिए एक इंटरव्यू में उन्होंने यह बात कही कि उनका और दिव्यांका का रिश्ता बेहद खूबसूरत था, लेकिन वो उस वक़्त मैच्योर नहीं थे. शादी की बात होते ही उनके हाथ पैर ठंडे होने लगते थे. लेकिन इंसान से ही ग़लती होती है और समय के साथ वो ग़लतियों से सीखता है और परिपक्व बनता है.
जब शरद से पूछा गया कि क्या दो पुराने प्रेमी अच्छे दोस्त बन सकते हैं तो उन्होंने कहा कि इसमें वक़्त लगता है पर यह असंभव भी नहीं.
आज दिव्यांका विवेक के साथ बेहद खुश हैं और शरद भी अपनी लाइफ़ में आगे बढ़ चुके हैं लेकिन शरद को कहीं ना कहीं दिव्यांका खोने का दर्द भीतर ही भीतर सालता है और उन्हें अपनी ग़लती पर पछतावा भी है.