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एक्सपर्ट गाइड: जानें अपने यंग होते बेटे से कैसे करें पीरियड्स और प्यूबर्टी के बारे में बात? (Expert guides on How to talk to your young son about periods and puberty)

अगर आप भी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि आपको अपने बेटे से पीरियड्स के बारे में बात करनी चाहिए या नहीं या उससे इस बारे में कैसे बात करनी चाहिए? तो ये लेख ज़रूर पढें, जो आपको बेटे से पीरियड्स के बारे में बात करने के लिए सही गाइडेंस देगा.

अगर आपका बेटा भी बड़ा हो रहा है तो उसके मन में अपनी बॉडी के साथ ही लड़कियों के शरीर को लेकर भी कई तरह के सवाल आ रहे होंगे और वो यहां-वहां से इस बारे में जानकारी इकट्ठी करना शुरू कर देगा. हो सकता है उसे गलत जानकारी मिले या वो इसे समझ ही न पाए. इसलिए बेहतर यही होगा कि कुछ मुद्दों पर आप उससे सीधे बात करें. जैसे आपने उसे गुड टच और बैड टच के बारे में बताया है, उसी तरह आप उससे पीरियड्स के बारे में बात करें, ताकि उसे पता चले कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इससे डरने या दोस्तों के बीच इसका मजाक बनाने की ज़रूरत नहीं है. मदरहुड हॉस्पिटल की सीनियर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजू गुप्ता बता रही हैं कि अपने बड़े होते बेटे से पीरियड्स के बारे में बात कैसे करें.

क्यों ज़रूरी है बेटे से पीरियड्स के मुद्दे पर बात करना?

Portrait of friendly family spending leisure together at home

हमारी सोसायटी में, जहां आज भी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अशुद्ध और अस्वच्छ माना जाता है, वहां लड़कों से इस मुद्दे को लेकर संवेदनशीलता की उम्मीद करना बेमानी है, लेकिन अब समय बदल रहा है तो पीरियड्स पर लड़कों की सोच में बदलाव आना भी ज़रूरी है, ताकि वो बहन, दोस्त, पार्टनर और बेटी को बेहतर ढंग से समझ सकें. इसलिए ज़रूरी है कि मां पीरियड्स के बारे में बेटी ही नहीं, बेटों को भी एजुकेट करें. उन्हें बताए कि पीरियड्स एक स्वा .भाविक एवं स्वस्थ प्रक्रिया है और इससे शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है.

अपने बेटे से पीरियड्स के बारे में कब बात करें?

एक निश्‍चित उम्र होने के बाद अपने बेटे से पीरियड्स के बारे में बात करना ज़रूरी है. ध्यान रखें कि बेटा हो या बेटी, आपके बच्चे को पीरियड्स के बारे में सही जानकारी देना ज़रूरी है. जैसे-जैसे आपका बेटा बड़ा होता है, आप उसे धीरे-धीरे जानकारी दे सकती हैं. यदि आपके बेटे के मन में पीरियड्स को लेकर कोई सवाल नहीं है, तब भी आप इस पर बात कर सकती हैं. अधिकांश बच्चे 7 या 8 साल की उम्र से पीरियड्स की बुनियादी बातों को समझ सकते हैं. बेहतर होगा कि इस बारे में बात करने के लिए मौके का इंतजार करें, जैसे कि यदि आपका बच्चा प्यूबर्टी या फिर शरीर में हो रहे बदलावों के बारे में सवाल पूछे अथवा वह यह पूछे कि बच्चे कैसे आते हैं तो आप शांत मन से उसके इस सवाल का जवाब दें. यदि आप स्टोर पर पैड या टैम्पून्स खरीद रही हों और आपके बच्चे के मन में इसे लेकर कोई सवाल आए तो उसे इस बारे में बताएं.

सबसे पहले अपने बेटे से पूछें कि क्या उसे पीरियड्स के बारे में कोई जानकारी है. इसके बाद आप उससे कुछ ज़रूरी बातें शेयर कर सकती हैं. जैसे कि एक लड़की जब थोड़ी बड़ी होती है तो उसके शरीर में बदलाव होते हैं, ताकि वह बड़ी होने पर एक बच्चे को जन्म दे सके. उसे बताएं कि यूटेराइन वॉल हर महीने बेबी के लिए तैयार होती है और यदि गर्भाशय में कोई बेबी नहीं है तो यूटेराइन वॉल टूट जाती है और फिर ब्लीडिंग होती है. यह ब्लड महिला की वेजाइनल ओपनिंग से बाहर आता है.

क्या बात करनी चाहिए?

  • एक लड़की अपने पीरियड के दौरान किन-किन प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर सकती है, इस बारे में अपने बेटे को बताएं, जैसे कि सैनिटरी नैपकिन्स, टैम्पून्स, पीरियड ट्राउज़र्स और मेंस्ट्रुअल कप्स. जब भी आप उसके साथ शॉपिंग करने जाएं तो उसे पीरियड प्रोडक्ट को दिखाएं. इससे इन प्रोडक्ट्स को लेकर उसकी उत्सुकता कम होगी. घर लौटने पर उससे इन सामानों को अलग रखने को कहें. इनमें से कुछ सामानों को खोलकर दिखाएं और उसे समझाएं कि ये कैसे काम करते हैं.
  • अपने बेटे को जब भी प्यूबर्टी के बारे में बता रही हों तो पीरियड्स से पहले होनेवाले लक्षणों के बारे में ज़रूर बताएं. अपने बेटे को समझाएं कि पीरियड शुरू होने से पहले एक लड़की को क्रैम्प्स, सिरदर्द, और ब्लॉटिंग (पेट फूलना) जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं.
  • अपने बेटे को बताएं कि पीरियड के दिन नज़दीक आने पर लड़की इमोशनल हो सकती है, उसमें चिड़चिड़ापन आ सकता है और उसे इसे व्यक्तिगत तौर पर नहीं लेना चाहिए. ऐसा बस लड़की के शरीर में होनेवाले हार्मोनल बदलावों के कारण होता है.
  • उसे समझाएं कि प्यूबर्टी के दौरान लड़कों और लड़कियों के लिए एक-दूसरे को सपोर्ट करना कितना ज़रूरी होता है. लड़कों और लड़कियों को एक-दूसरे के एहसास के बारे में पता होना ज़रूरी है.
  • इसके बाद आप अपने बेटे से प्यूबर्टी के बारे में बात करें या पीरियड्स के बारे में चर्चा करें.

संक्षेप में और स्पष्ट होकर बात करें: यदि आपके बेटे को यूटेरस और वेजाइना जैसे शब्दों का अर्थ नहीं पता है, तो पहले उसे इसके बारे में पूरी तरह बताएं.

बड़े ही प्यार और संयम के साथ बात करें:
हो सकता है कि आपको अपने बेटे द्वारा सुने गए कुछ अशिष्ट मुहावरों या कहावतों जैसे कि ऑन द रैग और आन्ट फ्लो के बारे में स्पष्ट रूप से बताने की ज़रूरत पड़ सकती है. इन बातों को समझाने के लिए उचित शब्दों का प्रयोग करें. उसे बताएं कि पीरियड्स छुपाने का टॉपिक नहीं और ना ही इस पर बात करने से शर्मिंदा होना चाहिए.

बेटे को सेसिंटिव बनाएं:
अपने बेटे को अपनी महिला साथी पर टिप्पणी करने के बजाय, उसे लड़की के प्रति संवेदनशील बनाएं. उसे समझाएं कि अगर किसी लड़की की स्कर्ट पर कोई धब्बा नज़र आए या उसे पीरियड शुरू हो जाए तो इस बारे में बड़ी सहजता से उस लड़की को बताए.

पीरियड्स का मज़ाक बनाना ग़लत है:
बच्चेे को बताएं कि पीरियड को लेकर जोक्स बनाना या लड़कियों पर बस इसलिए फब्तियां कसना या उनका मज़ाक बनाना अच्छी बात नहीं है क्योंकि उनके पर्स में पैड्स या टैम्पून्स हैं. इससे लड़की को गुस्सा आ सकता है.

जवाब देने से बचने की कोशिश न करें:
यदि आपका बेटा आपसे सवाल पूछता है तो उसे कभी भी नज़रअंदाज़ न करें. भले ही आप व्यस्त क्यों ना हों, उसके सवाल का अपनी क्षमता के अनुसार सबसे बेस्ट जवाब देने की कोशिश करें. यदि तुरंत जवाब नहीं दे पा रही हैं तो बाद में सोच-समझकर जवाब दें.

ये बातें बेटे-बेटी दोनों को बताएं

  • अपने बेटे और बेटी दोनों को ये ज़रूर बताएं कि पीरियड्स अशुद्ध नहीं बनाता. इसलिए पीरियड्स के दौरान छुआछूत या भेदभाव वाली पुरानी मान्यताओं को मानना बंद करें. उन्हें समझाएं कि पीरियड्स बस गर्भाशय की सफाई की प्रक्रिया है और ये महिलाओं के प्रजनन चक्र को रीसेट करता है.
  • पीरियड्स भी उतना ही ज़रूरी है जितना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, अपने बच्चों को ये बात समझाएं. बेटी को बताएं कि पीरियड्स में क्या नॉर्मल है और क्या अब्नॉर्मल. उसे ये भी समझाएं कि कोई भी असामान्यता महसूस होने पर उसे छिपाने की ज़रूरत नहीं, बल्कि खुलकर इस बारे में बताए, ताकि ज़रूरत हो तो डॉक्टरी सहायता ली जा सके.
  • पीरियड्स के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं. बेटियों को समझाएं कि उन्हें इसे लेकर शर्मींदा होने की ज़रूरत नहीं और बेटों को बताएं कि ये बदलाव स्वाभाविक हैं. इन बदलावों को लेकर लड़कियों का मज़ाक न बनाएं.
  • पीरियड्स के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण लड़कियों में मूड स्विंग्स भी होता है, वो आम दिनों की तुलना में चिड़चिड़ापन महसूस कर सकती हैं. ये बात बेटों को छोटी उम्र में ही बता देंगी तो भविष्य में वो इन दिनों में महिलाओं को बेहतर ढंग से हैंडल का पाएंगे.

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