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फिल्म समीक्षाः देवरा पार्ट 1- ज़बर्दस्त एक्शन, मज़ेदार डांस में कहानी नदारद (Movie Review- Devara Part 1)

रेटिंग: ** 2

जूनियर एनटीआर 'देवरा' फिल्म में देवरा के क़िरदार में पूरी तरह से छाए हुए हैं. उस पर तेलुगु के सुपर स्टार का डबल रोल दर्शकों के लिए ओवरएक्टिंग का डबल डोज़ सा लगता है. फिल्म में सैफ अली खान और अन्य लोगों के साथ उनका एक्शन सीन्स ज़रूर प्रभाव छोड़ता है. लेकिन इसके बावजूद तक़रीबन तीन घंटे की यह फिल्म धीमी गति के कारण कई जगहों पर बोरियत व उकताहट पैदा करती है. संपादक ए श्रीकर प्रसाद फिल्म को एडिट पर थोड़ा ध्यान देना चाहिए था.


जूनियर एनटीआर को दक्षिण भारत के लोग भले ही हाथोंहाथ लें, परंतु हिंदी दर्शकों को प्रभावित करने के लिए उन्हें और मेहनत करने की ज़रूरत है.
पहली बार साउथ की फिल्मों में अपनी क़िस्मत आज़मा रहे सैफ अली खान और जाह्नवी कपूर साधारण ही रहे. दोनों ही कलाकार प्रभावित नहीं कर पाए. सैफ को तो अब विलेन की भूमिका से विदाई लेनी चाहिए. वे सबसे अधिक कॉमेडियन के रोल में जंचते हैं. उन्हें इस पर ध्यान देना चाहिए. 'आदिपुरुष' की तरह इस फिल्म में भी उनका बुरा हाल है.


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निर्देशक कोरटाला शिवा ने कौसर मुनीर के साथ मिलकर फिल्म की कहानी लिखी है, जिसमें आप कहानी ढूंढ़ने की कोशिश कर सकते हैं. और आपको पता चलेगा कि समंदर किनारे ऐसे चार गांव हैं, जिनके पूर्वजों ने आज़ादी के समय अंग्रेज़ों के साथ समुद्री लड़ाई लड़ी थी. किंतु वक़्त के साथ चीज़ें बदल गईं. देवरा की पीढ़ी आने तक वे अपराधियों की तस्करी के माल, विशेषकर हथियार को सप्लाई करने में स्मलगर की मदद करते हैं. इसमें देवरा के साथ भैरा बने सैफ अली ख़ास हैैं.


लेकिन जब देवरा को मालूम होता है कि जिन माल को वे समंदर पार करवाने में क्रिमनल की मदद करते थे, उनमें बंदूक, बम, अन्य ख़तरनाक हथियार हैं, जिनसे उनके ही लोग विशेषकर निर्दोष लोगों की मौत हुई है. इस पर देवरा ख़ुद को इस ग़ैरक़ानूनी ग़लत काम करने से अलग कर लेता है और साथियों को भी ऐसा करने से मना करता है. ऐसे में भैरा विद्रोह कर लेता है. लेकिन देवरा दीवार की तरह इनके बीच आ जाता है और उन्हें ऐसा करने से रोकने लगता है.
कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है, लेकिन इसके फाइट सीन्स, एक्शन ज़रूर रोमांचित करते हैं. मारधाड़ और साउथ के एक्शन को पसंद करनेवालों को मूवी ज़रूरी पसंद आएगी.
मध्यांतर में तो निर्देशक बाकायदा 'आराम' का ऐलान करते हैं, उनका यह अंदाज़ सुकून देने वाला लगा. मूवी में कुछ ट्विस्ट देकर दिलचस्पी ज़रूर पैदा की गई है, ख़ासकर अंत में इसके दूसरे पार्ट के ऐलान के साथ एक सस्पेंस भी.


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डबल रोल में जूनियर एनटीआर अभिनय में उतना नहीं, पर एक्शन और डांस में प्रभावित करते हैं.

अन्य कलाकारों की बात करें, तो सैफ अली खान, प्रकाश राज, रामेश्‍वरी, जाह्नवी कपूर, अभिमन्यु सिंह, मुरली शर्मा, श्रुति मराठे सभी ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय ज़रूर किया है. आर रत्नावेलुू की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है. अनिरुद्ध रविचंदर अपनी म्यूज़िक से झूमने को मजबूर करते हैं. कला निर्देशक साबू सिरिल ने अपनी छाप छोड़ी है.


एनटीआर आर्ट्स और युवासुधा आर्ट्स के बैनर तले निर्माता नंदमूरि कल्याण राम, कोसाराजू, सुधाकर मिक्कीलिलेनी और हरिकृष्णा की यह फिल्म कुछ सोचने को मजबूर करती है, जैसे फिल्म में संदेश क्या दिया जा रहा था.


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देवरा पार्ट वन एक ख़ास वर्ग को ही पसंद आ सकता है, हम हिंदी दर्शकों की बात कर रहे हैं. हां, दक्षिण भारतीयों के बारे में तो सभी जानते हैं और जूनियर एनटीआर के फैंस ज़रूर इसे बार-बार देखना चाहेंगे. 

Photo Courtesy: Social Media

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