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फिल्म रिव्यूः कबीर सिंह (Film Review Of Kabir Singh)

कलाकारः शाहिद कपूर, कियारा आडवाणी, अर्जन बाजवा, कामिनी कौशल, सुरेश ओबेरॉय, सोहम मजूमदार
निर्देशकः संदीप रेड्डी वांगा
स्टारः 3.5
संदीप रेड्डी वांगा द्वारा निर्देशित कबीर सिंह, विजय देवरकोंडा और शालिनी पांडे अभिनीत तेलगू फिल्म अर्जुन रेड्डी की हिंदी रीमेक है.  यह प्रेम, जुनून और प्यार में बर्बाद होने की ख़ूबसूरत कहानी है, जिसे बख़ूबी दर्शाया गया है. हालांकि कहानी में कुछ नया नहीं है, लेकिन इसे कहने का ढंग इतना अलग है कि अंत तक दर्शकों को बांधे रखता है.
Kabir Singh
कहानीः यह कहानी कबीर राजवीर सिंह (शाहिद कपूर) की है, जो पढ़ाई में बहुत अच्छा है, हर फील्ड में टॉप करता है. यहां तक कि कॉलेज के फुटबॉल टीम का कप्तान भी है. लेकिन कबीर की सिर्फ़ एक ही दिक्कत है, उसे ग़ुस्सा बहुत आता है.  इतना ज़्यादा कि वो किसी की जान ले सकता है. फिर एक दिन कबीर की ज़िंदगी में आती है प्रीति (कियारा आडवाणी), जो कॉलेज के फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स में से एक है. प्रीति की सादगी देखकर कबीर को उससे प्यार हो जाता है. लेकिन प्रीति का परिवार कबीर और उसके रिश्ते के खिलाफ़ होता है और प्रीति की शादी किसी और व्यक्ति के साथ करा दी जाती है. कबीर को प्रीति की शादी का गहरा सदमा लगता है और उसे नशे की लत में डूब जाता है.  नशे की लत के कारण उसके पिता (सुरेश ओबेरॉय) उसे घर से बाहर कर देते हैं, फिर शुरू होती है कबीर के संघर्ष की दास्तां. नशे की लत  में डूबे कबीर की ज़िंदगी में  कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन अंत में इस मेडिकल कॉलेज की लवस्टोरी में एक ट्वीस्ट है , जिसे जानने के लिए आपको सिनेमा घरों में जाना पड़ेगा. Kabir Singh Reviews एक्टिंगः इस फिल्म में शाहिद कपूर की एक्टिंग जबर्दस्त है. ज़िंदगी से भरे हुए कॉलेज के स्टूडेंट से लेकर सब कुछ जानते बूझते ख़ुद की ज़िंदगी को तबाह करता हुआ एक असामान्य सर्जन, इन सारे ही रंगों को शाहिद ने ख़ूबसूरती के साथ अंजाम दिया है. कियारा बेहद ख़ूबसूरत लगी हैं और उन्होंने कम संवादों और स्क्रीन स्पेस के बावजूद आंखों से अभिनय किया है. फिल्म में शाहिद के दोस्त बने शिवा के रूप में सोहम मजूमदार की भूमिका उल्लेखनीय है. इसके अलावा लेजेंडरी एक्टर कामिनी कौशल, सुरेश ओबेरॉय जैसे कलाकारों ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है. Kabir Singh निर्देशनः  जैसा कि पहले ही बताया कि फिल्म की कहानी में कोई नयापन नहीं है, बल्कि निर्देशक संदीप रेड्डी के कहानी कहने का ढंग इस फिल्म की यूएसपी है.  फिल्म का हरएक फ्रेम कसा हुआ है. फिल्म के सारे क्राफ्ट को संदीप ने बड़ी ही ख़ूबसूरती के साथ इस्तेमाल किया है. चाहे स्क्रीनप्ले हो या सिनेमाटोग्राफी, बैकग्राउंड स्कोर हो या गाने, इन सभी को संदीप ने फिल्म को अलग स्तर पर ले जाने के लिए किरदार की तरह इस्तेमाल किया है. फिल्म का म्यूज़िक कमाल का है. गानों का चयन शानदार है. इसका एक-एक गाना दिल में उतरकर बहुत कुछ महसूस करवाता है. बेख़्याली पहले से ही लोगों का फेवरेट बन गया है. ख़ूबीः फिल्म को गहराई से स्टाइल किया गया है, इसमें बहुत सारे दिलचस्प सीन हैं और एक्शन सीक्वेंस एक ही समय में मानवीय और क्रूर हैं. कमीः फिल्म की लंबाई बहुत ज़्यादा है जो आपको खल सकती है. ये भी पढ़ेंः करीना कपूर ख़ान का रियालिटी शो शुरू होने से पहले मुश्किल में (Kareena Kapoor Reality Show Faces This Difficulty)

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