बहार का तो महज़ एक बहाना होता है
तुम्हारे आने से मौसम सुहाना होता है
वाइज़ हमें भी कभी मयकदे का हाल सुना
सुना है रोज़ तेरा आना जाना होता है
मैं जो चलता हूं तो साया भी मेरे साथ नहीं
तू जो चलता है तो पीछे ज़माना होता है
ज़ुबां पे दिल की बात इसलिए नहीं लाता
तेरे मिज़ाज का कोई ठिकाना होता है
मैं मुद्दतों से यह सोचकर हंसा ही नहीं
हंसी के बाद फिर रोना रुलाना होता है...
दिनेश खन्नामेरी सहेली वेबसाइट पर दिनेश खन्ना की भेजी गई ग़ज़ल को हमने अपने वेबसाइट में शामिल किया है. आप भी अपनी कविता, शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं…यह भी पढ़े: Shayeri