कभी कभार गुस्सा आना नॉर्मल बात है, लेकिन अगर गुस्सा आपके पार्टनर का स्वभाव बन जाए तो इसका असर रिश्ते पर भी पड़ने लगता है. ऐसे पार्टनर को हैंडल करने के लिए ज़रूरी है कि कुछ ख़ास बातों का ख़्याल रखना.
- ये जानने की कोशिश करें कि आपके पार्टनर किस बात से गुस्सा आता है. ज़ाहिर है बिना वजह तो कोई नहीं भड़कता. उन बातों और स्थितियों पर ग़ौर करें और उनका आकलन करें, ताकि आप जान सकें कि उनको कब और क्यों गुस्सा आता है. कोशिश करें कि वैसे हालात बनें ही न, जिनसे आपके पार्टनर को ग़ुस्सा आता है.
- हो सकता है आपकी कुछ आदतें और व्यवहार आपके पार्टनर को पसंद न हों और उससे वो बार बार गुस्सा होते हों. बेशक उन आदतों व व्यवहार को बदलें न, पर कोशिश करें कि पार्टनर के सामने वे काम या बातें न करें, जिनसे उन्हें गुस्सा आता हो.
- ऐसे लोगों की आदत होती है कि हमेशा दूसरों की कमियां गिनाते रहते हैं. दूसरों पर आरोप लगाना और कॉन्ट्रोवर्सी क्रिएट करना ऐसे लोगों की आदत होती है. बेहतर है कि आप उनकी गैरजरूरी बातों का कोई जवाब ना ही दें.
- उन्हें सुनें, भले ही वो गुस्से में खुद को व्यक्त करें तो भी उनकी बातों को अनदेखा न करें. कई लोग इसी वजह से डिप्रेशन में रहते हैं कि उन्हें सुनने-समझनेवाला कोई नहीं है. अगर आप जब वह गुस्से में हों तो मानसिक स्थिति को समझकर उनकी बात सुन लेंगे, तो हो सकता है कि धीरे धीरे उनका गुस्सा कम हो जाए.
- उनसे बात करें. उनके खराब व्यवहार के बारे में उनसे डिसकस करें. उन्हें बताएं कि उनका इस तरह के व्यवहार से आपको कितनी तकलीफ होती है. इससे उन्हें भी अपने खराब व्यवहार को समझने में मदद मिलेगी.
- गलती हो तो ग़लती मान लें. इससे भी आपके पार्टनर का गुस्सा कम हो जाएगा. जब भी बात ग़लती की हो, तो अपने ईगो को एक तरफ़ रख दें. इससे बात तुरंत संभल जाएगी.
- जब भी पार्टनर को गुस्सा आए तो रियेक्ट करने या उसे चुप कराने की कोशिश की बजाय उसे थोड़ा टाइम दें, ताकि वो खुद शांत हो सके. बीच में बोलने या रियेक्ट करने से बात और बढ़ेगी ही.
- वह जो भी कहना चाहते हैं, उन्हें वह कहने का मौक़ा दें, उनकी बातों को ध्यान से सुनें. उनकी ओपिनियन को महत्व दें, तो हो सकता है उन्हें गुस्सा आए ही न.
- बेवजह के डिस्कशन में ना पड़ें. जब गुस्से में वो किसी तरह का डिस्कशन करना चाहें तो उस डिस्कशन का हिस्सा ही ना बनें. इससे आप उस पूरी स्थिति से अलग हो जाएंगे.
- धैर्य न खोएं. जब पार्टनर गुस्से में हो तो उसे रोकने या टोकने का मतलब होगा उसके ग़ुस्से को और बढ़ाना. बेहतर यही होगा कि अपना धैर्य न खोएं. हो सके तो उसके सामने से हट जाएं या दूसरे कमरे में चले जाएं.