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उसकी बात सुनें- वह शायद इसलिए क्रोधित हो रही हो कि कोई भी उसकी बात सुनने को तैयार नहीं है. न ऑफिस में बॉस, न घर में बच्चे और न ही आप. इस दुनिया में अनेक लोग इसी वजह से डिप्रेशन में रहते हैं कि उन्हें सुनने-समझनेवाला कोई नहीं है. जब वह क्रोधित हो, तो उसकी स्थिति व मानसिक अवस्था को समझकर ही उसकी बात सुन लें. शांत होने का समय दें- जब आपको लगे कि आपकी पत्नी को ग़ुस्सा आ रहा है, तो कोई प्रतिक्रिया या उसे चुप कराने की कोशिश करने की बजाय उसे शांत होने का व़क्त दें. बीच में बोलने या उसे बुरा कहने से बात और बढ़ेगी ही. हो सकता है आप उसकी बात न सुनते हों, इसलिए उसे अधिक ग़ुस्सा आता हो. वह जो भी कहना चाहती है, अगर आप उसे वह कहने का मौक़ा दें, उसकी बातों को ध्यान से सुनें, उसकी राय को महत्व दें, तो हो सकता है उसे क्रोध का सहारा न लेना पड़े. उसे स्पेस दें, ताकि उसे अपनी ग़लतियों का एहसास हो और हो सकता है, वह आपसे आकर ‘सॉरी’ भी कह दे. मनोवैज्ञानिक स्मिता शाह का मानना है कि जिस इंसान को बहुत ज़्यादा ग़ुस्सा आता है या जो एकदम भड़क उठता है, वह उतनी ही जल्दी शांत भी हो जाता है. इसलिए अगर किसी बात पर आपकी पत्नी का पारा गरम हो गया है, तो उसे शांत होने का समय दें. हालांकि ऐसा करना मुश्किल है, पर कोशिश करें कि उस समय आपके चेहरे पर एक मुस्कान बनी रहे. फिर देखिए कैसे आपकी पत्नी शांत हो जाएगी! हो सकता है कि वह शर्मिंदगी भी महूसस करे. धैर्य बनाए रखें- अपनी ग़ुस्सैल पत्नी के साथ निभाने के लिए आपको धैर्य बनाए रखना होगा. आपको कई बार इस बात की हैरानी भी होगी कि आख़िर इतनी छोटी-सी बात पर पत्नी को ग़ुस्सा क्यों आया या वह इस तरह से रिएक्ट क्यों कर रही है. लेकिन ऐसे में उसे रोकने या टोकने का मतलब होगा उसके ग़ुस्से को और बढ़ाना. बेहतर यही होगा कि अपना धैर्य न खोएं. हो सके तो उसके सामने से हट जाएं या दूसरे कमरे में चले जाएं. इससे कम से कम आपकी सहनशीलता तो आपका साथ नहीं छोड़ेगी. घर से बाहर चले जाएं- अगर वह बेहद ग़ुस्से में हो, तो अच्छा यही होगा कि आप घर से बाहर चले जाएं. जब तक आप वापस लौटेंगे, वह शांत हो चुकी होगी. पर अगर उसे किसी और पर ग़ुस्सा आ रहा है, तो आप दोनों ही वॉक पर चले जाएं. इससे उसे और आप दोनों को ही रिलैक्स होने में मदद मिलेगी. आमतौर पर पत्नी को यह बात अच्छी लगती है कि उसका पति उसे सपोर्ट कर रहा है. अगर आपकी पत्नी किसी मुद्दे पर ग़लत भी हो, तो ग़ुस्से के व़क्त उसकी आंखें खोलने का या बहस करने का प्रयास न करें, बल्कि सही व़क्त का इंतज़ार करें. अगर उसे लगता है कि उसका पति उसे सपोर्ट कर रहा है, तो उसे बहुत तसल्ली होगी और उसके हार्मोंस भी संतुलित होंगे, जिससे उसे अपने क्रोध पर नियंत्रण करने में मदद मिलेगी. इमोशनली स्ट्रॉन्ग बनें- ग़ुस्सैल पत्नी को क़ाबू में रखने और उसके साथ निभाने के लिए आपका चुप रहना बहुत ज़रूरी है. इसके लिए आपका भावनात्मक रूप से मज़बूत होना आवश्यक है. अगर आप ऐसा कर पाते हैं, तो उसे एहसास दिला सकते हैं कि उसका क्रोधित होना सिवाय ऊर्जा को ज़ाया करने के और कुछ नहीं है. लेकिन अगर वह आपको भी ग़ुस्सा दिलाने में क़ामयाब हो जाती है, तो इसका सीधा-सा अर्थ है कि उसका आपके इमोशंस पर कंट्रोल है. मनोवैज्ञानिक आभा यादव के अनुसार, “बेहतर होगा कि उसे इमोशंस पर कंट्रोल करने की सलाह देने की बजाय अपना मुंह बंद रखें और निरंतर मुस्कुराते रहें. हो सकता है शुरू-शुरू में आपका मुस्कुराना उसे और ग़ुस्सा दिला दे, क्योंकि उसे लग सकता है कि आप उसका मज़ाक उड़ा रहे हैं या उसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, पर धीरे-धीरे आपकी यही बात उसे ग़ुस्से पर क़ाबू रखने को मजबूर कर देगी.- सुमन बाजपेयी
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