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गर्मियों में ऐसे रखें सेहत का ख़्याल, बचें इन 8 समर हेल्थ प्रॉब्लम्स भी(How to stay healthy during summer, 8 summer health problems and prevention tips)

गर्मी का मौसम अपने साथ कई तरह की बीमारियां लेकर आता है. ऐसे में समर सीज़न में हेल्थ प्रॉब्लम्स से बचना है और हेल्दी रहना है, तो इससे बचाव के तरी़के जानना बेहद ज़रूरी है.

डीहाइड्रेशन


झुलसा देनेवाली गर्मी में घर से बाहर निकलने पर पसीना अधिक निकलता है. ऐसे में पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है. मुंह सूखना, अत्यधिक प्यास लगना, त्वचा रूखी होना, मांसपेशियों में ऐंठन, बेवजह थकान महसूस होना, मितली, सिरदर्द, पसीना बिल्कुल न आना, पेशाब में कमी, पेशाब का रंग गहरा होना व भूख न लगना आदि डीहाइड्रेशन के लक्षण हैं.
क्या करें?

  • रोज़ाना कम से कम 10-12 ग्लास पानी अवश्य पीएं.
  • इसके अलावा छाछ, फलों का जूस, मिल्क शेक पीने से भी शरीर में पानी की कमी पूरी होगी.
  • ज्यादा लिक्विड पीने के लिए पानी में ऑरेंज जूस, पुदीने की पत्तियां या नींबू निचोड़ें. इससे आप ़ज़्यादा पानी पी पाएंगी.
  • चाय या कॉफी का सेवन कम करें.
  • हल्के-फुल्के कपड़े पहनें. खाने में पानी से भरपूर चीज़ें, जैसे-खीरा, टमाटर, तरबूज़, खरबूजा इत्यादि शामिल करें.
  • शरीर में पानी की कमी होने पर नींबू-पानी, ग्लूकोज़ या ओआरएस का घोल पीएं.

हीट स्ट्रोक


हीट स्ट्रोक में शरीर का तापमान एकदम से बढ़ जाता है. इस स्थिति को हाइपरथर्मिया कहते हैं. हीट स्ट्रोक की एक वजह शरीर में पानी की कमी होना भी है. शरीर का तापमान 102 डिग्री सेल्सियस या उससे ज़्यादा हो जाना, त्वचा पर लाल चकत्ते दिखना, सिरदर्द, चक्कर आना, घबराहट, मांसपेशियों में ऐंठन आदि हीट स्ट्रोक के लक्षण हैं.

क्या करें?

  • समर सीज़न में दोपहर के समय शरीर को ज़्यादा से ज़्यादा ठंडा रखने की कोशिश करें.
  • दोपहर के समय जहां तक हो सके, धूप में बाहर निकलने से बचें. इससे हीट स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ जाता है.
  • अगर आप बहुत ज़्यादा थकान या बीमार सा महसूस करें तो इस स्थिति को नज़रअंदाज़ न करें.
  • ख़ुद को हाइड्रेटेड रखें. ज़्यादा से ज़्यादा पानी, फ्रूट जूस, फल और सलाद को डायट में शामिल करें.

फूड पॉयज़निंग


गर्मियों में पेट संबंधी तकलीफें भी बढ़ जाती हैं. बासी या अधिक तेल-मसालेदार खाना खाने, खाने-पीने में गड़बड़ी होने या अधिक गर्मी के कारण फूड पॉयज़निंग की प्रॉब्लम हो सकती है, जिसके कारण उल्टी, पेटदर्द, दस्त, तेज़ बुख़ार व डीहाइड्रेशन की शिकायत हो सकती है.

क्या करें?

  • सब्ज़ियों और फलों को अच्छी तरह धोने के बाद ही इस्तेमाल करें.
  • खाना बनाने से पहले, वॉशरूम इस्तेमाल करने के बाद व पालतू जानवर को छूने के बाद मेडिकेटेड साबुन से हाथ धोएं. खाने से पहले भी हाथों को अच्छी तरह धोएं.
  • जंक फूड, बाहर का खाना या बासी खाने से परहेज़ करें.
  • अनपॉश्‍चराइज़्ड मिल्क और इनसे बने पदार्थों का सेवन न करें.
  • ज़्यादा-से-ज़्यादा लिक्विड फूड का सेवन करें और हल्का सादा खाना खाएं.
  • पानी उबालकर ही पीएं. ज़्यादा मिर्च-मसाले के सेवन से बचें.
  • रोज़ाना एक चम्मच साबुत मेथी का सेवन करें. ये पेट की सभी तकलीफों के लिए फ़ायदेमंद है.
  • इसी तरह नींबू का पानी भी गर्मियों में आपको पेट की बीमरियों से बचा सकता है.
  • फूड पॉयज़निंग की समस्या होने पर ज़्यादा से ज़्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें और कम मिर्च-मसालेवाल खाना खाएं.

लू लगना

जब अधिक गर्मी लगती है, तो पसीना निकलता है, जिससे शरीर का तापमान नियंत्रण में रहता है. लेकिन कई बार ज़्यादा धूप या गर्मी के कारण शरीर का कूलिंग सिस्टम बिगड़ जाता है और शरीर का तापमान बढ़ जाता है. अगर तापमान 102-103 डिग्री से ज़्यादा बढ़ जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है. चेहरा लाल होना, पल्स रेट तेज़ हो जाना, सिरदर्द, चक्कर आना व बेहोशी इसके प्रमुख लक्षण हैं. समय पर इलाज न होने पर व्यक्ति की जान भी जा सकती है.

क्या करें?

  • अगर गर्मी बहुत ज़्यादा हो, तो घर से बाहर निकलने से बचें. यदि जाना ज़रूरी हो, तो शरीर को कपड़ों से अच्छी तरह से ढंककर जाएं. आंखों को तेज़ धूप से बचाने के लिए सनग्लासेस अवश्य लगाएं.
  • थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें. इससे बॉडी हाइड्रेटेड रहेगी.
  • लू लगने पर प्याज़ के रस से कनपटियों और छाती पर मालिश करें.
  • नारियल के दूध के साथ काला जीरा पीसकर शरीर पर मलने से लू की जलन कम होती है.
  • धनिया के पानी में शक्कर मिलाकर पीने से लू का असर कम हो जाता है.
  • तुलसी के पत्तों के रस में शक्कर मिलाकर पीने से लू नहीं लगती.

सिरदर्द
गर्मियों में दिन लंबे और रातें छोटी होने से स्लीप पैटर्न गड़बड़ा जाता है. कई बार अत्यधिक गर्मी की वजह से भी आप ठीक से सो नहीं पाते. इससे भी सिरदर्द हो सकता है. इसके अलावा लगातार तेज़ धूप और गर्मी में रहने से मस्तिष्क में ऑक्सीजन का स्तर भी प्रभावित होता है, जिससे सिरदर्द और चक्कर आते हैं. कई लोगों में डीहाइड्रेशन भी सिरदर्द और माइग्रेन का एक प्रमुख कारण बन जाता है.

क्या करें?

  • पर्याप्त पानी पीएं. नींबू पानी, फ्रूट जूस और नारियल पानी भी पीते रहें.
  • तेज़ धूप में बाहर न निकलें और अगर निकलना हो तो सन्स्क्रीन, गॉगल, छतरी, हैट आदि से ख़ुद को प्रोटेक्ट करके ही बाहर निकलें.
  • पूरी नींद लें.

घमौरी
गर्मी के दिनों में चिलचिलाती धूप, उमस और पसीने के कारण शरीर पर छोटे-छोट लाल दाने निकल आते हैं. जिन्हें घमौरी कहते हैं. जिन अंगों में पसीना ज़्यादा आता है, जैसे सिर, पीठ, गर्दन आदि जगहों पर घमौरियां ज़्यादा होती हैं. ये बच्चों, प्रेग्नेंट स्त्रियों और रोग ग्रसित व्यक्तियों में ज़्यादा होती हैं. व्यक्ति शरीर को जितना ज़्यादा खुजलाता है, चुनचुनाहट और जलन उतनी ही बढ़ती जाती है.

क्या करें?

  • ठंडे वातावरण यानी एसी या कूलर में रहें.
  • घमौरियों पर कैलेमाइन लोशन लगाएं. आप चाहें तो ब़र्फ भी लगा सकते हैं.
  • घमौरियों से राहत के लिए मुल्तानी मिट्टी का लेप शरीर पर लगाएं.
  • सफेद चंदन का लेप शरीर पर करने से घमौरियों में राहत मिलती है.
  • कोकोनट ऑयल में कपूर मिलाकर लगाने से ठंडक का एहसास होता है.
  • शरीर को ताजी हवा लगने दें.
  • नीम की 4-5 पत्तियां रो सुबह चबाएं.
  • इसके अलावा गर्म चीज़ों का सेवन न करें. मोटे कपड़ों की बजाय हवादार कॉटन, सूती कपड़े पहनें.
  • नीम के साबुन से सुबह-शाम नहाएं.

नाक से खून निकलना या नकसीर फूटना

गर्मी के मौसम में कभी-कभी नाक से अचानक खून बहना शुरू हो जाता है, जिसे नकसीर फूटना कहते हैं. ऐसा ज़्यादा देर तक धूप में चलने-फिरने या बहुत तीखा-मसालेदार चीज़ों के सेवन से हो सकता है. ख़ून की गर्मी, हाई ब्लड प्रेशर, चिंता या कमज़ोरी से भी नकसीर की समस्या हो सकती है. इसके अलावा विटामिन सी की कमी वाले लोगों में ये समस्या ज़्यादा होती है.

क्या करें?

  • नाक से खून निकलने पर सबसे पहले मरीज़ को तुरंत ठंडे स्थान पर ले जाएं. उसके पैर से जूते-मोज़े उतार दें, जिससे शरीर की गर्मी तलुुवा द्वारा बाहर निकल सके.
  • अंगूठे और तर्जनी उंगलियों की मदद से नाक के ऊपरी हिस्से को थोड़ी देर तक दबाकर रखें, ताकि ख़ून का बहना रुक जाए.
  • नाक और माथे पर बर्फ़ या ठंडे पानी की पट्टी रखें व ठंडी चीज़ें सुंघाएं.

टायफॉइड


टायफॉइड पेट से संबंधित बीमारी है और यह गर्मी के मौसम में अधिक होती है. अगर आपको लगातार बुख़ार रहना, भूख कम लगना, पेटदर्द, उल्टी होना और खांसी-ज़ुक़ाम जैसे लक्षण नज़र आएं, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करके टायफॉइड की जांच करवाएं.

क्या करें?

  • गंदे पानी व स्ट्रीट फूड से दूर रहें.
  • पानी उबालकर ही पीएं.
  • कुछ भी खाने-पीने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं.
  • तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें और आसपास की साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखें.


अन्य समस्याएं व समाधान

  • गर्मी में चिकनपॉक्स भी तेज़ी से फैलता है. इससे बचने के लिए ज़्यादा भीड़भाड़वाली जगहों पर जाने से परहेज़ करें और बाहर से लौटने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं.
  • पसीने की वजह से शरीर से बदबू आने की समस्या बहुत सामान्य है. इससे बचने के लिए दिन में दो-तीन बार स्नान करें. नहाने के बाद मेडिकेटेड टेलकम पाउडर लगाएं. नहाने के पानी में व्हाइट विनेगर या गुलाबजल डालकर नहाने से भी पसीने से आनेवाली दुर्गंध से छुटकारा मिलता है.
  • इस मौसम में बहुत से लोग स्विमिंग करना पसंद करते हैं. कई बार देर तक पूल में रहने से कानों में पानी
    चला जाता है, जिससे फंगल इंफेक्शन होने का ख़तरा बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए तैरते समय ईयर प्लग लगाएं या कानों को कैप की सहायता से ढंक लें.
  • गर्मी के मौसम में मच्छर-मक्खियों का प्रकोप काफ़ी बढ़ जाता है. इनके काटने से त्वचा लाल होकर सूज जाती है. इससे बचने के लिए आसपास की जगह साफ़ व सूखी रखें. इनसेक्ट्स रेपेलेंट्स भी लगा सकते हैं. अगर कीड़े ने काट लिया हो, तो प्रभावित जगह को साफ़ करके उस पर ब़र्फ लगाएं.

बॉक्स
इन बातों का रखें ख़्याल

  • ये सोचकर कि कोल्ड ड्रिंक्स पीने से ठंडक मिलती है, कोल्ड ड्रिंक्स को अपने समर रूटीन में शामिल न करें. छूने या पीने में भले ही यह कोल्ड महसूस होता हो, लेकिन शरीर पर इसका प्रभाव हमेशा ही गर्म होता है. इसके अलावा अधिकतर कोल्ड ड्रिंक्स में कैफीन होता है, जो पल्स रेट बढ़ा देता है. इस वजह से इसे पीने पर तुरंत तो आप फ्रेश महसूस करते हैं, लेकिन आपकी हेल्थ पर इसका साइड इफेक्ट ही होता है.
  • गर्मियों में भूख कम लगती है, तो लोग लिक्विड फूड का ज़्यादा सेवन करते हैं और अन्न कम खाते हैं. लेकिन यह ग़लत है. मौसम चाहे जो भी हो, आपका डायट बैलेंस्ड होना चाहिए. इस बात का ध्यान रखें.
  • ज्यादातर लोग मानते हैं कि बियर ठंडी होती है और ये सोचकर वे गर्मियों में बियर पीने लगते हैं, लेकिन ऐसा करने से बचें. बियर शरीर से पानी बाहर निकाल लेता है, जिससे बॉडी डिहाइड्रेटेड हो जाती है.
  • आप अगर सोचते हैं कि पानी ज़्यादा ठंडा नहीं है, इसलिए इसमें ब़र्फ मिला लें या ब़र्फ ही खा लें, तो शरीर का तापमान कम होगा तो आप बिल्कुल ग़लत सोचते हैं. ब़र्फ आपके शरीर को गर्मी देता है और एकदम गर्मी से लौटने पर इसका सेवन करने से आपको तकलीफ़ भी हो सकती है.
  • गर्मियां तो जमकर आइस्क्रीम खाने का मौसम है. अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं, तो आप गलत हैं. हफ़्ते में दो बार से ज़्यादा आइस्क्रीम बिल्कुल न खाएं. इससे भी आपको हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती है. हां आप चाहें तो आइस्क्रीम में सीज़नल फ्रूट मिलाकर खा सकते हैं. इससे आइस्क्रीम की मात्रा कम हो जाएगी और फ्रूट्स के ज़रिए आप एक्स्ट्रा फाइबर का सेवन कर पाएंगे.

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