बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के बाद से हर कोई नेपोटिज्म और इंडस्ट्री में होने वाले भेद-भाव पर खुलकर बोल रहा है. सभी अपनी आपबीती सुना रहे हैं. कई बड़े सितारों ने खुल कर बॉलीवुड में फैले नेपोटिज्म, फेवरिज्म, गॉडफादर आदि पर खुलकर बात की और अपना विरोध जताया. इस दौरान बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता इरफान खान के बेटे बाबिल ने भी बताया कि किस तरह उनके पिता 6 एब्स वालों से हार गये.
दिवंगत अभिनेता इरफान खान के बड़े बेटे बाबिल ने सोशल मीडिया पर अपने पिता की दो तस्वीरें शेयर की हैं, जिसके साथ उन्होंने बॉलीवुड पर एक लंबी पोस्ट लिखी है. इसमें उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या और उसके बाद चल रहे नेपोटिज्म के मसले पर अपनी बात रखी है.
बाबिल ने अपने पिता के स्ट्रगल के बारे में लिखते हुए कहा कि 'उनके पिता ने बॉलीवुड के तमाम मुश्किल हालात में भी एक्टिंग की कला को समझाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दी लेकिन अपनी पूरी एक्टिंग जर्नी में वे हमेशा बॉक्स ऑफिस पर 6 पैक्स एब्स वाले हीरो और वो ड्रामेटिक हीरो वाले वन लाइनर से हारते रहे, क्योंकि हम एक ऑडियंस के तौर पर यही सब चाहते थे और यही पसंद करते थे. हमें सिर्फ इंटरटेनमेंट चाहिए था. हमारी सोच में भी कोई बदलाव नहीं आया. बॉडी फिजिक के नियमों को चुनौती देने वालों से, फोटोशॉप्ड आइटम्स सॉन्ग्स से, सेक्सिजम से और नेपोटिज़्म की उस पुरानी परंपरा के आगे वह अक्सर हार जाते थे.'
बाबिल ने पोस्ट में पिता को लेकर एक किस्सा भी शेयर किया है. बाबिल लिखते हैं कि 'क्या आपको मालूम है कि मेरे पिता ने मुझे सिनेमा का स्टूडेंट होने के नाते सबसे जरूरी चीज क्या सिखाई थी? फिल्म स्कूल जाने से पहले उन्होंने मुझे समझाया था कि यहां तुम्हें खुद ही खुद को साबित करना होगा क्योंकि वर्ल्ड सिनेमा में बॉलीवुड को बहुत ज़्यादा रेस्पेक्ट नहीं दी जाती. और मैंने ये महसूस भी किया कि बॉलीवुड को वर्ल्ड में कोई सम्मान नहीं दिया जाता. 60 से 90 के दशक के सिनेमा का तो कहीं ज़िक्र भी नहीं है. आपको पता है, ऐसा क्यों है? क्योंकि हमने एक भारतीय दर्शक के तौर पर खुद को विकसित करने से मना कर दिया, क्योंकि हिंदी सिनेमा को लेकर कोई जागरूकता ही नहीं थी.
वर्ल्ड सिनेमा में बॉलीवुड की हालत पर बात करते हुए उन्होंने अब लोगों में आ रहे बदलाव पर खुशी भी ज़ाहिर की है. उन्होंने लिखा, हालांकि अब बदलाव आ रहा है. बदलाव की ख़ुशबू अब महसूस की जा सकती है. अब युवा नए अर्थ तलाश रहे हैं. हमें इसके लिए अब खड़ा होना चाहिए, ताकि इसे फिर से दबाया न जा सके. उन्होंने आगे कहा, 'हालांकि मुझे लगता है कि अब सुशांत की मौत को लोगों ने एक पॉलिटिकल मुद्दा बना दिया है. पर इससे अगर पॉजिटिव चेंज आता है, तो अच्छा ही है.'
पहले भी नेपोटिज़्म पर बोल चुके हैं बाबिल
इससे पहले भी नेपोटिज़्म के मुद्दे पर बाबिल आवाज़ उठा चुके हैं. कुछ दिनों पहले बाबिल खान ने सुशांत और नेपोटिज्म को लेकर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने लोगों के रिएक्शन के तरीके पर नाराजगी जताते हुए कहा था, 'हर कोई एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहा है. हमने दो बहुत ही शानदार लोगों को खोया है. हम सभी के लिए यह एक बड़ा शॉक है. सबसे ज्यादा शॉक है, जिस तरह सुशांत हमें छोड़कर गए.' बाबिल का कहना है कि नेपोटिज्म पर सवाल उठाएं, लेकिन सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड को इसकी वजह बनाना सही नहीं है. सही के लिए खड़े हों. नेपोटिज्म के खिलाफ अगर खड़े होना चाहते हैं तो खड़े हों. चीजों को आप लोग खुद इंवेस्टिगेट करना बंद करें, क्योंकि ऐसा करके आप सुशांत के परिवार को दुख ही पहुंचा रहे हैं.
बता दें कि सुशांत ने 14 जून की सुबह अपने मुंबई स्थित घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि सुशांत पिछले छह महीने से डिप्रेशन का इलाज करवा रहे थे. कहा जा रहा है कि सुशांत नेपोटिज़्म का शिकार हुए, जिसके चलते उन्हें एक के बाद एक सात फिल्मों से निकाला गया जिसके बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली. इसके बाद से ही नेपोटिज्म के खिलाफ एक मुहिम सी छिड़ गई है और लोग अब इसके विरोध में खुलकर सामने आ रहे हैं. विक्रांत मेस्सी, कंगना रनौत, अमित त्रिवेदी, अन्नू कपूर समेत कई बॉलीवुड सेलेब्स ने इस पर अलग-अलग बातें बोली.